UPSC Exam: अपने यूपीएससी वैकल्पिक विषय के रूप में भूगोल क्यों चुनें?

अपने यूपीएससी वैकल्पिक विषय के रूप में भूगोल क्यों चुनें?
शिक्षाविदों के अनुसार भूगोल एक ऐसा विषय है जो सामाजिक और पर्यावरण दोनों से संबंधित होता है, जो सिविल परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं की तैयारी को और भी आसान बनाता है।

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा भारत में होने वाली सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है। इस परीक्षा के माध्यम से अभ्यर्थियों को कई तरह से परखा जाता है, जिसके लिए विश्लेषणात्मक ज्ञान, व्यापक ज्ञान और रणनीतिक सोच की समझ का होना जरूरी है। पहले से उपलब्ध कई वैकल्पिक विषयों में से, भूगोल पसंदीदा विषय के रूप में चुना जाने वाला विषय है। इस लेख के माध्यम से हम इस बात की जांच करेंगे कि भूगोल UPSC परीक्षा के लिए एक पसंदीदा वैकल्पिक विषय क्यों है?

आवश्यकता और उपयोगिता

भूगोल को अन्य विषय या वैकल्पिक विषय के रूप में चुनने के कई कारण होते हैं। शिक्षाविदों के अनुसार भूगोल एक ऐसा विषय है जो सामाजिक और पर्यावरण दोनों से होई संबंधित होता है, जो सिविल परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं की तैयारी को और भी आसान बनाता है।

पर्यावरण से जुड़े सवालों की जानकारी होना आवश्यक

भूगोल जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और सतत विकास जैसी पर्यावरणीय चुनौतियों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। चूंकि भारत बढ़ते पर्यावरणीय दबावों का सामना कर रहा है, इसलिए इन क्षेत्रों में ज्ञान नीति निर्माण और कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण है। भूगोल उम्मीदवारों को क्षेत्रीय असमानताओं का विश्लेषण करने, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की योजना बनाने और विकासात्मक आवश्यकताओं का आकलन करने के कौशल से लैस करता है।

सभी पहलुओं से संबंधित है भूगोल

यह एक ऐसा विषय है जो अंजी विषयों से भी जुड़ा हुआ है, जो भौतिक विज्ञान, सामाजिक विषय और अर्थशास्त्र जैसे विषयों को एक करता है। यह अभ्यर्थियों को कई तरह की समझ को विकसित करने में मदद करता है साथ ही उनकी समझ को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करता है।

दूसरे विषयों से संबंध एवं कौशल

भूगोल का सिलेबस अक्सर यूपीएससी सिलेबस के अन्य भागों के साथ, जैसे सामान्य अध्ययन, के साथ ओवरलैप होता है। जलवायु पैटर्न, शहरीकरण और आपदा प्रबंधन जैसे विषय भूगोल और सामान्य अध्ययन दोनों ही विषयों से जुड़े हुए होते हैं, जिससे यह दोनों एक दूसरे के लिए एक पूरक विकल्प बन जाते हैं। भूगोल का अध्ययन स्थानिक अध्ययन, मानचित्र की व्याख्या और डेटा मूल्यांकन के माध्यम से आवश्यक कौशल को तेज करने में सहायक होता है।

मापन के साथ व्यवस्थित सिलेबस

भूगोल का सिलेबस न केवल आसान होता है बल्कि इसमें मापन विधियों के प्रयोग के करण भी इसके अध्ययन में सटीकता आती है। सिविल परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए इसका सिलेबस सबसे ज्यादा आसान तरीके से अध्ययन किया जाने वाला विषय होता है। सिविल परीक्षा की तैयारी कर रहे युवा भूगोल के व्यवस्थित सिलेबस के आधार पर अपनी तैयारी को अन्य विषयों की अपेक्षा और भी आसान बना सकते हैं।

अधिक अंक पाने के लिए आवश्यक है भूगोल

भूगोल एक ऐसा विषय है जो न कि केवल सिविल परीक्षा को पास कराने में सहायक है बल्कि इसमें बनने वाले स्कोर को बढ़ाने में भी यह विषय आपकी पूरी मदद करता है। इसका करण यह है कि यह विषय मापन और सुव्यवस्थित विषयों को आधार बनाता है, जिसके कारण इसमें आने वाले अंकों को कम करना या उसमें कम स्कोरिंग के अपेक्षा करना अन्य विषयों की अपेक्षा बहुत कम हो जाता है।

तैयारी और सफलता

भूगोल विषय की तैयारी के लिए अभ्यर्थियों को पूरी तरह से इसके सिलेबस का ज्ञान होना जरूरी होता है, सिलेबस के अध्यन के बाद आपको मानव और भौतिक दोनों ही विषयों को आधार बनाना होता है। इस प्रकार एक व्यवस्थित तैयारी के साथ आप सफलता को आसानी से प्राप्त करने में सक्षम हो सकते हैं। इसके साथ ही आपको इससे संबंधित महत्वपूर्ण पुस्तकों का चुनाव भी व्यवस्थित तरीके से करना होगा। जो आपकी तैयारी को और भी आगे बढ़ाने में सहायक हो सकती हैं।

रुचि और कैरियर प्रमुखता

भूगोल एक ऐसा विषय है जिसे केवल पढने के उद्देश्य से चुनना किसी भी अभ्यर्थी के लिए गलत होता है, सिविल अभ्यर्थियों को उन विषयों को चुनना आवश्यक होता है जिनमें उनकी रूचि होना भी आवश्यक है।

आप इसके आधार पर सिविल परीक्षा में अधिक अंकों को प्राप्त करने की राह को आसान बना सकते हैं।

अंततः अभ्यर्थियों को अपनी रूचि, क्षमता और परीक्षा के आधार पर विषयों का चुनाव करना आवशयक होता है। भूगोल विषय पर्यारवरण के साथ मानव समाज से जुड़ा हुआ विषय भी है। जो सिविल परीक्षा में एक स्कोरिंग विषय का काम करता है।

Created On :   23 Aug 2024 1:00 PM IST

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