अयोध्या विवाद: मुस्लिम पक्ष ने कहा विध्वंस से पहले जैसी बाबरी मस्जिद चाहिए
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डिजिटल डेस्क, अयोध्या। अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि के मामले में सभी पक्षों की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला अपने पास सुरक्षित रखा है। वहीं इस मामले में हिन्दू महासभा, मुस्लिम पक्ष समेत कई संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में मॉल्डिंग ऑफ रिलीफ दाखिल की है। कोर्ट ने मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के लिए सभी पक्षकारों से 3 दिन के भीतर अपनी मांग लिखित रूप से जमा करने को कहा था। शनिवार अंतिम दिन है।
सूत्रों के मुताबिक मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में मॉल्डिंग ऑफ रिलीफ दाखिल की है। इसमें मुस्लिम पक्ष ने कहा कि उन्हें बाबरी मस्जिद उसी हालत में चाहिए, जैसी विध्वंस से पहले की स्थिति में थी। दरअसल, मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने बहस के दौरान कहा था कि उन्हें विध्वंस से पहले की वाली बाबरी मस्जिद चाहिए। यानी विवादित जगह पर बाबरी मस्जिद ही चाहिए, वो भी वैसी, जैसी 1992 में 6 दिसंबर की सुबह तक थी।
वहीं इस मामले में हिन्दू महासभा के मॉल्डिंग ऑफ रिलीफ में कहा गया कि अयोध्या में जन्मस्थान पर राम मंदिर के निर्माण पर पूरे मंदिर की व्यवस्था के लिए सुप्रीम कोर्ट एक ट्रस्ट बनाए। इसके साथ ही इसका पूरा उपक्रम सुप्रीम कोर्ट के जरिए नियुक्त एडमिनिस्ट्रेशन के जरिए हो। वहीं राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने भी सुप्रीम कोर्ट में मॉल्डिंग ऑफ रिलीफ दाखिल कर कहा कि विवादित जमीन पर मंदिर ही बने और मंदिर के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया जाए।
निर्मोही अखाड़े मांगा रामलला की सेवा और पूजा का अधिकार
निर्मोही अखाड़े ने अपने मॉल्डिंग ऑफ रिलीफ में मंदिर बनाने के साथ ही रामलला की सेवा, पूजा और व्यवस्था की जिम्मेदारी के अधिकार की मांग की है। निर्मोही अखाड़े ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखने की बात भी कही। वहीं रामलला विराजमान ने लिखित जवाब दाखिल कर कहा कि सारा क्षेत्र राम मंदिर के लिए उसे दिया जाए और निर्मोही अखाड़ा या मुस्लिम पार्टियों को जमीन का कोई हिस्सा नहीं मिलना चाहिए। इसके अलावा गोपाल सिंह विशारद ने भी सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया। उन्होंने राम जन्मभूमि पर पूजा करने को उनका संवैधानिक अधिकार बताया है।
Created On :   19 Oct 2019 4:07 PM IST