भास्कर एक्सक्लूसिव: 'रेखा' की काट नहीं निकाल पाए सीएम रेस में शामिल नेता, वह पांच कारण जिसके चलते बीजेपी ने सौंपी रेखा गुप्ता को सीएम पद की कमान

  • दिल्ली सीएम बनीं रेखा गुप्ता
  • 27 साल बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार
  • रेखा गुप्ता दिल्ली सीएम रेस में आई 'फर्स्ट'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीजेपी नेता रेखा गुप्ता गुरुवार को दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बन गईं। इससे पहले बुधवार रात करीब 8 बजे दिल्ली में बीजेपी प्रदेश कार्यकाल में काफी हलचल देखने को मिली। पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में दिल्ली बीजेपी विधायक दल की बैठक होती है। जिसके बाद सर्वसम्मति से रेखा गुप्ता को विधायक दल का नेता चुन लिया जाता है। बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता और सतीश उपाध्याय ने रेखा गुप्ता के नाम का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, पहले न्यूज चैनलों से लेकर सोशल मीडिया और अखबारों में प्रवेश वर्मा और विजेंद्र गुप्ता के अलावा अन्य नेताओं का नाम सीएम रेस में शामिल था। ऐसे में समझने की कोशिश करते हैं कि रेखा गुप्ता के नाम पर बीजेपी ने मुहर क्यों लगाई। आखिर बीजेपी के लिए रेखा गुप्ता ही पहली पसंद क्यों बनीं?

परिवारवाद बना बड़ा फैक्टर

बीजेपी लगातार विपक्ष पर परिवारवाद को लेकर हमला करती रहती है। साथ ही, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विपक्ष की बड़ी पार्टी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आरजेडी पर परिवारवाद का आरोप लगाते रहते हैं। शायद एक बड़ी वजह यह भी है कि बीजेपी ने प्रवेश वर्मा को बड़ा मौका नहीं दिया। प्रवेश वर्मा दिल्ली के पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। ऐसे में अगर बीजेपी प्रवेश वर्मा को सीएम पद सौंपती तो विपक्ष इसे टूल किट की तरह इस्तेमाल करता। इसके चलते बीजेपी खुद भी परिवारवाद के मुद्दे पर घिर जाती।

साफ-सुथरे छवि पर किया भरोसा

बीते दस साल से बीजेपी ने जिन भी राज्यों में अपने सीएम प्रत्याशी का चयन किया है, उसमें एक बात कॉमन दिखाई दी है। पार्टी ने साफ सुथरे छवि वाले नेता पर भरोसा जताया है। इससे पार्टी की बेहतर छवि तैयार हुई है। रेखा गुप्ता इस पैरामीटर में भी फिट बैठ गईं। साथ ही, वह बीजेपी में काफी वर्षों से एक्टिव हैं। वह छात्र जीवन से ही राजनीति करती आई हैं। वह दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (DUSU) की पूर्व अध्यक्ष रह चुकी हैं। साथ ही, तीन बार नगर निगम पार्षद भी रह चुकी हैं। साल 1992 में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की सदस्य के रूप में सियासत में कदम रखी थी। जिसके बाद से ही उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। भले ही वह साल 2015 और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में शालीमार बाग सीट से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने इस बार बीजेपी के भरोसे को टूटने नहीं दिया। एक राजनेता के रूप में उनकी छवि बेदाग है। साथ ही, वह शांत छवि की नेता के तौर भी जानी जाती है।

महिला पर पार्टी ने किया फोकस

मौजूदा समय में बीजेपी का एक भी महिला सीएम नहीं है। ऐसे में बीजेपी दिल्ली चुनाव जीतने के बाद महिला नेता को सीएम पद सौंपने का प्लान कर रही थी। दिल्ली में महिला वोटर्स भी काफी ज्यादा है। इस बार के चुनाव में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर वोट किया। साथ ही, दिल्ली में केजरीवाल का मुख्य वोट बैंक महिला है। इस समीकरण पर बीजेपी का ध्यान काफी पहले से था। जिसके चलते भी बीजेपी ने यह चयन किया। फिलहाल बीजेपी के पास एक भी महिला सीएम नहीं है। ऐसे में पार्टी की कोशिश दिल्ली में ही नहीं बल्कि, पूरे देश की महिलाओं को साधना था। जिसके चलते भी पार्टी ने यह निर्णय लिया।

हरियाणा को भी बीजेपी ने साधा

दिल्ली से सटे हरियाणा में बीते साल ही बीजेपी की सरकार बनी है। रेखा गुप्ता का भी जन्म हरियाणा में हुआ है। दिल्ली में इस वक्त हरियाणा के कई लोग रहते हैं। जिसका प्रभाव कई सीटों पर भी देखने को मिलता है। पिछले साल हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के खिलाफ भी जमकर प्रचार किया था। साथ ही, केजरीवाल ने खुद को हरियाणा का बेटा बताया था। उनका भी जन्म हरियाणा में हुआ है। ऐसे में अब केजरीवाल के खिलाफ हरियाणा में रेखा गुप्ता बीजेपी के लिए एक्स-फैक्टर साबित हो सकती हैं।

कोर वोट बैंक पर भी साधा निशाना

बीजेपी का बड़ा कोर वोट बैंक वैश्य समाज भी है। पीएम मोदी और अमित शाह भी वैश्य समुदाय से ही आते हैं। वहीं, केजरीवाल भी वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। कई बार रैली में देखा गया है कि केजरीवाल खुद को 'बनिया का बेटा' कहते हैं। दिल्ली में बनिया वोटर्स की संख्या 8 फीसदी से ज्यादा है। साथ ही, कई सीटों पर बानिया वोटर्स हार-जीत तय करते हैं। बीजेपी देश के वैश्य समुदाय के वोटर्स को साधने के लिए दिल्ली में रेखा गुप्ता को कमान सौंपी है।

Created On :   20 Feb 2025 2:09 AM IST

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