वैश्विक कार्बन उत्सर्जन तय करेगा भविष्य, इससे निपटने के लिए जी20 अहम : वैज्ञानिक

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
जी20 वैश्विक कार्बन उत्सर्जन तय करेगा भविष्य, इससे निपटने के लिए जी20 अहम : वैज्ञानिक
हाईलाइट
  • दो दिवसीय विज्ञान-20 सम्मेलन

डिजिटल डेस्क, अगरतला। वैश्विक कार्बन उत्सर्जन भविष्य, मानव भाग्य और आजीविका का निर्धारण करेगा, इसलिए चुनौती से निपटने के लिए जी20 बहुत महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिकों ने यह बात अगरतला में भारत की अध्यक्षता के तहत जी20 के दो दिवसीय विज्ञान-20 सम्मेलन के उद्घाटन के दिन कही।

वैज्ञानिकों ने कहा कि ऐसा कोई देश या समाज नहीं है जो कार्बन उत्सर्जन की चुनौतियों का अकेले समाधान कर सके, इसलिए जी20 इतना महत्वपूर्ण है और सभी देशों को जलवायु परिवर्तन और सतत विकास की इन समस्याओं का समाधान करने के लिए वैश्विक शक्ति के रूप में मिलकर काम करना होगा।

साइंस-20 मीट की अध्यक्षता कर रहे भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष आशुतोष शर्मा ने कहा कि सतत भविष्य, विकास और जलवायु परिवर्तन के लिए स्वच्छ ऊर्जा बहुत जरूरी है।

उन्होंने कहा, अभी हमें स्वच्छ ऊर्जा की जरूरत है, जो कि विज्ञान 20 सम्मेलन का विषय है - स्वच्छ भविष्य के लिए स्वच्छ ऊर्जा। एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य जलवायु परिवर्तन के लिए बहुत सही है, क्योंकि सभी चुनौतियां, जिनका हम सामना कर रहे हैं, आज एक वैश्विक चुनौती है।

इस कार्यक्रम का आयोजन जी20 देशों के इनपुट के साथ किया गया है। यहां 10 देशों के वैज्ञानिक मौजूद हैं, जबकि अन्य देश वर्चुअली अपना इनपुट दे रहे हैं। शर्मा ने कहा कि हाइड्रोजन उन बड़े और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, जहां दुनियाभर में काम चल रहा है और एक हाइड्रोजन मिशन है जिसे भारत में आगे बढ़ाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि नवंबर तक, भारत 1 दिसंबर को जी20 की अध्यक्षता ब्राजील को सौंपने से पहले जी20 देशों के सहयोग से क्या किया जाना चाहिए, इस पर रिपोर्ट, नीतिगत दस्तावेज और कार्य मानचित्र तैयार करके इन मुद्दों पर काम करेगा। वैश्विक मुद्दों के साथ विशेष रूप से ऊर्जा क्षेत्र में त्रिपुरा में स्थानीय मुद्दों पर भी चर्चा की गई।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय सूद ने कहा कि 4 जनवरी को सरकार द्वारा हरित हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की गई थी, जिसे नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा संचालित किया जाता है। मिशन की लागत लगभग 18,000 करोड़ रुपये है, जिसमें कई मंत्रालय शामिल हैं, जिनमें इस्पात, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, उर्वरक, नौवहन मंत्रालय के साथ-साथ कई विज्ञान निकाय शामिल हैं।

यह 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के साथ जलवायु परिवर्तन के मुद्दे के समाधान के प्रति भारत सरकार की गंभीरता और जिम्मेदारी को दर्शाता है। विज्ञान-20 सम्मेलन में चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।

 

आईएएनएस

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   4 April 2023 12:30 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story