भारत बनाने जा रहा है सुरक्षा से लैस टनल, चीन को मिलेगी सीधी टक्कर
- साढ़े सोलह हजार फीट पर बनेगी टनल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने लद्दाख में निमू-पदम-दरचा सड़क पर शिंकुन ला सुरंग बनाने को हरी झंडी दे दी है। यह 4.1 किलोमीटर लंबी सुरंग होगी, जो बन जाने के बाद चीन की चुनौतीयों से निपटने में कारगर साबित होगी। कनेक्टिविटी के लिहाज से भी यह महत्वपूर्ण होगी जो सभी मौसमों में सुविधा प्रदान करेगी। इस टनल के बन जाने से लद्दाख जाने में कम समय लगेगा। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि इस टनल का काम साल 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।
सुरक्षा के लिहाज से है काफी अहम
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि लद्दाख के लिए यह टनल बहुत ही जरूरी है। यह अन्य राज्यों से लद्दाख को जोड़ने का काम करेगी, जिससे कनेक्टिविट और बेहतर होगी। सरकार की मंशा है की हर क्षेत्र को पूरी तरह शहरी इलाकों से जोड़ा जाए। उन्होंने सुरक्षा का जिक्र करते हुए कहा कि यह परियोजना सुरक्षा के लिहाज से भी काफी अहम है। इन इलाकों में हमारे सुरक्षाकर्मी आसानी से जा सकेंगे।
साढ़े सोलह हजार फीट पर बनेगी टनल
यह सुरंग मनाली-दरचा-पदम-निमू एक्सिस पर 16,500 फीट ऊंचाई पर स्थित होगी। इस टनल की वजह से पश्चिमी लद्दाख और जांस्कर घाटी के बीच हर मौसम में कनेक्टिविट बनी रहेगी। नए टनल की वजह से सीमावर्ती इलाकों तक पहुंचने में काफी कम वक्त लगेगा।
क्या है सुरंग की खासियत
टनल गोला, बारूद और भयानक हथियारों का सामना करने में भी सक्षम होगा। ऐसे में सुरक्षाकर्मी इस टनल में छुपकर चीन और पाकिस्तान के हमलों से बच सकेंगे एवं अपने प्लान को अंजाम दे सकेंगे। इसके साथ ही सैन्यबल अपने गोला-बारूद को भी इस टनल में छुपा सकेंगे, जिससे यह हमलों की स्थिति में तबाह होने से बच जाएगा।
कितनी लंबी होगी सुरंग?
इस परियोजना पर साल 2021 से ही काम चल रहा है। लेकिन अब जाकर इसे पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। सुरंग की लंबाई के लिए सीमा सड़क संगठन और राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के बीच तकरार भी हुई थी। दरअसल, बीआरओ ने छोटी सुरंग बनाने का प्रस्ताव रखा लेकिन एनएचआईडीसीएल ने 12.7 किमी सुरंग का प्रस्ताव रखा था। लेकिन बाद में बीआरओ की बात को फाइनल किया गया और अब 4 किमी तक ही सुंरग बनाई जा रही है।
तेजी से काम चल रहा
भारत चीन से 3,488 किमी लंबी सीमा साझा करता है। जिसे एलएसी (LAC) यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा के नाम से जाना जाता है। एलएसी पर चीन तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है लेकिन भारत लंबे वक्त तक इसे तरजीह नहीं देने की नीति पर आगे बढ़ता रहा। हालांकि, हाल के दिनों में भारत भी अपने सीमावर्ती इलाकों को तेजी से विकसित कर रहा है। ताकि इसे भी शहरी क्षेत्रों से जोड़ा जा सके। करीब तीन सालों के दौरान भारत सरकार ने इन सीमावर्ती इलाकों में तेजी से सुरंग, पुल-पुलिया, सैनिकों की रिहाइश, हैलिपेड जैसे कई मोर्चों पर काम किया है।
सरकार ने लिया अहम फैसला
केंद्र सरकार ने आईटीबीपी की सात बटालियन और एक सेक्टर हेडक्वॉर्टर को भी हरी झंडी दी है। यह देश के उत्तरी सीमा पर स्थित गांवों के लिए विकास कार्य करने वाली है। जिसका नाम 'वाइब्रेंट विलेज' दिया गया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि कैबीनेट ने आईटीबीपी की 47 सीमा चौकी और 12 कैंप बनाने को मंजूरी दी थी। जिसका काम अभी भी चल रहा है। इसके लिए जरूरी अतिरिक्त बलों की भरपाई के लिए आईटीबीपी की सात नई बटालियन बनाने का निर्णय लिया है।
Created On :   16 Feb 2023 2:23 PM GMT