हिंदू-मुस्लिम जनसंख्या के चौंकाने वाले सर्वे पर दिग्विजय सिंह का ट्वीट क्या इशारा कर रहा है?

- प्यू सर्वे पर दिग्विजय सिंह का ट्वीट
- हिंदू मुस्लिम जनसंख्या पर बड़ा सर्वे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा सासंद दिग्विजय सिंह के एक ट्वीट से धार्मिक और राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ने लगी है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ने सोशल मीडिया पर एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए धार्मिक आबादी में हो रहे बदलाव को लेकर लिखा है। जिसमें उन्होंने विदेश में किए गए एक सर्वे का हवाला दिया है। प्यू रिसर्च सेंटर की स्टडी दस साल में होने वाली जनसंख्या जनगणना और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकडों के आधार पर है। इस स्टडी में बताया गया है कि भारत की धार्मिक आबादी में किस तरह से बदलाव आए है।
इस रिपोर्ट से यह साबित होता है कि मुसलमानों की जन्म दर हिंदुओं से अधिक तेज़ी से गिर रही है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि इसी प्रकार से हिंदुओं और मुसलमानों की जन्म दर घटती है तो वर्ष २०२८ तक दोनों की जन्म दर स्थाई हो कर भारत की जनसंख्या स्थिर हो जाएगी। #जागो_हिंदुओं_जागो
— digvijaya singh (@digvijaya_28) September 22, 2021
वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के इस ट्वीट में आखिरी में लिखा है जागो हिंदुओं जागो।
वॉशिगटन डीसी स्थित प्यू रिसर्च केंद्र ने भारत की आबादी पर एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें इंडिया के सभी धार्मिक समूहों की रिप्रोडक्शन रेट में कमी बताई गई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में अभी भी सभी धर्मों से ज्यादा बच्चे मुस्लिम पैदा करते है। इसे इस तरह समझिए कि 1992 एक मुस्लिम महिला 4 से ज्यादा बच्चे पैदा करती थी जो 2015 में घटकर अभी भी दो से अधिक है जबकि 1992 में एक हिंदू महिला 3 से ज्यादा बच्चे पैदा करती जो अब औसतन 2.1 पर आ गया है वहीं ईसाई 2.9 से घटकर 2, बौद्ध 2.9 से घटकर 1.7, सिख 2.4 से 1.6, जैन 2.4 से 1.2 पर है।
प्यू रिपोर्ट के अनुसार आजादी से लेकर 2011 तक भारत की आजादी तीन गुना से ज्यादा बढ़ी है। 1951 में देश की जनसंख्या करीब 36 करोड़ थी। जो 2011 में 120 करोड़ पहुंच गई। धार्मिक जनसंख्या पर गौर करे तो 1951 में हिंदुओं की संख्या 30.4 करोड़ थी जो 2011 में 96.6 करोड़ पहुंच गई जबकि साढ़े तीन करोड़ मुसलमानों की आबादी में हिंदुओं की तुलना में काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में मुसलमानों की संख्या 17.2 करोड़ हो गई है। हालांकि 1990 के बाद से ग्रोथ रेट में कमी देखने को मिली है।
भारत की आबादी में करीब 80 फीसदी हिंदू है वहीं साढ़े चौदह फीसदी मुस्लमान है। शेष 6 प्रतिशत में अन्य सभी धर्म आते है। मुस्लिमों में अभी भी बाकी धार्मिक समूहों की अपेक्षा प्रजनन दर अधिक है। हालांकि हाल के दशकों में थोड़ी बहुत गिरावट देखने को मिली है लेकिन अभी भी यह चिंता का विषय है।
सर्वे में बताया गया है कि धर्मांतरण भारत में अभी एक मुद्दा है। आंकड़ों पर गौर करें तो 0.7 प्रतिशत लोगों ने हिंदू परिवार में जन्म लिया और अब उनकी पहचान हिंदू नहीं है। हालांकि यह कम है। पर अभी भी हिंदू धर्म के लिए चिंता का विषय है। चौंकाने वाली बात यह है कि दुनिया के कई देशों से ज्यादा मुस्लिम आबादी भारत में रहती है। इंडोनेशिया के बाद सबसे ज्यादा मुसलमान भारत में निवास करते है।
Created On :   23 Sept 2021 1:41 PM IST