आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर CJI का बयान, बोले-इस पर गंभीर अध्ययन जरूरी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) का पद ग्रहण करने वाले शरद अरविंद बोबडे ने गुरुवार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बयान सामने आया है। CJI ने कहा कि कानून के क्षेत्र में एआई के भविष्य को लेकर गंभीर अध्ययन होना चाहिए। खासतौर से हमें यह देखना होगा कि न्यायिक फैसले लेने में यह कैसे मददगार हो सकता है। मगर यह भी ध्यान रखना होगा कि यह उसका विकल्प न बन जाए।
बोबडे ने कहा कि जिस तरह से इंफॉर्मेशन व टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल समय के साथ लोगों के बीच बढ़ा है, उसके बाद हमे आईटी और इससे जुड़ी सुविधाओं का इस्तेमाल और सावधानी से करना चाहिए। आईटी और इससे जुड़ी सुविधाओं को और भी बेहतर व सस्ता बनाने की जरूरत है, साथ ही इसकी मदद से लोगों को न्याय देने में भी सहूलियत होगी।
47 वें मुख्य न्यायाधीश बनें बोबडे
अयोध्या भूमि विवाद पर ऐतिहासिक फैसला देने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस शरद अरविंद बोबडे 18 नवंबर को भारत के 47 वें मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं। CJI के तौर पर 63 वर्षीय जस्टिस बोबडे का कार्यकाल करीब 17 महीने का होगा और वह 23 अप्रैल, 2021 को सेवानिवृत्त होंगे। जानिए उनके अधिवक्ता से मुख्य न्यायाधीश बनने तक का सफर...
जस्टिस बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 को नागपुर में हुआ। उनके पिता मशहूर वकील थे। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से कला व कानून में स्नातक उपाधि हासिल की। 1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल में उन्होंने बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया। वह 29 मार्च 2000 को बंबई हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज नियुक्त हुए। वह 16 अक्टूबर 2012 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनाए गए। इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट में वह 12 अप्रैल 2013 में जज बनाए गए।
अयोध्या के अलावा जस्टिस बोबडे और भी कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला देने वाली पीठ का हिस्सा रह चुके हैं। अगस्त, 2017 में तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस बोबडे ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार करार दिया था। वह 2015 में उस तीन सदस्यीय पीठ में शामिल थे, जिसने स्पष्ट किया कि भारत के किसी भी नागरिक को आधार संख्या के अभाव में मूल सेवाओं और सरकारी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता।
Created On :   21 Nov 2019 5:40 PM GMT