वेंकैया नायडू ने खारिज किया CJI पर विपक्ष का महाभियोग प्रस्ताव नोटिस
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- उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को संविधानविदों और कानूनी विशेषज्ञों से बातचीत की थी।
- कानूनी सलाह के बाद वेंकैया नायडू ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
- । सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को संविधानविदों और कानूनी विशेषज्ञों से बातचीत की थी। कांग्रेस की अगुवाई में 7 विपक्षी पार्टियों ने उपराष्ट्रपति के सामने ये प्रस्ताव पेश किया गया था, लेकिन कानूनी सलाह के बाद वेंकैया नायडू ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। नायडू ने इस प्रस्ताव पर अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल, संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव पीके मल्होत्रा समेत अन्य विशेषज्ञों से कानूनी राय ली है। महाभियोग प्रस्ताव पर विचार-विमर्श के लिए नायडू अपना हैदराबाद दौरा अधूरा छोड़कर वापस दिल्ली लौटे थे। बता दें कि 20 अप्रैल को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में 7 विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम.वेकैंया नायडू से मुलाकात कर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को हटाने के लिए एक महाभियोग प्रस्ताव सौंपा था।
Vice President M Venkaiah Naidu rejects the Impeachment Motion against CJI Dipak Misra. pic.twitter.com/Bz53ikvAwh
— ANI (@ANI) April 23, 2018
महाभियोग के प्रस्ताव के बाद से ही सभी की नज़रें वेंकैया नायडू पर टिकी थीं बता दें कि शुक्रवार को कांग्रेस सहित 7 विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति नायडू को चीफ जस्टिस मिश्रा के खिलाफ कदाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए नोटिस दिया था।
वहीं कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट में अरसे से प्रैक्टिस कर रहे कपिल सिब्बल ने ऐलान कर दिया है कि अगर जस्टिस दीपक मिश्रा रिटायरमेंट तक पद पर बने रहते हैं तो वे उनकी कोर्ट में पेश नहीं होंगे। सिब्बल ने कहा कि मेरे साथ 63 अन्य लोगों ने भी जस्टिस दीपक मिश्रा को हटाने की मांग की है। अब मैं सोमवार से सीजेआई की अदालत में नहीं जाऊंगा।
प्रस्ताव खारिज होने पर सुप्रीम कोर्ट का रूख करेगी कांग्रेस!
उधर, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अगर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ठुकराते हैं तो पार्टी सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस नेताओं का मानना है कि CJI के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को वेंकैया नायडू निश्चित तौर पर ठुकरा देंगे, ऐसी स्थिति में सभापति के फैसले को चुनौती दी जा सकती है। पार्टी नेताओं का कहना है कि इस मामले में न्यायिक समीक्षा की जा सकती है। कांग्रेस नेताओं का यह भी कहना है कि महाभियोग प्रस्ताव आने के बाद CJI को खुद न्यायिक कार्य से अलग हो जाना चाहिए।
71 सांसदों ने किए थे प्रस्ताव पर हस्ताक्षर
CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर 7 राजनीतिक दलों के 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। इनमें से 7 रिटायर हो चुके हैं। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि इस नोटिस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इससे यह भी साफ है कि कांग्रेस पार्टी के अंदर भी कई ऐसे नेता हैं, जो इस महाभियोग को समर्थन नहीं दे रहे हैं।
क्या था चीफ जस्टिस विवाद
सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने इस साल जनवरी में देश के इतिहास में पहली बार चीफ जस्टिस पर सवाल खड़े किए थे। इन जजों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है और यदि ऐसा ही चलता रहा, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। जजों द्वारा उठाए गए इन मुद्दों पर जमकर बवाल मचा था। तमाम विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार की खिंचाई की थी। सीपीएम महासचिव सीतराम येचुरी ने विपक्षी दलों के साथ मिलकर जस्टिस मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की बात भी कही थी।
जस्टिस जे चेलामेश्वर के नेतृत्व में जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीफ जस्टिस को सवालों के घेरे में लिया था। चारों जजों ने सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न मामलों को आवंटित करने में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। जजों का यह आरोप था कि चीफ जस्टिस की ओर से कुछ मामलों को चुनिंदा बेंचों और जजों को ही दिया जा रहा है। जजों ने इस दौरान जस्टिस लोया केस का मामला जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच को सौंपने पर भी सवाल खड़ा किया था। बता दें कि जस्टिस बीएच लोया की 1 दिसंबर 2014 को हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। वे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे। गुजरात के इस चर्चित मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत गुजरात पुलिस के कई आला अधिकारियों के नाम आए थे।
मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए चार जजों ने कहा था, "करीब दो महीने पहले हमनें चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर बताया कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए हमनें देश के सामने यह बात रखने की सोची।" इस दौरान जजों ने यह भी कहा था कि वे नहीं चाहते कि 20 साल बाद कोई बोले कि जस्टिस चेलामेश्वर, गोगोई, लोकुर और कुरियन जोसेफ ने अपनी आत्मा बेच दी और संविधान के मुताबिक सही फैसले नहीं दिए।
Created On :   22 April 2018 11:59 PM IST