हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त कश्मीरी प्रवासी को सरकारी क्वार्टर का आवंटन जारी रखने से इनकार किया

HC refuses to continue allotment of government quarters to retired Kashmiri migrant
हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त कश्मीरी प्रवासी को सरकारी क्वार्टर का आवंटन जारी रखने से इनकार किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त कश्मीरी प्रवासी को सरकारी क्वार्टर का आवंटन जारी रखने से इनकार किया
हाईलाइट
  • तबादला जम्मू-कश्मीर से दिल्ली कर दिया गया था।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक कश्मीरी प्रवासी को सरकारी आवास के आवंटन को नियमित (रेगुलर) करने से इनकार कर दिया, जो सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं।अदालत ने यह देखते हुए कि सरकार के पास असीमित आवास नहीं है, उन्हें सरकार की ओर से आवंटित आवास जारी रखने की अनुमति नहीं दी।

दरअसल याचिका में कश्मीरी प्रवासी होने के आधार पर सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद भी सरकारी आवंटन जारी रखने की मांग की गई थी, मगर हाईकोर्ट ने इससे इनकार कर दिया।याचिकाकर्ता सुशील कुमार धर, एक कश्मीरी प्रवासी, जो पिछले साल 31 मार्च को सेवानिवृत्त हुए थे, उन्होंने पहले के एक अदालत के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए निष्कासन आदेशों के खिलाफ दायर इसी तरह की याचिकाओं के एक बैच को खारिज कर दिया गया था।

भारत संघ बनाम ओंकार नाथ धर मामले में सुप्रीम कोर्ट के 7 अक्टूबर, 2021 के आदेश का हवाला देते हुए तीन साल के लिए सामान्य लाइसेंस शुल्क चार्ज करके सरकारी क्वार्टरों को नियमित करने की मांग की गई थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की खंडपीठ धर की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने कहा कि स्टेट उन्हें कश्मीर में अपने गांव को फिर से स्थापित करने के लिए उचित सुरक्षा देने में असमर्थ है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल दिल्ली में सुरक्षित महसूस करता है। उन्होंने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा, एक कश्मीरी प्रवासी पंडित के तौर पर मैं वापस नहीं जा सकता।तमाम दलीलें पेश किए जाने के बाद, अदालत ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकारी अधिकारी अपीलकर्ता के साथ भेदभाव कर रहे हैं। यह पूछते हुए कि सरकारी आवास के लिए कतार में इंतजार कर रहे अन्य लोगों की क्या दुर्दशा होगी, यदि वह इस याचिका को अनुमति देती है, पीठ ने कहा, सरकार के पास असीमित आवास नहीं है।

याचिकाकर्ता धर के अनुसार, उनका तबादला जम्मू-कश्मीर से दिल्ली कर दिया गया था। वह 1983 में उधमपुर में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन में शामिल हुए थे। पहले के फैसले में, न्यायमूर्ति कामेश्वर राव की पीठ ने कहा था कि याचिकाकर्ता को जनवरी 1993 में दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था, यानी 1989 से चार साल बाद ऐसा किया गया था। इसे देखते हुए अदालत ने सुरक्षा संबंधी समस्याओं को लेकर उनके दावों पर अमल नहीं किया।

 

(आईएएनएस)

Created On :   23 March 2022 3:31 PM IST

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