सुप्रीम कोर्ट ने दिए राजीव गांधी के हत्यारों को छोड़ने का आदेश, 31 साल पहले आत्मघाती हमले में हुई थी हत्या
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- राजीव गांधी की 21 मई
- 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हत्या कर दी गई थी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड के सभी 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया है। शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर इन दोषियों पर कोई अन्य मामला नहीं है, तो इन्हें रिहा कर दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, "लंबे समय से राज्यपाल ने इस मामले पर कोई कदम नहीं उठाया तो हम उठा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दोषी करार दिए गए पेरारिवलन की रिहाई का आदेश बाकी दोषियों पर भी लागू होगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मई में पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने नलिनी, रविचंद्रन, मुरुगन, संथान, जयकुमार और रॉबर्ट पोयस को रिहा करने का आदेश दिया गया है, जबकि इस मामले में पेरारीवलन पहले ही रिहा हो चुके हैं।
उधर, राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, "पूर्व पीएम राजीव गांधी के बाकी हत्यारों को रिहा करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरी तरह से अस्वीकार्य और पूरी तरह गलत है। कांग्रेस पार्टी इसकी स्पष्ट रूप से आलोचना करती है और इसे पूरी तरह से क्षमा न करने योग्य मानती है। यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया।"
नलिनी को सोनिया गांधी ने किया था माफ
जब नलिनी को राजीव गांधी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया तो वह गर्भवती थी। उन्हें प्रेग्नेंट हुए 2 महीने हो चुके थे। नलिनी को फांसी होने वाली थी, लेकिन सोनिया गांधी ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने नलिनी को माफ कर दिया था। सोनिया का मानना था कि किसी और की गलती की सजा एक मासूम बच्चे को सजा कैसे दी जा सकती है, जिसका अभी दुनिया में आना बाकी है।
31 साल पहले हुई थी हत्या
राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हत्या कर दी गई थी। इस दौरान पड़ोसी श्रीलंका से लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) समूह की एक महिला ने उन्हें माला पहनाई थी, जिसके बाद धमाका हो गया था। इस आत्मघाती हमले में 18 लोगों की मौत हुई थी। आत्मघाती हमलावर की पहचान धनु के रूप में हुई थी।
इस मामले में कुल 41 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से 12 लोगों की मौत हो गई थी और तीन फरार गए थे। फरार आरोपियों में LTTE के प्रमुख प्रभाकरण, पोट्टू ओम्मान और अकीला थे। बचे हुए 26 लोग पकड़े गए थे। इसके बाद आरोपियों के खिलाफ टाडा एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। सात साल की कानूनी कार्यवाही के बाद 28 जनवरी 1998 को टाडा कोर्ट ने सभी 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई थी।
Created On :   11 Nov 2022 3:02 PM IST