World Aids Day: जानें इस बीमारी से जुड़ी जरुरी बातें, यह है इस बार की थीम
डिजिटल डेस्क, मुम्बई। आज विश्वभर में एड्स दिवस मनाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य इस बीमारी को और इससे होने वाले संक्रमण को जड़ से खत्म करना है। इसकी शुरुआत साल 1988 में की गई थी। इस दिन को हर साल किसी न किसी थीम के अंतर्गत मनाया जाता है। इस बार वर्ल्ड एड्स डे की थीम है "कम्युनिटीज मेक द डिफरेंस"। यह वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक 36.9 मिलियन लोग इस बीमारी के शिकार हो चुके हैं। भारत के परिप्रेक्ष्य में इसकी बात की जाए तो देश में एड्स पीड़ित लोगों की संख्या 2.1 मिलियन है।
- वजन घटना
- शरीर में लाल चकत्ते होना
- रात में पसीना आना
- गला सुखना
- मांसपेशियों में दर्द
- ठंड लगना
- अनसेफ सेक्स (बिना कनडोम के) करने से।
- संक्रमित खून चढ़ाने से।
- HIV पॉजिटिव महिला के बच्चे में।
- एक बार इस्तेमाल की जानी वाली सुई को दूसरी बार यूज करने से।
- इन्फेक्टेड ब्लेड यूज करने से।
बता दें यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जो मानव इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस (HIV) के संक्रमण के कारण होती है। क से ज्यादा लोगों के साथ असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से एचआईवी संक्रमण हो सकता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति का ब्लड किसी और को चढ़ाने और संक्रमित आर्गन किसी और को ट्रांसप्लांट करने से एड्स का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन एचआईवी संक्रमित पुरूष या महिला से संबध बनाता है तब भी एड्स के वायरस का शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
सबसे पहले एड्स दिवस अगस्त 1987 में जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर नाम के व्यक्ति द्वारा मनाया गया था। जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर विश्व स्वास्थ्य संगठन में एड्स पर ग्लोबल कार्यक्रम (WHO) के लिए अधिकारियों के रूप में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में नियुक्त थे। उन्होंने ने ही अपने WHO के ग्लोबल प्रोग्राम ऑन एड्स के डायरेक्टर जोनाथन मान को यह दिन मनाने का आइडिया दिया। जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर के विचारों से प्रेरित होकर जोनाथन ने 1 दिसम्बर 1988 का दिन विश्व एड्स डे मनाने के लिए चुना। यह आठ सरकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य दिवसों में एड्स डे भी शामिल है।
Created On :   1 Dec 2019 4:37 AM GMT