भारतीय सेना के इतिहास में पहली बार बेटी संभालेगी सबसे ऊंची चोटी की कमान, कैप्टन शिवा चौहान देंगी दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में अपनी सेवा
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- सेनाओं की तैनाती पाकिस्तान और चीन की बॉर्डर पर की जाती है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दंगल फिल्म का एक मशहूर डायलॉग है 'म्हारी छोरिया छोरों से कम हैं के। इसी को अब सच साबित करने जा रही हैं भारतीय सेना की फायर एंड फुरी कॉर्प्स की महिला अधिकारी शिवा चौहान। आज के दौर में पुरूषों के साथ-साथ महिलाएं भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिसमे महिलाओं की बराबर की भागीदारी न हो। शिवा चौहान अब मातृभूमि की सुरक्षा के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में तैनात हैं। मां भारती की रक्षा के लिए कैप्टन शिवा 15,632 फीट की उंचाई पर अपनी सेवा दे रही हैं। भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि किसी महिला को इतनी ऊंचाई पर व खतरों से भरे इस क्षेत्र में पोस्टिंग मिली हो।
कड़ी मेहनत करने के बाद पहुंची
कड़ी ट्रेनिंग के बाद कैप्टन शिवा को दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में तैनात किया गया है। गौरतलब है कि फायर एंड फुरी कॉप कॉर्प्स ने ट्वीटर पर जानकारी साझा करते हुए लिखा कि कैप्टन शिवा फायर एंड फुरी सैपर्स हैं, जिन्हें कुमार पोस्ट पर तैनात किया गया है। इसी के साथ वो पहली ऐसी भारतीय महिला बन गई हैं। बता दें कि फायर एंड फुरी कॉर्प्स का मुख्यालय लेह में है, जो सेना के उत्तरी कमांड के तहत आता है।
— @firefurycorps_IA (@firefurycorps) January 3, 2023
इन सेनाओं की तैनाती पाकिस्तान और चीन की बॉर्डर पर की जाती है। इसके अलावा ये सियाचिन ग्लेशियर की रक्षा करते हैं। वहीं आधिकारिक तौर पर फायर एंड फुरी कॉर्प्स को 14वां कॉर्प्स कहा जाता है। सियाचिन में दिन का तापमान माइनस 21 डिग्री सेल्सियस, जबकि रात में पारा माइनस 32 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़का हुआ रहता है। समझा जा सकता है कि हमारे जवान मातृभूमि की सुरक्षा के लिए अपने सुख चैन को त्याग कर हमारी रक्षा करते हैं।
तैनात हैं 3 हजार जवान
सियाचिन को साल 1984 में मिलिट्री बेस बनाया गया था। तब से लेकर मौजूदा समय में करीब 873 सैनिक खराब मौसम की वजह से वीर गति को प्राप्त हो चुके हैं। दुनिया के सबसे ऊंचाई वाले क्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर हमेशा 3 हजार भारतीय जवान तैनात रहते हैं। बेहद ठंड होने की वजह से जवानों की भी सुरक्षा अहम हो जाती है, जिसके लिए केंद्र सरकार इन पर रोज करीब 5 करोड़ रूपये खर्च करती है। जिसमे सैनिकों की वर्दी, जूते और स्लीपिंग बैग्स शामिल है। ताकि जवानों को ठंड से बचाया जा सके।
जोखिम से भरा है इलाका
सियाचिन ग्लेशियर पर ज्यादातर समय शून्य से नीचे ही पारा होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस ग्लेशियर में अब तक भारत और पाकिस्तान के लगभग 2500 हजार सैनिक अपनी जान गवां चुके हैं। वहीं साल 2012 में पाकिस्तान के गयारी बेस कैंप में हिमस्खलन की वजह से करीब 124 सैनिक समेत 11 पाक नागरिकों की मौत हो गई थी।
Created On :   3 Jan 2023 4:29 PM IST