40 - 45 की उम्र में अपने सेहत का जायजा लेने के लिए जरूर करवाएं ये चेकअप
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। सिद्धार्थ शुक्ला जैसे नामचीन अभिनेता का निधन महज 40 साल की उम्र में हो गया। अपनी सेहत को लेकर संजीदा रहने वाले सिद्धार्थ सोते सोते ही दुनिया को अलविदा कह गए। सिद्धार्थ का अचानक यूं चले जाना हर उस शख्स के लिए एक सबक है जो चालीस पार है पर अपनी सेहत को लेकर लापरवाह है। डॉक्टर्स और हेल्थ कंन्सलटेंट का कहना है कि 40 – 45 साल की उम्र जीवन का काफी नाजुक समय माना गया है। इस उम्र में हार्मोंस और मांसपेशियों में अनेक प्रकार के बदलाव होते हैं। इसलिए डॉक्टर्स का कहना है कि इस उम्र में लोगों को ये सारे टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।
ब्लड प्रेशर स्क्रीनिंग
ब्लड प्रेशर स्क्रीनिंग समय समय पर करवाने से हमें हमारे बल्ड प्रेशर के बारे में पता रहता है कि हमारा बल्ड प्रेशर हाई है या लो है। अक्सर 40-50 के उम्र के बीच हाई बल्ड प्रेशर, स्ट्रेस या हाईपरटेंशन होने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। इन्हीं कारणों से हाई ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर भी कहा जाता है, क्योंकि अक्सर हाई ब्लड प्रेशर होने से मरीजों में किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं देखने को मिलते हैं।
बल्ड शुगर
अक्सर डायबिटीज पेशेंट को हार्ट अटैक से मरने का खतरा 3 से 4 गुना ज्यादा होता है। इसलिए 40 के उम्र के बाद खास कर शुगर पेशेंट को ब्लड शुगर चैक करवाते रहना चाहिए। डॉक्टर्स का कहना है कि जब अचानक ब्लड शुगर बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो ये रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाती है साथ ही इससे नसों में फैट बनने लगता है, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहते हैं, जिससे न सिर्फ हार्ट अटैक आने का बल्कि किडनी डिसऑर्डर होने का भी खतरा बढ़ जाता है।
आंखों की जांच -
उम्र के साथ साथ आंखें कमजोर होने लगती हैं। 40 - 45 साल के बाद तो लोगों को अपने आंखो को रेगुलर बेसिस पर चेक करवाते रहना चाहिए जिससे आंखों से संबंधित परेशानियां ज्यादा नहीं बढ़ती है और समय रहते ही आपके मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और आंखो से संबंधित अन्य समस्याओं और बीमारियों के बारे में पता भी चल जाता है।
विटामिन डी टेस्ट
विटामिन-डी हड्डियों से संबंधित होती है। महिलाओं मे 30 - 35 के उम्र के बाद मेनोपोज होने के वजह से हड्डी कमजोर होने लगती है और शरीर में विटामिन डी की कमी होने से हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द बढ़ने लगता है, आज कल विटामिन डी की कमी युवाओं में 30 - 35 साल से पहले ही होने लगी है। जिसके चलते हड्डियों में दर्द होता है।
लिपिड प्रोफाइल या कोलेस्ट्रोल
इस टेस्ट से ब्लड में कोलेस्ट्रोल या लिपिड प्रोटीन की मात्रा के बारे में पता चलता है। शरीर में बैड कोलेस्ट्रोल के बढ़ने के चलते हार्ट अटैक, एथेरोस्क्लेरोसिस और स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है, बैड कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड्स के बढ़ने से धमनियां बंद हो जाती हैं जिसके चलते दिल सामान्य रूप से काम नहीं कर पाता है, औरआगे चल के हार्ट अटैक आने की संभावना बढ़ जाती हैं।
कोलोनोस्कोपी
इस टेस्ट से कैंसर के शुरुआती लक्षण और फर्स्ट स्टेज का पता लगाया जाता है। लोगों को 40 - 50 की उम्र या आपके परिवार में कोलोन कैंसर की हिस्ट्री रही हो या फिर जो लोग इंफ्लामेट्री बाउल डिसऑर्डर से परेशान हों उन्हें कम से कम साल में एक बार तो कोलोनोस्कोपी टेस्ट करवा लेना चाहिए।
कार्डिएक स्ट्रेस टेस्ट
कार्डिएक स्ट्रेस टेस्ट में दिल की धड़कन की जांच, थकान, हृदय गति, स्ट्रेस, श्वास, ब्लड प्रेशर और एक्सरसाइज के समय हार्ट एक्टिविटी का टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट से यह पता चलता है कि दिल में ब्लड की सप्लाई ठीक तरीके से हो रही है या नहीं।
Created On :   3 Sept 2021 12:16 PM GMT