निर्भया केस: फांसी से बचने के लिए दोषी पवन का नया पैंतरा, दिल्ली हाईकोर्ट में एकमात्र गवाह की विश्वसनीयता को दी चुनौती

Nirbhaya case: Pawan challenges credibility of sole witness in Delhi High Court to avoid hanging
निर्भया केस: फांसी से बचने के लिए दोषी पवन का नया पैंतरा, दिल्ली हाईकोर्ट में एकमात्र गवाह की विश्वसनीयता को दी चुनौती
निर्भया केस: फांसी से बचने के लिए दोषी पवन का नया पैंतरा, दिल्ली हाईकोर्ट में एकमात्र गवाह की विश्वसनीयता को दी चुनौती
हाईलाइट
  • एकमात्र गवाह और निर्भया के दोस्त अवनींद्र की गवाही की विश्वस​नीयता पर सवाल उठाया
  • कोर्ट ने दोषी पर हमले के मामले में जेल से मांगी रिपोर्ट
  • फांसी से बचने के लिए दोषी पवन ने दिल्ली हाईकोर्ट में एकमात्र गवाह की विश्वसनीयता को दी चुनौती

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले में दोषियों को 20 मार्च को फांसी दी जानी है। ऐसे में फांसी की सजा से बचने के लिए दो​षी हर दिन कुछ न कुछ नया पैंतरा आजमा रहे हैं। इस बार दोषी पवन गुप्ता ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अर्जी दायर की है। पवन ने निर्भया गैंगरेप मामले में एकमात्र गवाह और निर्भया के दोस्त अवनींद्र की गवाही की विश्वस​नीयता पर सवाल उठाया है। 

पवन ने हाई कोर्ट में दायर पिटिशन में कहा कि गवाह को बयान देने के लिए सिखाया पढ़ाया गया था, इस कारण उसके बयान को विश्वसनीय नहीं कहा जा सकता है। गौरतलब है कि निर्भया के दोस्त अवनींद्र की गवाही को पवन ने निचली अदालत में भी चुनौती दी थी, जहां उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी। जिसके बाद अब पवन ने हाईकोर्ट में याचिका डाली है।

कोर्ट ने दोषी पर हमले के मामले में जेल से मांगी रिपोर्ट
वहीं दिल्ली के एक अदालत ने गुरुवार को पवन गुप्ता की शिकायत पर मंडोली जेल अधिकारियों से एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) मांगी है। पवन ने दो पुलिस वालों पर पिटाई करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराने की मांग की थी।मेट्रोपॉलिटन न्यायाधीश प्रयांक नायक ने 8 अप्रैल तक जेल अधिकारियों से एटीआर मांगी है। न्यायाधीश ने स्पष्ट किया, इस आदेश का अगले मामले पर कोई असर नहीं होगा। इस मामले के कारण फांसी को नहीं रोका जाएगा। कोर्ट ने बुधवार को जेल अधिकारियों से पवन के उस आवेदन पर जबाव मांगा था, जिसमें पवन ने हर्ष विहार पुलिस स्टेशन के एसएचओ से अनिल कुमार और एक अन्य पुलिस कांस्टेबल पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की थी। 

पिछले साल 26 से 28 जुलाई के बीच जेल में मारपीट करने का आरोप लगाया
पवन ने आरोप लगाया कि उसे पिछले साल 26 से 28 जुलाई के बीच लाठी और घूंसे से पूरे शरीर पर वार किए गए थे। पवन ने अपने आवेदन में कहा कि उन्होंने मुझे धीरे-धीरे जान से मारने की धमकी भी दी थी। उसने आगे बताया कि सिर में चोट के कारण उसका शहादरा के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में इलाज भी किया गया था। इसके बाद जेल अधिकारियों ने इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात कही थी, लेकिन आरोपियों के खिलाफ ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया। दोषियों को बाद में तिहाड़ की जेल नंबर-3 में स्थानांतरित कर दिया गया था।

Created On :   12 March 2020 6:10 PM IST

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