Coronavirus: जानिए कैसे केरल ने किया कोविड-19 के कर्व को फ्लैट?
डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। केरल में पिछले कुछ दिनों में नोवल कोरोनावायरस के सिंगल डिजिट में मामले सामने आए है जिससे इस बीमारी का कर्व फ्लैट हो गया है। ये संभव हो पाया है शुरुआती जांच, एग्रेसिव टेस्टिंग, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और 28 दिनों के क्वारनटीन पीरियड की वजह से।
केरल में 30 जनवरी को कोरना संक्रमण का पहला मामला सामने आया था जो 13 अप्रैल को बढ़कर 378 तक पहुंच गया। इसमें से 198 लोग ठीक हुए जबकि दो लोगों की मौत हो गई। 27 मार्च को केरल में एक दिन मे 39 केस रिकॉर्ड किए गए थे जबकि 12 अप्रैल को केवल दो मामले सामने आए। 12 अप्रैल को केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने ट्वीट कर कहा था कि राज्य में COVID-19 का कर्व फ्लैट होना शुरू हो गया है। पिछले एक सप्ताह से सक्रिय मामलों में गिरावट आई है। तो आइए जानते हैं इस बीमारी के कर्व में गिरावट लाने के लिए केरल ने क्या-क्या किया:
COVID-19 curve of Kerala has started to flatten. The active cases for the last one week has declined. The recovered cases (green curve) will cross the yellow curve soon.#COVID2019 #COVID pic.twitter.com/G9nja0UYCU
— Thomas Isaac (@drthomasisaac) April 12, 2020
18 जनवरी को जारी कर दिया था कोविड-19 अलर्ट
राज्य के स्वास्थ विभाग ने 18 जनवरी को ही कोविड-19 का अलर्ट जारी कर दिया था। एयरपोर्ट पर विदेश से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू हो गई थी। इस यात्रियों को एयरपोर्ट पहुंचने पर एक हेल्थ कार्ड दिया जाता था जिसमें उन्हें उनकी ट्रैवल डिटेल और हेल्थ कंडीशन फिल करना होता था। राज्य के सभी पांच एयरपोर्ट को जिला अस्पतालों में एम्बुलेंस और इमरजेंसी रिस्पॉन्स से जोड़ा गया था। एयरपोर्ट पर बुखार, खांसी या गले में खराश वाले किसी भी यात्री को तुरंत एक लिंक्ड अस्पताल में शिफ्ट कर दिया जाचा था और इसकी जानकारी जिला चिकित्सा कार्यालय को दी जाती थी।
4 फरवरी को कोविड-19 को राज्य आपदा घोषित किया गया
इसके बाद राज्य में जिला नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए। मास्क, दस्ताने, अन्य व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) और दवाएं खरीदनी शुरू कीं। इसने जिला अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाने का आदेश दिया गया। 4 फरवरी को कोविड-19 को राज्य आपदा घोषित कर दिया गया। सावधानीपूर्वक कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की गई। 30 अप्रैल से 8 मार्च तक हर एक मरीज और उसके संपर्क में आए लोगों की मैनुअल निगरानी की गई। कुछ लोगों के ट्रैलव हिस्ट्री छिपाने के चले 9 मार्च से स्पेसियो टेम्पोरल मैपिंग को भी शुरू किया गया। इसमें एक वस्तृत फ्लोचार्ट होता है जिसे संकमित व्यक्ति के कॉल डिटेल और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर बनाया जाता है।
होम क्वारनटीन पर विशेष ध्यान
राज्य में होम क्वारनटीन पर भी विशेष ध्यान दिया गया। जहां 16 मार्च को 12,470 लोग होम क्वारनटीन थी वहीं ये संख्या 11 अप्रैल तक बढ़कर 1,22,676 तक पहुंच गई। 14 दिनों के बजाय लोगों को 28 दिनों के लिए क्वारनटीन में रहने के लिए कहा गया। क्वारनटीन में रहने वाले लोगों को हर दिन कॉल कर उनके स्वास्थ की जानकारी ली गई। करीब 16,000 टीमों को यह सुनिश्चित करने के काम में लगाया गया कि वो यह ध्यान रखें कि जो होम क्वारनटीन में है वो घर से बाहर न निकले।
टेस्टिंग में तेजी
12 अप्रैल तक, 14,989 नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए थे, जिनमें से 13,802 नेगेटिव निकले। 1 से 13 अप्रैल तक राज्य ने 3.4 करोड़ की आबादी के लिए प्रति मिलियन लोगों पर 227 टेस्ट किए। 28 मार्च को सीएम पिनाराई विजयन ने घोषणा की कि राज्य में तेजी से टेस्ट किए जाएंगे जिसके रिजल्ट 45 मिनट से 2 घंटे के भीतर आएंगे।
Created On :   14 April 2020 9:14 AM IST