चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले में लालू प्रसाद यादव को 5 साल की सजा, कोर्ट ने 60 लाख जुर्माना लगाया
- चारा घोटाले के ये मामले 1990 से 1996 के बीच के हैं
डिजिटल डेस्क, रांची। रांची स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने डोरंडा ट्रेजरी से 139.5 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को 5 साल की सजा सुनाई है। उन पर 60 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। यह चारा घोटाले से जुड़ा पांचवां मुकदमा है, जिसमें अदालत ने उन्हें सजा सुनाई है।
लालू यादव की सेहत की स्थिति को देखते हुए उन्हें ऑनलाइन पेश होने की अनुमति दी गयी थी। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में रिम्स में इलाजरत हैं। वे रिम्स के पेइंग वार्ड से ही दोपहर 12 बजे कोर्ट में ऑनलाइन उपस्थित रहे। बीते मंगलवार यानी 15 फरवरी को मामले में सीबीआई कोर्ट ने लालू यादव सहित अन्य को दोषी करार दिया था, जिसके बाद सजा मुकर्रर करने के लिए 21 फरवरी की तारीख तय की थी।
सोमवार को अदालत में सजा के बिंदु पर बहस के दौरान लालू प्रसाद यादव के वकील देवर्षि मंडल और प्रभात कुमार ने अदालत से उन्हें कम से कम सजा देने की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि लालू की उम्र 75 साल हो गई है और उन्हें 17 तरह की बीमारियां हैं। बीपी और शुगर हमेशा बढ़ा रहता है।
दूसरी तरफ सीबीआई के अधिवक्ता बीएमपी सिंह ने कहा कि इस मामले में इतने आरोपी और गवाहों को पेश करने की वजह से ट्रायल में देरी हुई है, लेकिन सबकी नजर इस बात पर कि इतने बड़े घोटाले में आखिर दोषियों को कितनी सजा मिलती है। उन्होंने इस मामले में अधिकतम सजा देने की मांग की।
बता दें कि बहुचर्चित चारा घोटाले के इस पांचवें मामले में रांची के डोरंडा थाने में वर्ष 1996 में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। बाद में सीबीआई ने यह केस टेकओवर कर लिया। मुकदमा संख्या आरसी-47 ए/96 में शुरूआत में कुल 170 लोग आरोपी थे। इनमें से 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि सात आरोपियों को सीबीआई ने सरकारी गवाह बना लिया। दो आरोपियों ने अदालत का फैसला आने के पहले ही अपना दोष स्वीकार कर लिया। छह आरोपी आज तक फरार हैं।
इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में अभियोजन की ओर से कुल 575 लोगों की गवाही कराई गई, जबकि बचाव पक्ष की तरफ से 25 गवाह पेश किये गये। इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कुल 15 ट्रंक दस्तावेज अदालत में पेश किये थे। पशुपालन विभाग में हुए इस घोटाले में सांढ़, भैस, गाय, बछिया, बकरी और भेड़ आदि पशुओं और उनके लिए चारे की फर्जी तरीके से ट्रांसपोटिर्ंग के नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध रूप से निकासी की गयी। जिन गाड़ियों से पशुओं और उनके चारे की ट्रांसपोटिर्ंग का ब्योरा सरकारी दस्तावेज में दर्ज किया था, जांच के दौरान उन्हें फर्जी पाया गया। जिन गाड़ियों से पशुओं को ढोने की बात कही गयी थी, उन गाड़ियों के नंबर स्कूटर, मोपेड, मोटरसाइकिल के निकले।
चारा घोटाले के ये मामले 1990 से 1996 के बीच के हैं। बिहार के सीएजी (मुख्य लेखा परीक्षक) ने इसकी जानकारी राज्य सरकार को समय-समय पर भेजी थी लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया। सीबीआई ने अदालत में इस आरोप के पक्ष में दस्तावेज पेश किये कि मुख्यमंत्री पर रहे लालू यादव ने पूरे मामले की जानकारी रहते हुए भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। कई साल तक वह खुद ही राज्य के वित्त मंत्री भी थे, और उनकी मंजूरी पर ही फर्जी बिलों के आधार राशि की निकासी की गयी। चारा घोटाले के चार मामलों में सजा होने के चलते राजद सुप्रीमो को सात बार जेल जाना पड़ा। पूर्व में जिन चार मामलों में उन्हें सजा सुनाई गई थी, उन सभी मामलों में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली है।
(आईएएनएस)
Created On :   21 Feb 2022 9:01 AM GMT