सावरकर का हिंदुत्व, विवेकानंद का हिंदुत्व ऐसा बोलने का फैशन हो गया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने वीर सावरकर पर लिखी पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में उन लोगों पर निशाना साधा जो सावरकर को लेकर टीका-टिप्पणी करते है और देश की आजादी में उनके योगदान पर सवाल उठाते हैं। भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि अभी संघ और वीर सावरकर पर टीका-टिप्पणी रही है फिर विवेकानंद और दयानंद सरस्वती का नंबर आएगा। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारत को जोड़ने से जिसकी दुकान बंद हो जाए उनको अच्छा नहीं लगता है। ऐसे जोड़ने वाले विचार को धर्म माना जाता है, लेकिन ये धर्म जोड़ने वाला है ना की पूजा-पद्धति के आधार पर बांटने वाला। इसी को मानवता या संपूर्ण विश्व की एकता कहा जाता है। वीर सावरकर ने इसी को हिंदुत्व कहा है।
भागवत बोले हिंदुत्व एक ही है
आगे अपने संबोधन में भागवत ने कहा कि सावरकर जी का हिंदुत्व, विवेकानंद का हिन्दुत्व ऐसा बोलने का फैशन हो गया, हिन्दुत्व एक ही है, वो पहले से है और आखिर तक वो ही रहेगा। सावरकर जी ने परिस्थिति को देखकर इसका उद्घोष जोर से करना जरूरी समझा था। इतने वर्षों के बाद अब हम जब परिस्थिति को देखते हैं तो ध्यान में आता है कि जोर से बोलने की आवश्यकता तब थी, सब बोलते तो शायद विभाजन नहीं होता।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 12, 2021
अशफाक उल्लाह का नाम गूंजना चाहिए
आपको बता दें कि अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि सैय्यद अहमद को मुस्लिम असंतोष का जनक कहा जाता है। इतिहास में दारा शिकोह, अकबर और औरंगजेब हुए लेकिन इन लोगों ने उल्टा चक्का घुमाया। अशफाक उल्ला खान ने कहा था कि मरने के बाद अगला जन्म भारत में लूंगा, ऐसे लोगों के नाम देश में गूंजना चाहिए।
भागवत ने कहा संसद में बस मारपीट नहीं होती
मोहन भागवत ने कहा कि संसद में क्या नहीं होता, बस मारपीट को छोड़कर। बाकी सब होता है पर बाहर आकर सब साथ में चाय पीते है और एक दूसरे के यहां शादी में जाते हैं। यहां सब समान हैं इसलिए अलगाव या विशेषाधिकार की बात ना करो। उन्होंने कहा कि कुछ लोग तो मानते है कि 2014 के बाद सावरकर का युग आ रहा है तो ये सही है। सबकी जिम्मेदारी और भागीदारी होगी। यही हिंदुत्व है, हम सभी एक हो रहे हैं, ये अच्छी बात, पर इसका मतलब ये नहीं कि हम अलग हैं।
Created On :   12 Oct 2021 9:10 PM IST