काकोरी कांड जिसने बदल दी क्रांति की तस्वीर,जाने कौन थे वह अहम चेहरे

Kakori incident which changed the picture of revolution, know who were the important faces
काकोरी कांड जिसने बदल दी क्रांति की तस्वीर,जाने कौन थे वह अहम चेहरे
काकोरी कांड जिसने बदल दी क्रांति की तस्वीर,जाने कौन थे वह अहम चेहरे
हाईलाइट
  • काकोरी कांड जिसने बदल दी क्रांति की तस्वीर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  भारत के इतिहास में ऐसे कई सारे अहम आंदोलन है जिसकी बदौलत हमने स्वतंत्रता हासिल की है इन्हीं में से एक है काकोरी कांड,हो सकता है आपने इसके बारे में ज्यादा ना सुना हो लेकिन स्वाधीनता आंदोलन में इसकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस घटना ने लोगों की सोच को बदल कर रख दिया था, उनके दिल में देश के लिए प्रेम और क्रांतिकारियों के लिए सम्मान को बढ़ा दिया। लोग क्रांतिकारियों को रोल मॉडल के रूप में देखने लगे थे। भारत के युवा वर्ग में गांधी जी के असहयोग आंदोलन को वापस लेने से काफी निराशा उत्पन्न हो गई थी, इसके फल स्वरूप उन्होनें काकोरी कांड को अंजाम दिया।

9 अगस्त 1925: काकोरी कांड की पूरी कहानी, भगत सिंह की जुबानी - kakori kand  train loot bhagat singh ram prasad bismil ashfaqulla khan independence  story atsn - AajTak

घटना 9 अगस्त 1925 की है जब क्रांतिकारियों ने काकोरी नामक स्थान पर एक ट्रेन में धाबा बोल कर लूट को अंजाम दिया था। इस वजह से इस घटना को काकोरा कांड के नाम से जाना जाता है।‘हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन’ के क्रांतिकारियों ने इस घटना को अंजाम दिया था उनका मकसद था इस लूट से मिले पैसों से हथियार खरीदना और उसे अंग्रेजों के खिलाफ इस्तेमाल करना। 
1923 में शचीन्द्रनाथ ने ‘हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन’ की स्थापना की थी, इस क्रांतिकारी संगठन का मुख्य उद्देश्य था डाका डालना और पैसे जुटाना,अंग्रेजों द्वारा उन्हें चोर-लूटेरा बोल कर बदनाम किया जाता था। शुरूआत में चोरी की घटनाओं में निर्दोष लोंगो की भी जान जाती थी। बाद में क्रांतिकारियों द्वारा अपनी योजना में बदलाव किया गया जिसकी वजह से वह सिर्फ सरकारी खजाने को अपना निशाना बनाते थे। इसी का फल था काकोरी का ट्रेन कांड।

What Marxist Historians won't tell you about Kakori Train Raid? - TFIPOST

कहा जाता है की शुरूआत में ट्रेन को लूटने के लिए सभी तैयार नहीं थे, अशफाक उल्लाह खां का मानना था की इस से वह सरकार को सीधी चुनौती देंगे, कहीं ना कहीं यह उनकी पार्टी के अंत को बुलावा देगा। पर आखिर तक सबने ट्रेन को लूटने का मन बना लिया। ट्रेन को लूट कर उन्होंने कुल 4601 रूपये जुटाएं थे। 11 अगस्त 1925 को लखनऊ के पुलिस कप्तान मि. इंग्लिश ने अपने बयान में बताया था की कुल 25 लोगों ने घटना को अंजाम दिया था, सबने खाकी रंग के कपड़े पहन रखे थे। सभी देखने में पढ़े-लिखे लग रहे थे उन्होंने हाथों में पिस्तौल रखा हुआ था। पिस्तौल की कारतूस इससे पहलें बंगाल के क्रांतिकारियों द्वारा इस्तेमाल की गई कारतूस से मेल खा रहा था। 
काकोरी घटना को 10 लोगों ने मिल कर अंजाम दिया था,इस घटना के बाद सरकार काफी चौकन्ना हो गई उसने जगह-जगह गिरफ्तारियां करनी शुरू कर दी, देशभर से कुल 40 लोगों को सरकार ने गिरफ्तार किया। इस घटना के बाद पूरे देश में हलचल सी मच गई।क्रांतिकारी चाहते थे की उनका मुकदमा उस समय के प्रसिध्द वकील गोविंद वल्लभ पंत द्वारा लडा जाए पर पैसों की तंगी की वजह से कलकत्ता के बीके चौधरी ने क्रांतिकारियों के पक्ष से यह मुकदमा लडा। 

10 Important Facts about Kakori Train Conspiracy

6 अप्रेल 1927 को इस मामले में जज हेमिल्टन ने धारा 121A,120B,और 396 को मद्दे नजर रखते हुए फैसला सुनाया। रामप्रसाद ‘बिस्मिल’, राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खां को फांसी की सजा दी गई। मन्मथनाथ गुप्त को 14  साल के लिए सजा हुई और शचीन्द्रनाथ सान्याल को कालेपानी का सजा मिली। योगेशचंद्र चटर्जी, गोविन्द चरणकर, मुकंदीलाल जी,  राजकुमार सिंह, रामकृष्ण खत्री को 10 साल की सजा हुई। विष्णुशरण दुब्लिश और सुरेशचंद्र भट्टाचार्य को 7 साल की और भूपेन्द्रनाथ, रामदुलारे त्रिवेदी और प्रेमकिशन खन्ना को 5 साल की सजा दी गई। सबसे पहले 17 दिसंबर 1927 को राजेंद्रनाथ लाहिड़ी को गांडा जेल  में फांसी की सजा दी गई।

  10 Important Facts about Kakori Train Conspiracy 

Created On :   7 Aug 2021 7:37 PM IST

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