India-China Dispute: भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है DSDBO रोड? जिसपर चीन विरोध जता रहा है

Understand the strategic road to DBO
India-China Dispute: भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है DSDBO रोड? जिसपर चीन विरोध जता रहा है
India-China Dispute: भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है DSDBO रोड? जिसपर चीन विरोध जता रहा है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से लद्दाख सीमा पर विवाद चल रहा है। पांगोंग लेक, गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग सहित अन्य क्षेत्रों में चीनी सैनिकों के दाखिल होने से ये विवाद पैदा हुआ है। भारत की सीमा में बनी 255 किलोमीटर लंबी दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) ऑल वेदर रोड को लेकर भी चीन विरोध जता रहा है। रणनीतिक रूप से भारत के लिए यह रोड काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लेह को दौलत बेग ओल्डी से जोड़ता है। यह रोड इंडियन मिलिट्री को तिब्बत-झिंगजैंग हाईवे के एक सेक्शन तक पहुंच भी प्रदान करता है जो अक्साई चिन से होकर गुजरता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस रोड से जुड़ी वो सभी महत्वपूर्ण बातें जो आपके जानने लायक है।

चीनी घुसपैठ DSDBO रोड के लिए सीधा खतरा
भारत ने दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी ऑल वेदर रोड रोड का निर्माण बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानी BRO ने किया है। BRO को इस सड़क के निर्माण में लगभग दो दशक लग गए। BRO सेना की वो विंग है जो बॉर्डर पर सड़को का निर्माण करती है। 255 किलोमीटर लंबी दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड, LAC के पैरलल लगभग 13,000 फुट से 16,000 फुट की ऊंचाई पर बनी हुई है। गलवान घाटी क्षेत्र में चीनी घुसपैठ DSDBO रोड के लिए सीधा खतरा है। ऐसा इसलिए क्योंकि गलवान घाटी में इस रोड के करीब पहाड़ियों की ऊंचाई पर चीनी सैनिकों की मौजूदगी देखी गई है। चीनी सैनिक यहां से कभी भी DSDBO रोड को ब्लॉक कर सकते हैं। रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि इससे पहले कभी चीन ने इस जगह पर घुसपैठ नहीं की थी।

चीन क्यों जता रहा DSDBO रोड को लेकर विरोध
दौलत बेग ओल्डी में दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी है। ये हवाई पट्टी भारतीय सशस्त्र बलों को इस क्षेत्र में तोपखाने बंदूकों सहित अन्य हथियारों को तेजी से ट्रांसपोर्ट करने में सक्षम बनाती है। DSDBO रोड के जरिए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है, इसलिए भी चीन इस रोड को लेकर अपना विरोध जता रहा है। इस हवाई पट्टी को 1962 के युद्ध के दौरान बनाया गया था। 1965 से 2008 तक ये बंद रही। 2008 में इंडियन एययफोर्स ने एंटोनोव एएन-32 की यहां लैंडिंग कराई थी। अगस्त 2013 में  इंडियन एयरफोर्स ने लॉकहीड मार्टिन C-130J-30 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को दौलत बेग ओल्डी एंडवांस लैंडिंग ग्राउंड में उतारकर इतिहास रचा था।

बातचीत के बाद करीब 2 किमी पीछे हटे दोनों देशों के सैनिक
इस विवाद को सुलझाने के लिए 6 जून को दोनों देश के बीच लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बातचीत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास चुशूल मोल्डो में हुई थी। भारतीय सेना के ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने भारत की ओर से बैठक की अगुवाई की जबकि चीन की तरफ से मेजर जनरल लियु लीन ने नेतृत्व किया। दोनों देशों के सैन्य कमांडरों ने सीमा विवाद सहित कई मुद्दों पर चर्चा की। इसके बाद दोनों देश गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग एरिया में अपनी-अपनी सेनाओं को करीब 2 किलोमीटर तक पीछे हटाने को सहमत हुए। 10 जून को चीन ने आधिकारिक तौर पर इसकी जानकारी दी। दोनों देशों के बीच एक बार फिर 10 जून को मेजर जनरल स्तर की बैठक हुई जो करीब साढ़े चार घंटे तक चली। 

Created On :   11 Jun 2020 2:32 PM IST

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