आयुर्वेद का नीरी केएफटी रखेगा गुर्दों को स्वस्थ्य:एक्सपर्ट

Neeri KFT of Ayurveda will keep the kidneys healthy: Expert
आयुर्वेद का नीरी केएफटी रखेगा गुर्दों को स्वस्थ्य:एक्सपर्ट
विश्व किडनी दिवस आयुर्वेद का नीरी केएफटी रखेगा गुर्दों को स्वस्थ्य:एक्सपर्ट
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  • आयुर्वेद का नीरी केएफटी रखेगा गुर्दों को स्वस्थ्य:एक्सपर्ट (विश्व किडनी दिवस)

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। लगातार मधुमेह (शुगर) के मरीजों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए गुर्दे की बीमारी का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में आयुर्वेद पद्धति से की जाने वाली चिकित्सीय व्यवस्था ज्यादा कारगर साबित होने वाली है। इससे गुर्दे स्वास्थ्य होंगे और मरीजों का जीवन भी आसान होगा। चिकित्साविदों की मानें तो आयुर्वेद में वर्णित जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल से लंबे समय तक गुर्दों को स्वस्थ बनाए रखा जा सकता है।

बनारस हिन्दू विष्वविद्यालय (बीएचयू) के आयुर्वेद संकाय के डीन प्रोफेसर के. एन. द्विवेदी के अनुसार पुनर्नवा, गोक्षुर, वरूण, गुडुची, कासनी, तुलसी, अश्वगंधा तथा आंवला जैसी औषधियों के सेवन से गुर्दे की क्रियाप्रणाली में सुधार होता है। इससे गुर्दे से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम होता है और यदि कोई विकार भी हो तो उसे ठीक करने में सहायक होती है। इन्हीं जडी-बूटियों से बने आयुर्वेद फार्मूले नीरी-केएफटी का मरीजों पर प्रत्यक्ष रूप से सकारात्मक प्रभाव देखा गया है।

उन्होंने बताया कि नीरी केएफटी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर किडनी को शक्ति प्रदान करती है। इसमें कुल 20 बूटियां शामिल हैं जिसमें से वरुण मरीजों में क्रिएटिनिन के स्तर को घटाता है। वहीं गोकक्षुरु, जिसे गोखरू भी कहा जाता है, यह नेफ्रॉन की क्षमता को बूस्ट करती है। जिससे गुर्दे की छानने की प्रक्रिया बेहतर होती है।

प्रो. द्विवेदी ने बताया कि मरीजों में यह देखा गया है कि नीरी केएफटी के इस्तेमाल से गुर्दा रोगियों में डायलिसिस का खतरा टल जाता है तथा जो डायलिसिस पर हैं, उनके डायलिसिस चक्र में कमी दर्ज की गई है।

पांच साइंस जर्नल- साइंस डायरेक्ट, गुगल स्कालर, एल्सवियर, पबमेड और स्प्रिंजर में प्रकाशित अध्ययनों के अनुसार नीरी केएफटी का समय रहते इस्तेमाल शुरू हो जाए तो गुर्दों को फेल होने से बचाया जा सकता है। नीरी केएफटी किडनी की सूक्ष्म संरचना और कार्यप्रणाली का उपचार करने में कारगर है तथा इसके सेवन से गुर्दे के रोगियों में क्रिएटिनिन, यूरिया और यूरिक एसिड की मात्रा में कमी आई है।

अध्ययनों में नीरी केएफटी ऑक्सीडेटिव और इंफ्लामेंट्री स्ट्रैस को भी कम करने में कारगर पाई गई है। शरीर के संक्रमण के खिलाफ लड़ने के लिए यह जरूरी है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस तब होता है जब शरीर में एंटी आक्सीडेंट और फ्री रेडिकल तत्वों का तालमेल बिगड़ जाता है जिससे शरीर की पैथोजन के खिलाफ लड़ने की क्षमता घटने लगती है। जबकि इंफ्लामेंट्ररी स्ट्रैस बढ़ने से भी शरीर का प्रतिरोधक तंत्र किसी भी बीमारी के खिलाफ नहीं लड़ पाता है।

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 15 फीसदी लोग गुर्दे की बीमारी की चपेट में हैं। भारत में मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप से ग्रस्त करीब 40 फीसदी लोग क्रोनिक किडनी डिजीज की बीमारी से जूझ रहे हैं।

आईएएनएस

Created On :   9 March 2022 12:00 PM IST

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