इन खामियों की वजह से चांद तक नहीं पहुंच सका था चंद्रयान 2, जानिए चंद्रयान 3 में किए गए हैं क्या बदलाव?

इन खामियों की वजह से चांद तक नहीं पहुंच सका था चंद्रयान 2, जानिए चंद्रयान 3 में किए गए हैं क्या बदलाव?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वह लम्हा आ ही गया, जिसका सभी देशवासियों को बेसब्री से इंतजार था। चंद्रयान-3 आखिरकार सफल लॉन्चिंग के बाद अपनी मंजिल की तरफ बढ़ गया है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने शुक्रवार (14 जुलाई) को चंद्रयान-3 मिशन की सफलतापूर्वक शुरुआत कर दी है। दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM3-M4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान को अंतरिक्ष में भेजा गया है। 16 मिनट बाद चंद्रयान को रॉकेट ने पृथ्वी की ऑर्बिट में प्लेस किया। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने इस सक्सेसफुल लॉन्च के बाद कहा कि चंद्रयान 3 ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है।

चंद्रयान-2 की यादें हुई ताजा

चंद्रयान-3 को चंद्रयान-2 के सक्सेसर के रूप में लॉन्च किया गया है। चंद्रयान-2 को लगभग चार साल पहले 22 जुलाई 2019 को चंद्रमा की ओर भेजा गया था। लेकिन यह चांद की सतह पर सफल लैंडिंग करने में कामयाब नहीं हो पाया था। जब लैंडर चंद्रमा की सतह से सिर्फ 2 किलोमीटर दूर था, तब उसका संपर्क कंट्रोल रूम से टूट गया था।

इसलिए कामयाब होगा चंद्रयान-3?

दोनों मिशनों के ज्यादातर काम और लक्ष्य एक जैसे ही हैं, लेकिन इसरो ने पुरानी गलतियों से बचने के लिए चंद्रयान-3 में कुछ बदलाव किए हैं, जिनके चलते चंद्रयान-2 पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पाया था।

चंद्रयान-2 में एक ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शामिल थे, जबकि चंद्रयान-3 में एक लैंडर मॉड्यूल (LM), प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) और एक रोवर शामिल है। चंद्रयान 3 अंतरिक्ष यान स्पेक्ट्रो-पोलारिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (SHAPE) नामक एक पेलोड ले जाएगा, जो पिछले मिशन में नहीं था। SHAPE चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा।

इसके अलावा चंद्रयान-2 के मुकाबले चंद्रयान-3 में दो लैंडर खतरे का पता लगाने और बचाव कैमरे मिलेंगे। चंद्रयान-2 में केवल एक ही ऐसा कैमरा था और चंद्रयान-3 के कैमरे पिछली बार के मुकाबले अधिक मजबूत बनाए गए हैं। इसरो ने यान के पैरों की मजबूती सुनिश्चित करने के लिए चंद्रयान-3 पर लैंडर लेग मैकेनिज्म परर्फोर्मस परीक्षण भी किया है।

चंद्रयान-3 के लैंडर का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग सुनिश्चित करना है। जबकि रोवर चंद्रमा की सतह के ऑन-साइट कामों के लिए जिम्मेदार होगा। यह मिशन एक चंद्र दिवस तक चलेगा, जो पृथ्वी पर 14 दिनों के बराबर है।

Created On :   14 July 2023 5:54 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story