26 जनवरी की परेड से संबंधित जानें 10 रोचक तथ्य

Know 10 interesting facts related to the parade of 26 January
26 जनवरी की परेड से संबंधित जानें 10 रोचक तथ्य
गणतंत्र दिवस 26 जनवरी की परेड से संबंधित जानें 10 रोचक तथ्य
हाईलाइट
  • गणतंत्र दिवस परेड में राष्ट्रपति को दी जाती है 21 तोपों की सलामी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में 26 जनवरी को एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस भी कहा जाता है। क्योंकि इसी दिन 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू हुआ था। गणतंत्र दिवस की भव्य परेड को देखने के लिए करीब 2 लाख लोग आते हैं। परेड के दौरान राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दिए जाने की प्रथा है। बता दें कि 21 तोपों की यह सलामी 21 बंदूकों से नहीं, बल्कि भारतीय सेना की 7 तोपों से दी जाती है, जिन्हें "25 पाउंडर्स" कहा जाता है। राष्ट्रगान शुरू होते ही राष्ट्रपति को पहली सलामी दी जाती है और फिर ठीक 52 सेकंड बाद आखिरी सलामी दी जाती है।

परेड से कुछ दिन पहले ही इंडिया गेट और आसपास के इलाकों की सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी जाती है और एक अभेद किले में तब्दील कर दी जाती है। परेड को सुचारू ढ़ंग से संचालित करने के लिए सेना के हजारों जवानों के अलावा कई अन्य लोग भी सक्रिय रूप से जुटे रहते हैं। गौरतलब है कि परेड की औपचारिक रूप से जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की होती है। इस साल कोविड-19 महामारी के कारण गणतंत्र दिवस परेड 2022 के समारोहों में मुख्य अतिथि के रूप में कोई विदेशी नेता नहीं होगा। आइये अब हम 26 जनवरी की परेड से जुड़े 10 रोचक तथ्यों के बारें में जानते हैं।

 

1- जैसा कि हम सभी जानते है कि 26 जनवरी की परेड का आयोजन हर वर्ष नई दिल्ली स्थिति राजपथ पर किया जाता है। लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी कि वर्ष 1950 से लेकर वर्ष1954 तक परेड का आयोजन स्थल राजपथ नहीं था। इन वर्षों के दौरान 26 जनवरी की परेड का आयोजन इरविन स्टेडियम (अब नेशनल स्टेडियम), किंग्सवे, लाल किला और रामलीला मैदान में किया गया था। 1955 से राजपथ 26 जनवरी की परेड का स्थायी आयोजन स्थल बन गया, उस समय राजपथ को किंग्सवे के नाम से जाना जाता था। 

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2- गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान हर साल किसी न किसी देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया जाता है। 26 जनवरी 1950 को आयोजित पहले परेड में अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डॉ. सुकर्णो को आमंत्रित किया गया था। जबकि 1955 में राजपथ पर आयोजित पहले परेड में अतिथि के रूप में पाकिस्तान के गवर्नर जेनरल मलिक गुलाम मोहम्मद को आमंत्रित किया गया था। 

3- गणतंत्र दिवस की परेड की शुरूआत राष्ट्रपति के आगमन के साथ होती है। सबसे पहले राष्ट्रपति के घुड़सवार अंगरक्षकों के द्वारा तिरंगे को सलामी दी जाती है, उसी समय राष्ट्रगान बजाया जाता है और 21 तोपों की सलामी दी जाती है। रोचक बात यह है तोप द्वारा की जाने वाली फायरिंग का समय राष्ट्रगान के समय से मेल खाता है। पहली फायरिंग राष्ट्रगान के शुरूआत के समय की जाती है जबकि अंतिम फायरिंग ठीक 52 सेकेण्ड के बाद की जाती है। इन तोपों को 1941 में बनाया गया था और सेना के सभी औपचारिक कार्यक्रमों में इसे शामिल किया जाता है।

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4- गौरतलब है कि परेड में जिन दलों को भाग लेना होता है वो सुबह करीब 2 बजे ही तैयार हो जाते हैं और सुबह करीब 3 बजे तक राजपथ पर पहुंच जाते हैं। लेकिन परेड की तैयारी पिछले साल जुलाई में ही शुरू हो जाती है जब सभी दलों को परेड में भाग लेने के लिए अधिसूचित किया जाता है। अगस्त तक वे अपने संबंधित रेजिमेंट केन्द्रों पर परेड का अभ्यास करते हैं और दिसंबर में दिल्ली आते हैं। 26 जनवरी की परेड में औपचारिक रूप से भाग लेने से पहले तक विभिन्न दल लगभग 600 घंटे तक अभ्यास कर चुके होते हैं। 

5-  परेड में शामिल होने वाले टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों तथा भारत की सामरिक शक्ति को प्रदर्शित करने वाले अत्याधुनिक उपकरणों के लिए इंडिया गेट परिसर के भीतर एक विशेष शिविर बनाया जाता है। प्रत्येक हथियार की जाँच एवं रंग-रोगन का कार्य 10 चरणों में किया जाता है।

6- 26 जनवरी की परेड के लिए हर दिन अभ्यास के दौरान और फुल ड्रेस रिहर्सल के दौरान प्रत्येक दल 12 किमी की दूरी तय करती है जबकि परेड के दिन प्रत्येक दल 9 किमी की दूरी तय करती है।  पूरे परेड के रास्ते पर जजों को बैठाया जाता है जो प्रत्येक दल पर 200 मापदंडों के आधार पर बारीकी से नजर रखते हैं, जिसके आधार पर सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग दल को पुरस्कृत किया जाता है। 

7- गौरतलब है कि परेड में भाग लेने वाले प्रत्येक सैन्यकर्मी को चार स्तरीय सुरक्षा जाँच से गुजरना पड़ता है। इसके अलावा उनके द्वारा लाए गए हथियारों की गहन जाँच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके हथियारों में जिन्दा कारतूस तो नहीं है। पूरी सुरक्षा के बीच ही परेड की इजाजत दी मिलती है।

8- परेड में शामिल सभी झांकियां 5 किमी प्रति घंटा की गति से चलती हैं ताकि गणमान्य व्यक्ति इसे अच्छे से देख सके। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन झांकियों के चालक एक छोटी सी खिड़की के माध्यम से वाहनों को चलाते है। परेड के दौरान इन झांकियों की मनमोहक दृश्य देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग जुटते हैं। 

Republi Day Jhanki 2016

9- परेड के दौरान सबसे रोचक हिस्सा फ्लाईपास्ट होता है। इस फ्लाईपास्ट की जिम्मेवारी पश्चिमी वायुसेना कमान के पास होती है जिसमें 41 विमान भाग लेते हैं. परेड में शामिल होने वाले विभिन्न विमान वायुसेना के अलग-अलग केन्द्रों से उड़ान भरते हैं और तय समय पर राजपथ पर पहुँच जाते है।

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10- गौरतलब है कि आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 में गणतंत्र दिवस की परेड के आयोजन में लगभग 320 करोड़ रूपये खर्च किये गए थे। जबकि 2001 में यह खर्च लगभग 145 करोड़ था। इस प्रकार 2001 से लेकर 2014 के दौरान 26 जनवरी की परेड के आयोजन में होने वाले खर्च में लगभग 54.51% की वृद्धि हुई थी। 26 जनवरी के दिन आयोजन को लेकर काफी खर्च आते है। 

Created On :   25 Jan 2022 1:59 PM GMT

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