इस बार एप से होगी जणगणना, NPR में बायोमीट्रिक, दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके लिए 3,941.35 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। एनपीआर के लिए किसी दस्तावेज, बायो-मीट्रिक की आवश्यकता नहीं होगी। इसके साथ ही 2021 में होने वाली जनगणना को भी मंजूरी दे दी गई है। इस बार जनगणना एप के जरिए कराई जाएगी।
कैबिनेट मीटिंग की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, "देश में 16वीं बार जनगणना और दूसरी बार एनपीआर हो रहा है। उन्होंने कहा, "अभी तक अंग्रेजों के जमाने की जनगणना होती थी। इस बार टेक्नोलॉजी का उपयोग कर प्रक्रिया को आसान बनाया गया है। इसका एक ऐप तैयार किया है। इसमें जनता से कोई भी प्रूफ नहीं लिया जाएगा। जनता से जो जानकारी मिलेगी उसे ही सच माना जाएगा। इस बार 2020 के अप्रैल से सितम्बर तक 6 महीने इसका काम चलेगा। फरवरी 2021 में हेडकाउंट होगा।
एनपीआर को लेकर जावड़ेकर ने कहा, "एनपीआर 2010 में यूपीए सरकार में शुरू हुआ था। अब 2020 में ये अपडेट हो रहा है।" जावड़ेकर ने कहा, "सभी राज्यों ने एनपीआर को स्वीकार किया है। इसके लिए सभी राज्यों में कर्मचारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहे हैं। जो भी भारत में रहता है उसकी गणना उसमें होगी।" जावड़ेकर ने कहा, सरकारी सुविधाओं के लिए सही और सभी लाभार्थियों तक लाभ पहुंचाने के लिए जनगणना और एनपीआर ज़रूरी हैं।
जावड़ेकर ने ये भी साफ किया कि एनपीआर का इस्तेमाल एनआरसी के लिए नहीं किया जाएगा। जावड़ेकर ने कहा, "हमने कभी नहीं कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का इस्तेमाल एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के रूप में किया जाएगा। मैं इसे पूरी तरह नकारता हूं।" उन्होंने कहा, "वर्तमान में, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के माध्यम से एकत्र किए जाने वाले आंकड़ों के आधार पर राष्ट्रव्यापी एनआरसी के संचालन का कोई प्रस्ताव नहीं है।"
बता दें कि एनपीआर देश के निवासियों का एक रजिस्टर है। एनपीआर के जरिए नागरिकों की जनसांख्यिकी जानकारी इक्ट्ठी की जाती है। इसे नागरिकता अधिनियम 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीयन और राष्ट्रीय पहचान) नियम 2003 के प्रावधानों आधार पर स्थानीय (ग्राम/कस्बा/तहसील) /उपजिला/जिला/राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक के लिए एनपीआर में पंजीयन कराना अनिवार्य है।
जनगणना एक अलग कानून (सेंसस एक्ट ऑफ 1948) के तहत किया जाता है। जनगणना का ब्योरा जैसे लोगों का नाम, उनका पता या अन्य ब्योरा प्रकाशित नहीं किया जाता या किसी भी अन्य प्रक्रिया के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता।
Created On :   24 Dec 2019 4:44 PM IST