आग और नकदी केस: जस्टिस वर्मा ने जवाबी पत्र में लिखा, स्टोर रूम मेरे घर का हिस्सा नहीं

- परिवार के किसी सदस्य को नकदी के बारे में कोई जानकारी नहीं
- 14-15 मार्च की रात सरकारी आवास के स्टोर रूम में लगी आग
- सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के सीजे को आंतरिक जांच के दिए निर्देश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से मिली भारी नकदी का मामला लगातार गरमाता जा रहा है। जस्टिस वर्मा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, उनका साफ कहना है कि स्टोररूम में उनके या उनके परिवार के किसी मेंबर के द्वारा कोई नकदी नहीं रखी गई। उन्होंने कहा मुझे बदनाम करने की साजिश रची जा रही है।
जस्टिस वर्मा ने अपने जवाब में कहा कि इस घटना ने एक हाईकोर्ट के जज के रूप में एक दशक से अधिक समय में बनाई गई मेरी प्रतिष्ठा को दागदार किया है, और इसने मुझे अपना बचाव करने का कोई साधन नहीं छोड़ा है। मैं आपसे यह भी अनुरोध करूंगा कि आप इस बात पर विचार करें कि हाईकोर्ट के जस्टिस के रूप में मुझ पर कभी कोई आरोप नहीं लगाया गया और न ही मेरी ईमानदारी पर कभी शक किया गया। बतौर न्यायाधीश मेरे पिछले कामकाज के संबंध में जांच करा ली जाए।
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से नकदी मिलने के मामले की आंतरिक जांच के आदेश मिलने के बाद जस्टिस वर्मा से उनके ऊपर लगे आरोपों पर जवाब मांगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि केस की पूरी जांच होने तक जस्टिस वर्मा को कोई भी न्यायिक जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए। शनिवार की शाम अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर शीर्ष कोर्ट ने एक वीडियो भी जारी किया है। जिस पर जस्टिस वर्मा ने कहा है कि मैं वीडियो की सामग्री को देखकर हैरान हूं क्योंकि उसमें कुछ ऐसा दिखाया गया है, जो मौके पर मिला ही नहीं।
जस्टिस वर्मा ने जस्टिस डीके उपाध्याय को भेजे अपने जवाबी पत्र में लिखा कि 'मेरे या मेरे परिवार के किसी सदस्य को स्टोर रूम में मिली नकदी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। न ही मेरे या मेरे परिवार को ये नकदी दिखाई गई। आपको बता दें 14-15 मार्च की रात जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम में अचानक आग लग गई। स्टोर रूम उनके स्टाफ क्वार्टर के नजदीक है। घटना को याद करते हुए जस्टिस वर्मा ने कहा कि स्टोर रूम को आम तौर पर यूज न होने वाले फर्नीचर, बोतल, क्रॉकरी,कारपेट आदि रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। स्टोर रूम में सीपीडब्लूडी का सामान भी रखा रहता है। इसमें कोई ताला नहीं लगा होता है, यहां कोई भी आता जाता रहता है। स्टोर रूम में सामने के दरवाजे से और पीछे के दरवाजे से भी आया जा सकता है। जस्टिस वर्मा ने भी कहा कि यह मेरे आवास से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ नहीं होता है और यह मेरे घर का हिस्सा नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि जिस दिन आग की वारदात हुई उस दिन वो अपनी पत्नी के साथ मध्यप्रदेश में थे। घर पर बेटी और मेरी बुजुर्ग मां ही थी। 15 मार्च की शाम को भोपाल से दिल्ली लौटा। मेरी बेटी और मेरे निजी सचिव ने फायर ब्रिगेड को फोन कर आग की सूचना दी। आग बुझाने के वक्त मेरे स्टाफ और मेरे परिजनों को घटना स्थल से हटा दिया गया था। जब आग बुझ गई और जब ये लोग वहां पहुंचे तो मौके पर कोई नकदी नहीं थी। मैं फिर एक बार साफ कर दूं कि न तो मेरे द्वारा या मेरे परिवार के द्वारा कोई नकदी स्टोर रूम में रखी गई थी और न ही कथित तौर पर मिली नकदी से हमारा कोई संबंध है। ये पैसा हमारे द्वारा रखे जाने का दावा पूरी तरह से हास्यास्पद है। उन्होंने कहा कि एक ऐसी जगह पर नकदी रखने का विचार ही बेतुका है, जहां सब लोग आ जा सकते हैं।
सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है। समिति के सदस्यों में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के सीजे जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं।
Created On :   23 March 2025 10:37 AM IST