जानिए महिलाओं से जुड़े पीरियड्स के प्री मेंस्ट्रुअल (पीएमएस)  सिंड्रोम के लक्षण

Know about symptoms of pre-related period (PMS) syndrome related to women
जानिए महिलाओं से जुड़े पीरियड्स के प्री मेंस्ट्रुअल (पीएमएस)  सिंड्रोम के लक्षण
जानिए महिलाओं से जुड़े पीरियड्स के प्री मेंस्ट्रुअल (पीएमएस)  सिंड्रोम के लक्षण

डिजिटल डेस्क। पीरियड्स यानी मासिक धर्म किसी भी महिला के जीवन का एक अभिन्न अंग होता है। महिलाओं में पीरियड्स से पहले एक से दो सप्ताह के दौरान होने वाले ऐसे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव जो सामान्य से हटकर हों और दिनचर्या को प्रभावित करें, पीएमएस यानि प्री मेंस्ट्रुएशन सिंड्रोम यह समस्या लाखों महिलाओं को सताती है। हालांकि यह बहुत ही पुरानी समस्या है फिर भी इसे कभी बीमारी नहीं समझा गया। यह एक शारीरिक-मानसिक स्थिति है, जो महिलाओं में मासिक धर्म से आठ-दस दिन पहले हो जाती है। पीरियड्स की शुरुआत होने के बाद ये लक्षण खत्म हो जाते हैं। जबकि डिनोमेनोरिया के लक्षण पीरियड्स के दौरान भी बने रहते हैं बल्कि बढ़ जाते हैं, इसलिए यह जानने के लिए कि पीएमएस हैं या सिमेनोरिया एक नोटबुक रखें जिसमें लगातार तीन महीनों तक होने वाले लक्षणों और उनका समय और तारीख नोट करें।

क्या होता है पीएमएस
पीरियड्स आने के आखिरी दौर में होने वाले मानसिक, रासायनिक और हॉर्मोनल बदलावों का परिणाम है। मुख्यतः मादा हार्मोन प्रोजेस्टेरोन मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर सैराटोनिन की कमी का कारण बनता है। सेराटोनिन वह रसायन हैं, जो खुशी की भावना देता है। केवल मनुष्य नहीं बल्कि कुछ जानवर भी इससे प्रभावित होते हैं। ये मूड को स्थिर या अस्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अत्यधिक डिप्रेशन, स्मोकिंग, नियमित एक्सरसाइज न करने, अधिक वजन, पर्याप्त नींद न लेने, अल्कोहल लेने, अधिक नमक सा शुगर खाने और अधिक मात्रा में रेड मीट खाने के कारण प्री मेंस्टुअल के लक्षण बढ़ जाते हैं।

पीएमएस के लक्षण 

  • शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे पैर और एड़ियों में सूजन और दर्द।
  • गर्भाशय में ऐंठन और दर्द होना।
  • सिरदर्द, चक्कर और हर समय थकान महसूस होना। 
  • पीठदर्द, मांसपेशियों में और शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द होना। 
  • पेट में सूजन और दर्द ब्रेस्ट में सूजन और दर्द, मुंहासे। 
  • नमक और अधिक मीठा खाने का मन कब्ज एवं डायरिया सिरदर्द।
  • तेज प्रकाश एवं तेज आवाज से अबराहट मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन, काम में मन न लगना।

नींद के पैटर्न में बदलाव
चिंता, दुख और डिप्रेशन, भावनात्मक रूप से कमजोर महसूस करना बात- बेबात रोने का मन होना।

इन बातों का ध्यान रखें

  • आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीज, विटामिन बी, फॉलिक एसिड से भरपूर आहार लेना चाहिए। 
  • केले, टमाटर, नारियल पानी, संतरे, एवोकैडो और बेरी आदि का अधिक सेवन करना चाहिए। 
  • नमक कम लें क्योंकि इससे भी शरीर में पानी इकट्ठा हो जाता है। 
  • गर्भाशय और मांसपेशियों में ऐंठन, दर्द  है तो कैल्शियम ले सकती हैं। ये दूध, अंडे, पनौर, ड्राय फूट्स आदि में होता है। 
  • तेल की मालिश करके पेट के निचले हिस्से में गर्म पानी के बैग से सेकना चाहिए। 
  • दशमूल काढ़ा, ब्राह्मी, अर्जुन, तगर, शतावरी, जटामांसी आदि जड़ी बूटियां समस्या दूर करने में बहुत मददगार होती हैं। 
  • पीरियड्स से पहले जब पेट में दर्द या सूजन हो तो पर्याप्त मात्रा में पानी पीना पिएं। 
  • संतुलित भोजन करें और शुगर कम खाएं फलों के रस का पर्याप्त सेवन करें। 
  • इस दौरान होने वाले अनावश्यक तनाव एवं डिप्रेशन को कम करने के लिए एक्सरसाइज जरूर करें। 
  • इलेक्ट्रोलाइट से भरपूर लिक्विड पीएमएस के लक्षणों को कम करते हैं। पानी और अन्य लिक्विड जैसे फलों का रस, नारिल पानी और नींबू पानी से शरीर की इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा कर पीएमएस के लक्षणों में आराम मिलता है। 
  • सलाद में नींबू, काली मिर्च और काला नमक डालकर नमक की जरूरत को पूरा करें। 

 

 

Created On :   13 May 2019 2:33 PM IST

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