आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद संगीता कुमारी ने नहीं टूटने दिए अपने सपने

CWG 2022: Despite the deteriorating economic situation, Sangeeta Kumari did not let her dreams break
आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद संगीता कुमारी ने नहीं टूटने दिए अपने सपने
सीडब्ल्यूजी 2022 आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद संगीता कुमारी ने नहीं टूटने दिए अपने सपने

डिजिटल डेस्क, रांची। भारतीय महिला हॉकी टीम में खेलने के अपने सपनों को पूरा करने के लिए संगीता कुमारी ने काफी संघर्ष किया। हालांकि, संगीता अब नीली जर्सी पहनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं क्योंकि वह लंदन के बमिर्ंघम में उद्घाटन राष्ट्रमंडल खेलों (सीडब्ल्यूजी) में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी। परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण उनके घर में आज भी टेलीविजन नहीं है। वह मूल रूप से झारखंड के सिमडेगा जिले के करंगागुडी गांव की रहने वाली हैं।

झारखंड के हॉकी अध्यक्ष भोलानाथ सिंह को जब संगीता की आर्थिक स्थिति के बारे में पता चला तो उन्होंने बृहस्पतिवार को रांची से संगीता के घर पर एक एलईडी टीवी भेजा ताकि खिलाड़ी के परिवार और उनके गांव में लोग कॉमनवेल्थ खेल को लाइव देख सकें।

भारतीय महिला टीम की तीन खिलाड़ी झारखंड से आती हैं, जिनमें निक्की पराधन, सलिमा टेटे और संगीता कुमारी शामिल हैं। तीनों खिलाड़ियों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। तीनों खिलाड़ियों ने अपनी कड़ी मेहनत और अभ्यास से आज भारतीय हॉकी टीम में जगह बनाई है। इन तीन खिलाड़ियों में से निक्की प्रधान और सलीमा टेटे भी भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा रही, जिसने जापान में टोक्यो ओलंपिक 2020 में हॉकी के मैदान पर शानदार प्रदर्शन किया था।

संगीता को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए खेलने का मौका दिया गया है, लेकिन यह पहली बार है कि वह सीडब्ल्यूजी 2022 के उद्घाटन में देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। झारखंड के उग्रवाद प्रभावित सिमडेगा जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित केरसाई प्रखंड के करंगागुड़ी गांव की रहने वाली संगीता कुमारी का परिवार आज भी कच्चे मकान में रहता है।

वह अपने माता-पिता के अलावा पांच बहनों और एक भाई के साथ रहती है। संगीता के माता-पिता मजदूरी का काम या खेती करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। साथ ही कुछ माह पहले, संगीता को रेलवे में नौकरी मिली, जिससे वह अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं। संगीता को जब रेलवे से पहला वेतन मिला तो उन्होंने अपने गांव के बच्चों को हॉकी की गेंद गिफ्ट की थी।

संगीता के पिता रंजीत मांझी ने बताया कि, बेटी को हमेशा से हॉकी का जुनून रहा है। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद उसने कड़ी मेहनत की। अपने गांव में बड़ी संख्या में लड़कियों के साथ-साथ अपनी बड़ी बहनों को हॉकी खेलते हुए देखकर उसने भी जोर दिया और पहली बार बांस की बनी छड़ी से हॉकी खेलना शुरू किया। उसके कुछ महीनों बाद उसे सिडेगा में खेलने का अवसर प्राप्त हुआ। वहां उसने पहली बार असली हॉकी से गेंद को खेला।

वहां उसने शानदार प्रदर्शन किया, जिस कारण उन्हें राज्य स्तर पर खेलने का अवसर मिला। वहां उन्हें अभ्यास दिया गया। उन्होंने यहां से पीछे मुड़कर नहीं देखा, जब तक कि उन्होंने उपलिब्ध हासिल नहीं कर ली। 2016 में संगीता पहली बार भारतीय हॉकी टीम में शामिल हुईं। उसी साल उन्होंने स्पेन में 5 नेशन जूनियर वुमेन टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। 2016 में उन्होंने थाईलैंड में अंडर-18 एशिया कप में कांस्य पदक हासिल किया।

अंडर-18 एशिया कप में भारत ने कुल 14 गोल किए, जिनमें से आठ अकेले संगीता ने किए। उनके शानदार फार्म को देखते हुए उन्हें कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए भारतीय महिला टीम में चुना गया। संगीता के घर टीवी भेजने वाले भोलानाथ सिंह का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि उनके माता-पिता और भाई-बहन अब उन्हें बमिर्ंघम में भारत के लिए खेलते हुए लाइव देख सकेंगे।

सोर्सः आईएएनएस

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Created On :   29 July 2022 10:30 AM IST

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