भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को 2 हफ्ते के अंदर पेश होने का निर्देश दिया

Supreme Court directs fugitive businessman Vijay Mallya to appear within 2 weeks
भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को 2 हफ्ते के अंदर पेश होने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को 2 हफ्ते के अंदर पेश होने का निर्देश दिया
हाईलाइट
  • जस्टिस ललित ने कहा कि उन्हें कई मौके दिए जा चुके हैं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को बैंकों द्वारा दायर अवमानना मामले में सजा सुनाने से पहले पेश होने का अंतिम मौका दिया, जिसमें उन्हें दोषी पाया गया है।

जस्टिस यू. यू. ललित और एस. रवींद्र भट की बेंच ने कहा कि अदालत ने माल्या को अवमानना का दोषी पाया है और उन्हें सजा दी जानी चाहिए। सामान्य तर्क के आधार पर अवमाननाकर्ताको सुना जाना चाहिए, लेकिन वह अब तक अदालत में पेश नहीं हुए हैं।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट की ओर से बार-बार समन किए जाने के बावजूद विजय माल्या अब तक पेश नहीं हुए। इसके चलते कोर्ट ने उन्हें 2017 में अवमानना के मामले में भी दोषी ठहराया था। हालांकि, कोर्ट के लंबे इंतजार के बावजूद माल्या इस मामले में एक भी बार पेश नहीं हुए हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता, जो न्याय मित्र (एमिक्स क्यूरी) हैं, ने प्रस्तुत किया कि मामले को थोड़े समय के लिए इस अभिव्यक्ति के साथ स्थगित किया जा सकता है कि यह अंतिम अवसर हो सकता है।

न्यायमूर्ति भट ने कहा कि माल्या ने अब तक सुनवाई से परहेज किया है और अगली सुनवाई में भी यही होगा और फिर अदालत को अनुपस्थिति में सजा सुनानी होगी।

जस्टिस ललित ने कहा कि उन्हें कई मौके दिए जा चुके हैं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि यह भारत सरकार का स्टैंड नहीं है कि उनके खिलाफ कुछ गोपनीय कार्यवाही ब्रिटेन (यूके) में लंबित है, बल्कि यह यूके सरकार का स्टैंड है, जो उनके प्रत्यर्पण में देरी कर रहा है। पीठ मेहता की दलीलों को रिकॉर्ड में लेने के लिए तैयार हो गई।

पीठ ने कहा कि न्याय मित्र का कहना है कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पर्याप्त रूप से पालन किया गया है और अवमानना करने वाले को पर्याप्त अवसर दिया गया है। इसलिए अब मामले को थोड़े समय के लिए स्थगित किया जा सकता है, और अंतिम अवसर दिया जाना चाहिए।

दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई फरवरी के अंतिम सप्ताह में निर्धारित की। इसने यह भी स्पष्ट किया कि अगर माल्या सुनवाई में मौजूद नहीं होते हैं तो मामले को निष्कर्ष पर ले जाया जाएगा।

14 जुलाई, 2017 को दिए गए एक फैसले के अनुसार, माल्या को बार-बार निर्देशों के बावजूद बैंकों को 9,000 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करने के लिए अवमानना का दोषी पाया गया था। इसके अतिरिक्त, उन पर अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं करने और वसूली (रिकवरी) की कार्यवाही के उद्देश्य को विफल करने के लिए गुप्त रूप से संपत्ति के निपटान का प्रयास करने का भी आरोप लगाया गया है।

6 अक्टूबर, 2020 को, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यूके के गृह कार्यालय ने सूचित किया है कि एक और कानूनी मुद्दा है, जिसे माल्या के प्रत्यर्पण से पहले हल करने की आवश्यकता है। ब्रिटेन के कानून के तहत इसी कानूनी पेंच के कारण उनकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया में देरी हो रही है।

हलफनामे में कहा गया था कि प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील हारने के बाद, भारत के लिए माल्या का आत्मसमर्पण, सिद्धांत रूप में, 28 दिनों के भीतर पूरा हो जाना चाहिए था। हालांकि, यूके के गृह कार्यालय ने भारत को आगे के कानूनी मुद्दे के बारे में सूचित किया।

पिछले साल 2 नवंबर को, शीर्ष अदालत ने केंद्र से भगोड़े व्यवसायी के प्रत्यर्पण पर छह सप्ताह के भीतर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। 30 नवंबर को अदालत ने कहा कि वह अदालत की अवमानना में उसे सजा देने पर सुनवाई शुरू करेगी, जिसमें उन्हें जुलाई 2017 में दोषी ठहराया गया था।

(आईएएनएस)

Created On :   10 Feb 2022 8:00 PM IST

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