क्या आप जानते हैं? देश के राष्ट्रपति हमेशा 25 जुलाई को ही क्यों लेते हैं शपथ, आइए जानते है इसके पीछे की वजह
- 9 राष्ट्रपति ले चुके हैं 25 जुलाई के दिन शपथ
- इस बार देश को 15वां राष्ट्रपति मिलेगा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों देशभर में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी हलचल बढ़ गई है। गौरतलब है कि आगामी 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद का चुनाव होना है। जबकि 21 जुलाई को चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे, इस बार देश को 15वां राष्ट्रपति मिलेगा। जैसे-जैसे राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है। एनडीए व विपक्षी दलों में अपने पक्ष के उम्मीवारों के लिए वोट मांगने की कवायद तेज हो गई है।
एनडीए की तरफ से द्रौपदी मुर्मू को जबकि विपक्ष की तरफ से यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आगामी 25 जुलाई को देश के नए राष्ट्रपति शपथ लेंगे। देश में ऐसा पहली बार नहीं देखा जा रहा है कि जब 25 जुलाई को ही राष्ट्रपति शपथ लेंगे। इसके पहले भी 25 जुलाई को देश के कई राष्ट्रपति शपथ ले चुके हैं। बताया जा रहा है कि देश में कई सालों से इस तारीख को राष्ट्रपति शपथ की परंपरा चलती आ रही है। माना जा रहा है कि इसी वजह से 25 जुलाई को ही राष्ट्रपति को शपथ दिलाया जाता है।
रामनाथ कोविंद का पूरा हो रहा कार्यकाल
गौरतलब है कि देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का मौजूदा कार्यकाल आगामी जुलाई माह में ही खत्म हो रहा है। उन्होंने भी साल 2017 में 25 जुलाई को ही राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। उनके अलावा पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रतिभा देवी सिंह पाटिल भी इसी तारीख को शपथ ले चुकीं हैं। दिलचस्प बात यह है कि देश में एक भी दिन राष्ट्रपति पद खाली नहीं जाता है। जैसे ही राष्ट्रपति पद का कार्यकाल खत्म होता है, उसी के दूसरे दिन नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को शपथ दिला दी जाती है।
इतने राष्ट्रपतियों ने ली 25 जुलाई को शपथ
देश के कुल 9 राष्ट्रपतियों ने अब तक 25 जुलाई को शपथ ली है। ऐसा माना जा रहा है, इन्हीं वजहों से इस बार भी 25 जुलाई को जीते हुए राष्ट्रपति को शपथ दिलाया जाएगा। गौरतलब है कि राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल के लिए होता है। राष्ट्रपति चुनाव में जनता सीधेतौर पर भाग नहीं लेती है।
बल्कि लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य मिलकर राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। राष्ट्रपति के चुनाव के लिए एक खास किस्म की चुनाव प्रक्रिया का पालन किया जाता है। इसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहा जाता है। इसके तहत मतदाता अपनी पसंद के अनुसार 1, 2, 3, 4 के क्रम में उम्मीदवारों को चुनता है, लेकिन वह कई अन्य उम्मीदवारों को अपनी प्राथमिकता के क्रम में चुनता है। यानी जन-प्रतिनिधि राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने बैलेट पेपर में अपनी पहली, दूसरी, तीसरी पसंद का चुनाव करता है।
Created On :   29 Jun 2022 9:16 PM IST