3 मार्च को मनाया जाता है विश्व वन्यजीव दिवस , जानिए क्यों मनाया जाता है ये दिन
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- लगातार विलुप्त हो रही जीवों की कई प्रजातियां
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। पृथ्वी पर इंसानों के अलावा कई तरह के जीव-जंतु पाए जाते है। इन जीवों का अस्तित्व इंसानों से पहले से इस धरती पर मौजूद है। आज कई जीव ऐसे है जो समय के साथ हमारी पृथ्वी से विलुप्त हो चुके है और कई विलुप्त होने की कगार पर है। इन्हीं लुप्त हो रही जीव-जंतुओं की प्रजातियों और वनस्पतियों के प्रति लोगों की जागरूक्ता बढ़ाने के लिए हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस यानी वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे मनाया जाता है।
कैसे हुई ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ मनाने की शुरुआत ?
जन्तुओं के जीवन के खतरे को ध्यान में रखते हुए थाईलैंड की ओर से विश्व के जीव-जंतुओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रस्ताव रखा गया था। जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2013 के 20 दिसंबर को 68वें सत्र के दौरान 03 मार्च के दिन को ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ के रूप में मनाएं जाने की घोषणा की थी। 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस को मनाने की तिथि का इसलिए चयन किया गया क्योंकि इसी दिन विलुप्तप्राय वन्यजीव व वनस्पति के व्यापार पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (CITES) को स्वीकृत किया गया था।
2022 में क्या है इसकी थीम
वन्यजीव के प्रति लोगों को जागरूक्ता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा हर साल एक थीम जारी की जाती है। ताकी विलुप्त हो रहे वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं की प्रजातियों की सुरक्षा के लिए लोगों में जागरूकता पैदा की जा सके। इस साल की थीम है- पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए प्रमुख प्रजातियों को वापस से लाना (Recovering Key Species For Ecosystem Restoration).
लगातार विलुप्त हो रही जीवों की कई प्रजातियां
दुनिया भर में जीव जंतुओं की ऐसी कई प्रजातियां है जो आज हमारी धरती से गायब हो चुके है। इसके साथ ही माना जा रहा है कि कई ऐसे है जीव जन्तु है आने वाले कुछ सालों में विलुप्त हो जाएंगे। इनके विलुप्त होने के पीछे इंसानों की बढ़ती आबादी, वन्य जीवों का बड़ी मात्रा में शिकार, बढ़ते रासायनिक पदार्थो का इस्तेमाल और रेडिऐशन को मुख्य वजह माना जाता है।
बढ़ती आबादी भी एक बड़ी समस्या है जिस वजह से जंगलों का इलाका कम होता जा रहा है। वहीं बढ़ते प्रदुषण के कारण प्रदुषण के कारण नदियों और जंगलों में रह रहे कई जीव-जंतु विलुप्ति की कगार पर हैं।
भारत में वन्य जीव की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए बनाए नियम और कानून
भारत में वन्य जीव की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा समय-समय पर कई नियम और कानून पारित किए गए हैं।
• मद्रास वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट, 1873
• ऑल इण्डिया एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट, 1879
• द वाइल्ड बर्ड एण्ड एनीमल्स प्रोहिबिशन एक्ट, 1912
• बंगाल राइनोसेरस प्रिजर्वेशन एक्ट, 1932
• असम राइनोसेरस प्रिजर्वेशन एक्ट, 1954
• इण्डियन बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ (आइबीडब्ल्यूएल), 1952
• वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972
• पहली वन्य जीवन कार्य योजना, 1983
• नई वन्य जीवन कार्य योजना (2002-2016)
• जैव विविधता अधिनियम, 2002
वन्यजीवों को संरक्षित करने भारत सरकार की कुछ महत्वपूर्ण पहल
• 1 अप्रैल, 1973 में प्रोजेक्टर टाइगर की शुरुआत
• 1992 में प्रोजेक्ट एलीफेंट
• गिद्ध परिरक्षण
• घड़ियाल संरक्षण
• 2009 में हिम तेंदुआ परियोजना (प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड)
• 2019 में ‘भारतीय एकसिंगी गैंडे के लिए राष्ट्रीय संरक्षण रणनीति’
• 2019 से एशियाई शेर संरक्षण परियोजना
Created On :   3 March 2022 2:21 PM IST