श्रीश्री बोले : राम मंदिर पर अच्छा रिस्पॉन्स मिला, कुछ सियासी लोग कर रहे हैं विरोध
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। अयोध्या विवाद को लेकर आर्ट ऑफ लिविंग के फाउंडर श्रीश्री रविशंकर ने मंगलवार को कहा कि "अयोध्या में जल्द ही भव्य राम मंदिर बनेगा। हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। सिर्फ कुछ सियासी लोग ही इसका विरोध कर रहे हैं।" संत समागम में शामिल होने के लिए वाराणसी पहुंचे श्रीश्री रविशंकर ने ये भी कहा कि "उनके धर्मग्रंथ में भी ये बात निकलकर सामने आई है कि मस्जिद कहीं और बन सकती है।" बता दें कि इसके बाद श्रीश्री वाराणसी से लखनऊ तक स्पेशल ट्रेन से "अनुग्रह यात्रा" भी निकालेंगे।
सौहार्द से बनना चाहिए मंदिर
वाराणसी में संत समागम में शामिल होने पहुंचे श्रीश्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "कोर्ट में किसीकी हार होगी तो किसी की जीत। सैकड़ों साल बाद भी कोई अपनी हार स्वीकार नहीं करेगा और फिर से तोड़-फोड़ होगी। 1 एकड़ से भी कम जमीन की बात है। मुसलमान जमीन हिंदुओं को दे दें और हिंदू भी जमीन मुसलमानों को दे देंगे तो सौहार्द से ये काम हो जाएगा। संघर्ष से और लड़ाई से कोई काम अच्छा नहीं होता।" उन्होंने आगे कहा कि "कोर्ट के कहने पर तो मंदिर बन सकता है, लेकिन सौहार्द से बनना चाहिए। कुछ सियासी लोग विरोध कर रहे हैं। उनके धर्मग्रंथ में भी ये बात सामने निकलकर आई है कि मस्जिद कहीं और बनाई जा सकती है। मगर ये जो स्थान है, वो 100 करोड़ लोगों की भावना का स्थान है। लोगों की भावना का सम्मान करें। हालांकि, कुछ दुर्योधन भी हैं जो नहीं चाहते कि सौहार्द बने।"
3 दिन की अनुग्रह यात्रा निकालेंगे श्रीश्री
श्रीश्री रविशंकर मंगलवार सुबह 8 बजे संत समागम के लिए चौकाघाट के सांस्कृतिक संकुल में पहुंचे। यहां उन्होंने संतों के साथ मुलाकात की और राम मंदिर पर चर्चा की। इसके बाद श्रीश्री स्पेशल ट्रेन से काशी से लखनऊ तक 3 दिनों की "अनुग्रह यात्रा" निकालेंगे। बताया जा रहा है कि 18 कोच वाली इस स्पेशल ट्रेन में श्रीश्री के साथ उनके 1200 अनुयायी भी शामिल होंगे। इस यात्रा का मकसद समाज में शांति, प्रेम और सौहार्द का संदेश देना है।
मौलाना नदवी भी नया बोर्ड बनाने की तैयारी में
वहीं दूसरी तरफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के मेंबर रहे मौलाना सलमान अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए "मानव कल्याण बोर्ड" बनाने की तैयारी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि 1 मार्च को आर्ट ऑफ लिविंग के फाउंडर श्रीश्री रविशंकर और मौलाना नदवी एक ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे, जिसमें इस बोर्ड का स्ट्रक्चर सबके सामने रखा जाएगा। मानव कल्याण बोर्ड का मकसद अयोध्या विवाद को आउट ऑफ कोर्ट सुलझाना है। बताया जा रहा है कि मानव कल्याण बोर्ड का गठन केंद्र से लेकर जिलों तक होगा और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज इसके चेयरमैन होंगे। इसके साथ ही इस बोर्ड में सभी धर्मों से जुड़े बड़े धर्मगुरु भी बोर्ड मेंबर्स के तौर पर शामिल होंगे।
बेंगलुरु में मुस्लिम नेताओं से की थी मीटिंग
श्रीश्री रविशंकर ने इसी महीने 18 तारीख को उत्तर प्रदेश के मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। इस मीटिंग में अयोध्या विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने पर बात हुई थी। इस मीटिंग में AIMPLB के मेंबर रहे मौलाना सलमान नदवी ने अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए 3 फॉर्मूले दिए थे, जिसके बाद उन्हें बोर्ड के खिलाफ जाने पर AIMPLB से निकाल दिया गया था।
मौलाना नदवी ने क्या दिए थे प्रपोजल्स?
1. पहले प्रपोजल में कहा गया है कि 10 एकड़ की विवादित जमीन जो निर्मोही अखाड़े के कब्जे में है, वो मुसलमानों को दे दी जाए और उसके बदले में हिंदुओं को विवादित जमीन दे दी जाए।
2. दूसरे प्रपोजल में कहा गया है कि गोरखपुर हाईवे पर बहादुर शाह जफर के नाम से एक इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी बनाई जाए और उसी के कैंपस में मस्जिद को जगह दी जाए।
3. आखिरी प्रपोजल में कहा गया है कि विवादित जमीन के पास जहां लकड़ी काटने की यूनिट लगी है, वहां पर मस्जिद बनाई जाए।
अयोध्या को लेकर क्या है विवाद?
अयोध्या विवाद देश का ऐसा विवाद है, जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1528 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है। अयोध्या विवाद ने 1989 के बाद से तूल पकड़ा और 6 दिसंबर 1992 को हिंदू संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बनी विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। जिसके बाद ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया और अब सुप्रीम कोर्ट में है।
14 मार्च को होगी अगली सुनवाई
अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 8 फरवरी को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस केस में पहले सभी मुख्य पक्षकारों की दलील सुनी जाएगी, उसके बाद दूसरी पिटीशंस पर सुनवाई होगी। इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले को सिर्फ एक जमीन विवाद की तरह ही देखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को 2 हफ्ते के अंदर सभी डॉक्यूमेंट्स तैयार करने को कहा है और इसी के साथ अब इस मामले की सुनवाई अब 14 मार्च को की जाएगी।
Created On :   27 Feb 2018 1:24 PM IST