भगवान हनुमान को लेकर बोले मुरारी बापू, कहा- वैज्ञानिक हैं हनुमान जी
- कथावाचक मुरारी बापू ने भगवान हनुमान को बताया वैज्ञानिक
- युवाओं से की अपील हनुमान जी को वैज्ञानिक रुप में देखें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भगवान हनुमान की जाति को लेकर चल रही बयानबाजी के बीच देश के प्रख्यात राम कथा वाचक मोरारी बापू ने हनुमान जी को वैज्ञानिक बताया है। बापू का कहना है कि 21वीं सदी में हनुमान जी को एक वैज्ञानिक के रूप में याद करना चाहिए। समय के अनुरूप में हमें हनुमान जी को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए। मुरारी बापू ने कहा, हमें कोशिश करना चाहिए की हम भगवान की प्रतिमा को गंदा न करें। श्रद्धाभाव अपनी जगह सही है, लेकिन उड़द, तेल, सिंदूर जैसी चीजे अत्याधिक मात्रा में चढ़ाने से प्रतिमा गंदी होती है। बापू ने कहा, पुरानी परंपराओं को भूलकर अब हमें हनुमान को नए तरीके से याद करना चाहिए। बापू ने इसी साल हनुमान जयंती पर एक धार्मिक आयोजन में कहा था कि युवाओं को हनुमान जी को केवल धार्मिक रूप में ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए। बापू ने हनुमान को वैज्ञानिक बताने के पीछे पांच वजहें गिनाई।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भगवान को हनुमान को दलित बताया था। जिसके बाद से देशभर में हनुमान जी की जाति बताने को लेकर बयानबाजी शुरू हो गई। किसी ने हनुमान को आर्य बताया तो किसी ने क्षेत्रीय। दलित वर्ग के कुछ लोगों ने बीते दिनों योगी के बायन के बाद हनुमान मंदिर पर अपना कब्जा जमा लिया था। इन सब के बीच मुरारी बापू ने भगवान हनुमान को वैज्ञानिक बताया है।
मोरारी बापू ने कहा कि हनुमान जी को समास (सूक्ष्म) विज्ञान का ज्ञान था। रामायण में देखा गया कि लंका जाते समय समुद्र पार करने के लिए हनुमान जी ने अति सूक्ष्म रूप धारण कर लिया था। यह सूक्ष्म विज्ञान की जानकारी के बिना नहीं होता।
हनुमान जी के पास गजब का विश्वास था। हनुमान का यह विश्वास प्रभु श्रीराम में था। राम जी में विश्वास रखते हुए हनुमान ने कई सारे बड़े-बड़े कार्य कर डाले। चाहे विशाल समुद्र को पार करना हो, सीता जी का पता लगाना हो या फिर हिमालय पर्वत से संजीवनी लाकर लक्ष्मण जी की जान बचानी हो। यह सब हनुमान जी के विश्वास विज्ञान की वजह से ही हो सका।
मोरारी बापू के मुताबिक, हनुमान जी को व्यास (विस्तार) विज्ञान का ज्ञान था। हनुमान जी जरूरत पड़ने पर अपने रूप को बड़ा कर लेते थे। लंका दहन के समय देखा गया कि हनुमान जी की पूंछ काफी विशाल हो गई थी। इसके अलावा उन्होंने लंका में माता सीता को अपने स्वर्ण रूप का दर्शन कराया था।
मोरारी बापू के अनुसार भजन एक विज्ञान है। हनुमान जी को भजन विज्ञान की जानकारी थी। हनुमान जी निरंतर अपने प्रभु श्रीराम का भजन करते रहते थे। यह कोई साधारण बात नहीं है।
मुरारी बापू ने बताया कि हनुमान जी अपनी हर एक सांस में प्रभु श्रीराम का नाम लेते हैं। यह कोई आसान बात नहीं है। इसके लिए योग की गहरी जानकारी होनी चाहिए। इस प्रकार से हनुमान जी को योग विज्ञान की बहुत अच्छी जानकारी थी।
Created On :   6 Dec 2018 2:56 PM IST