1200 करोड़ रुपये के पटियाला जमीन घोटाले के मामले में पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
- कोई धोखाधड़ी नहीं
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने 1,200 करोड़ रुपए केपटियाला भूमि घोटाला मामले में सभी आरोपियों को निचली अदालत द्वारा बरी किए जाने को चुनौती देने का फैसला किया है।
वित्तीय आयुक्त राजस्व (एफसीआर) केएपी सिन्हा ने अभियोजन निदेशक को समय सीमा समाप्त होने से पहले ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में अपील दायर करने को कहा है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, पटियाला, रंजीत कुमार जैन ने 15 सितंबर को सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया था, जिन्होंने कथित रूप से लगभग 6000 वर्ग गज की सरकारी प्रमुख भूमि के 3 विक्रय विलेख अपने नाम दर्ज करवाए थे।
सेवानिवृत्त पीसीएस अधिकारी नरिंदर संघ की संस्तुति को स्वीकार करते हुए एफसीआर सिन्हा ने प्रधान भूमि के विक्रय विलेखों के निबंधन को रद्द कराने के लिए अलग से सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर करने के आदेश भी जारी किए। आरोपी अपने बिक्री विलेख को असली होने का दावा कर कब्जे के लिए एक वाद के माध्यम से सरकारी जमीन पर कब्जा करने की मांग कर रहे थे। फौजदारी अदालत ने उन्हें बरी कर दिया, यह पाते हुए कि उन्होंने बिक्री दस्तावेजों को पंजीकृत करने में कोई धोखाधड़ी नहीं की, जिससे पटियाला की सिविल अदालत में लंबित भूमि के कब्जे के उनके दावे को मजबूत किया।
इससे पहले एफसीआर ने मामले को राजस्व सचिव दिलराज सिंह संधावालिया से स्थानांतरित कर दिया था क्योंकि वह अगली कार्रवाई की सिफारिश करने में अत्यधिक देरी कर रहे थे, संघ ने पूरे मामले का अध्ययन करने के बाद 7 दिनों के भीतर कार्रवाई योग्य सिफारिशें की। संधावालिया एक महीने से अधिक समय तक फाइल पर बैठे रहे और रिमाइंडर के बाद कोई विशेष सिफारिश न करते हुए पूरी तरह से अपर्याप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की। परेशान सरकार ने फिर फाइल को संघ को स्थानांतरित कर दिया।
विजिलेंस ब्यूरो द्वारा मुख्य अभियुक्त के रूप में नामित तत्कालीन डीसी विकास गर्ग आईएएस की मिलीभगत से बिक्री विलेखों के पंजीकरण के साथ परेशानी शुरू हुई। तत्कालीन प्रकाश सिंह बादल की अगुआई वाली सरकार ने अपने विवेक से, गर्ग के संबंध में अभियोजन स्वीकृति नहीं दी, जो अब परिवहन विभाग के सचिव हैं, जिनका उल्लेख घोटाले में प्रमुख व्यक्तियों में से एक के रूप में किया गया था। इन्होंने अदालत में मुकदमे की कानूनी जांच से बचने में मदद की।
गर्ग के पूर्ववर्ती डीसी दीपिंदर सिंह ने अपने 7 पन्नों के आदेश में कहा था कि जमीन के तीन खरीदारों के खरीद-बिक्री के दस्तावेज पंजीकृत नहीं हो सके, क्योंकि वे 1,200 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की सरकारी जमीन हड़पने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन विजिलेंस ब्यूरो की चार्जशीट के अनुसार गर्ग ने 80 लाख रुपये की रिश्वत ली और फर्जी बिक्री दस्तावेजों के पंजीकरण की सुविधा प्रदान की।
आईएएनएस
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Created On :   24 Nov 2022 12:30 AM IST