अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला रखा सुरक्षित
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में पिछले 40 दिन से चल रही सुनवाई आज पूरी हो गई है। इसमें सर्वोच्च न्यायालय ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सूत्रों के अनुसार कोर्ट 17 नवंबर से पहले इस विवादित मामले में फैसला दे सकता है। वहीं सुरक्षा की दृष्टि से क्षेत्र में धारा 144 लगी हुई है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने बयान जारी कर कहा कि इस मामले बहस का अंत हो गया है। सभी पक्षों से उनकी तहरीरें हमने सुन ली गई हैं और हमने फेसला सुरक्षित रख लिया है। हमें फैसला लिखने के लिए समय चाहिए।
जानकारी अनुसार बुधवार को दोनों पक्षकारों के लिए टाइम स्लॉट मंगलवार को ही तय कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए 17 अक्टूबर का शेड्यूल तय कर रखा है। अब तक हुई सुनवाई में हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों की ओर से संवैधानिक बेंच के सामने अपने-अपने दावे और दलीलें पेश की गईं। अब दोनों ही पक्ष अपने-अपने हक में फैसला आने की उम्मीद कर रहे हैं।
बता दें कि पिछले करीब 70 साल से देश की अदालतों में चल रहे अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की आखिरी दलील की तारीख सामने है। राम जन्मभूमि विवाद के कारण देश की राजनीति ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं, लेकिन अब कई दशकों के बाद उम्मीद है कि फैसला जल्द होगा। आज सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्षकार 45 मिनट में अपनी अंतिम दलीलें रखीं। इसके बाद मुस्लिम पक्ष के वकील को जवाब देने के लिए एक घंटे का समय दिया गया। बुधवार को हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन को बहस के लिए 45 मिनट मिले, इसके अलावा हिंदू पक्षकारों के अन्य वकीलों को भी इतना ही समय मिला। बाद में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को जवाब देने के लिए 1 घंटे का समय मिला।
नक्शा फाड़ने की बात वायरल हो गई...
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि ये वायरल हो गया है कि मैंने कोर्ट में नक्शा फाड़ा, लेकिन मैंने ये कोर्ट के आदेश पर किया। मैंने कहा था कि मैं इसे फेंकना चाहता हूं, तब चीफ जस्टिस ने कहा कि तुम इसे फाड़ सकते हो। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने कहा था कि अगर आप फाड़ना चाहें तो फाड़ दें।
सुप्रीम कोर्ट में आज ही सुनवाई से जुड़ी अहम बातें
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने साफ कर दिया है कि सुनवाई बुधवार शाम पांच बजे खत्म हो जाएगी।
- हिंदू महासभा के वकील विकास ने अदालत में डॉक्यूमेंट के आधार पर कब्जे की बात कही गई।
- वकील विकास ने कहा जिस जमीन पर बहस हुई वहां पर जन्मस्थान है। उन्होंने इस दौरान अन्य मंदिरों का भी हवाला दिया।
- निर्मोही अखाड़ा की तरफ से सुशील जैन ने अपनी दलील में कहा- मुस्लिम पक्ष अपना दावा स्थापित करने में फेल रहा है, साबित उन्हें करना है हमें नहीं।
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमारी तरफ से दोनों ओर से बहस पूरी हो चुकी है।
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, हम सिर्फ इस इसलिए सुन रहे हैं कि कोई कुछ कहना चाहता है तो कह दे। हम अभी उठ कर जा भी सकते हैं।
- ऑल इंडिया हिन्दू महासभा की ओर से विकास सिंह ने एडिशनल डॉक्यूमेंट के तौर पर पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की किताब बेंच को दी गई।
- इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने किताब पर ज़ोरदार आपत्ति जताई। राजीव धवन ने कहा कि इसे ऑन रिकॉर्ड ना लिया जाए, ये बिल्कुल नई चीज है।
- सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि ये किताब वो बाद में पढ़ेंगे। इसी के साथ किताब वापस दे दी गई है।
- निर्वाणी अखाड़ा की ओर से कहा गया है कि रामलला जन्मस्थान की सेवा का अधिकार उनका है।
- इस पर जस्टिस भूषण ने कहा कि लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा को सेवायायी माना है।
- इस पर जयदीप गुप्ता ने कहा कि वो दावा गलत है।
- धर्मदास की ओर से वकील जयदीप गुप्ता ने कहा कि टाइटल पर हमारा विवाद नहीं है। हिंदुओं को जो रामलला का अधिकार मिलेगा उससे हम ही सेवायत होंगे। सेवायत का दावा निर्मोही अखाड़े का भी है, हमने सूट फाइल नहीं किया है हम तो डिफेंडेन्ट हैं।
- धर्मदास की ओर से कहा गया कि अभी तो हम ही इकलौते सेवायत दावेदार हैं। जब वहां रिसीवर नियुक्त किए गए तब भी हमारा अखाड़ा ही सेवा, शोभायात्रा और उत्सव का आयोजन और देखरेख करता था, लेकिन बाद में हमें बाहर कर दिया।
- निर्वाणी अखाड़ा और महंत धर्मदास की ओर से दलील रखी गई। निर्वाणी अखाड़ा की ओर से वकील जयदीप गुप्ता ने दलील पेश की।
- गोपाल सिंह विशारद की ओर से रंजीत कुमार ने कहा कि हिंदुओं की ओर से पूजा का अधिकार पहले मांगा गया था।
- मुस्लिम रूल में हिंदुओं को पूजा के अधिकार मिलने में दिक्कत आई थी।
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन को कहा कि अब आपका समय पूरा हो गया है, बैठ जाइए।
- रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि जबतक जमीन पर हक ना हो तो मस्जिद नहीं बनाई सकती है।
- इसी के साथ ही रामलला विराजमान की दलीलों का समय खत्म हो गया है। अब गोपाल सिंह विशारद की ओर से रंजीत कुमार बहस कर रहे हैं. उन्हें सिर्फ दो मिनट का समय मिलेगा।
- सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि उन्होंने (मुस्लिम पक्ष) हम पर कब्जा करने की बात कही है, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया. हम जो मांग रहे हैं वह बाबर के द्वारा जो अवैध निर्माण हुआ था उसकी जमीन मांग रहे हैं।
- इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वक्फ बोर्ड के जमीन पर हक के दावा पर आप क्या कहेंगे? इसपर वैद्यनाथन ने कहा कि ये लोग मंदिर के दावे को खारिज कर रहे हैं लेकिन जब वहां पर पहले से ही मंदिर था तो ऐसा कैसे कह सकते हैं?
- रामलला विराजमान की तरफ से सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि वो साबित कर सके कि जमीन पर उनका हक है।
- मुस्लिम पक्ष की तरफ से ये दावा किया गया कि वहां 22-23 दिसंबर तक नमाज हो रही थी, लेकिन 1934 तक शुक्रवार की नमाज होती थी।
- हिंदू पक्षकार सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि इस बात के प्रमाण हैं कि 16 दिसंबर 1949 के बाद विवादित स्थल पर कोई नमाज़ अदा नहीं की गई।
- 22/23 दिसंबर की रात से रामलला वहां विराजमान थे। 23 दिसंबर 1949 को शुक्रवार था, लेकिन मूर्ति होने की वजह से नहां पर नमाज़ नहीं हो सकी थी।
- सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्षकार के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि 1885 तक हिंदू-मुस्लिम उस जमीन पर पूजा का दावा करते थे, लेकिन बाद में ब्रिटिश सरकार ने वहां पर रेलिंग करवा दी। अब मुस्लिम पक्ष बाहरी और आंतरिक आहते पर विवाद कर रहा है, वो छोटी-सी जगह को बांटना चाहते हैं।
- इस दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आपका 1885 के बाद पूजा का क्या आधार है ?
- वकील वैद्यनाथन ने कहा कि ब्रिटिशों की रेलिंग के बाद भी हिंदू लगातार पूजा करते रहे थे। लेकिन बाद में मुगलों ने जबरन मस्जिद बना दी थी। इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि रेलिंग को लेकर आपकी क्या स्थिति है।
- सभी पक्षकारों ने अपनी ओर से लिखित बयान अदालत में पेश किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान किसी भी टोका-टाकी पर मनाही की है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि अब बहुत हुआ, शाम 5 बजे तक इस मामले में पूरी सुनवाई पूरी होगी और यही बहस का अंत होगा।
- इस मामले में पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस केस में जो भी फैसला करेगा, वो मानेंगे। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि फैसला जिसके भी पक्ष में आए, उसे मानना चाहिए।
- सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर आखिरी सुनवाई से पहले मुस्लिम पक्ष की ओर से इस मामले में मध्यस्थता की खबरों का खंडन किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में कुछ इस तरह पेश की गई दलीलें
- मुस्लिम पक्ष- मस्जिद खाली जमीन पर बनाई गई थी।
- हिंदू पक्ष- नहीं विष्णु मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई।
- मुस्लिम पक्ष- 1886 में फैजाबाद के जिला जज ने मंदिर बनाने की इजाजत नहीं दी।
- हिंदू पक्ष- जिला जज ने सांप्रदायिक तनाव की आशंका से ऐसा किया।
- मुस्लिम पक्ष- हिंदुओं ने बाद में मस्जिद को जन्मस्थान कहना शुरू किया।
- हिंदू पक्ष- 1858 में निहंग सिखों ने इमारत में जगह-जगह राम लिखा।
- मुस्लिम पक्ष- मस्जिद अल्लाह का घर, किसी को सौंप नहीं सकते।
- हिंदू पक्ष- शरीयत के हिसाब से वो इमारत मस्जिद नहीं है।
- मुस्लिम पक्ष- इमारत मस्जिद थी, किसी और का कब्जा नहीं था।
- हिंदू पक्ष- इमारत मस्जिद कैसे, वहां वजू की जगह तक नहीं थी।
रामायण और बाबरनामा पर हुई बहस
- हिंदू पक्ष- बाबर की आत्मकथा "बाबरनामा" में भी मस्जिद का जिक्र नहीं।
- मुस्लिम पक्ष- बाबरनामा के 2 गैर-मौजूद पन्नों में मस्जिद का जिक्र था।
- हिंदू पक्ष- विवादित ढांचे पर शिव, हनुमान, कमल, शेर की आकृतियां।
- मुस्लिम पक्ष- कमल जैसी बहुत सी आकृतियां इस्लाम में भी हैं।
- हिंदू पक्ष- एएसआई की रिपोर्ट में लिखा है विवादित जगह पर मंदिर था।
- मुस्लिम पक्ष- आर्कियोलॉजी कोई विज्ञान नहीं है।
- हिंदू पक्ष- वाल्मीकि रामायण में अयोध्या श्रीराम का जन्म स्थान।
- मुस्लिम पक्ष- धार्मिक ग्रंथों के आधार पर मुकदमा नहीं लड़ना चाहिए।
- हिंदू पक्ष- अटूट आस्था कि विवादित इमारत की जगह जन्मस्थान है।
- मुस्लिम पक्ष- ये साबित नहीं हुआ कि मस्जिद की गुंबद के नीचे जन्मस्थान।
Created On :   16 Oct 2019 2:25 AM GMT