सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी में मेधावी की सीट आरक्षित रहने के दावे पर केंद्र से जवाब मांगा

Supreme Court seeks response from Center on the claim of reserved seat of meritorious in NEET-PG
सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी में मेधावी की सीट आरक्षित रहने के दावे पर केंद्र से जवाब मांगा
नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी में मेधावी की सीट आरक्षित रहने के दावे पर केंद्र से जवाब मांगा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा, जिसमें दावा किया गया है कि नीट पीजी-2022 में सामान्य श्रेणी के अंक हासिल करने वाले आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) के तहत सीटें आरक्षित श्रेणी में मानी जाती हैं।

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि नीट-पीजी काउंसलिंग के पहले दौर का परिणाम 28 सितंबर को जारी किया गया था। हालांकि मेधावी आरक्षित उम्मीदवारों (एमआरसी), यानी आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार, जो योग्यता के आधार पर सामान्य वर्ग की 50 प्रतिशत सीटों के खिलाफ प्रवेश पाने के हकदार थे, लेकिन शीर्ष अदालत के फैसलों का उल्लंघन करते हुए आरक्षित श्रेणी की सीटें दूसरों को आवंटित की गईं।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने दलील दी कि काउंसलिंग प्रक्रिया में रोस्टर के आधार पर आरक्षण नीति का पालन किया जा रहा है। हालांकि, प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने भाटी से इस सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा। भूषण ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता प्रार्थना करते हैं कि स्थापित आरक्षण नीति के उल्लंघन में अब तक प्रकाशित एनईईटी-पीजी काउंसलिंग के लिए आवंटन सूची को अलग रखा जाए और शीर्ष अदालत के फैसले के अनुपालन में एनईईटी-पीजी काउंसलिंग के लिए नई आवंटन सूची जारी की जाए।

भाटी ने कहा कि एआईक्यू के लिए एनईईटी-पीजी काउंसलिंग के लिए सीटों का आवंटन प्रवेश विवरणिका के पैरा 3.1 और 3.2 के अनुसार किया जा रहा है। हालांकि, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से एक हलफनामा आना जरूरी है। भूषण ने ओबीसी उम्मीदवार का उदाहरण दिया, जिसने सामान्य श्रेणी में अपना स्थान हासिल करते हुए 73वां रैंक हासिल किया, लेकिन उन्हें आरक्षित वर्ग में रखा गया, जिससे आरक्षित वर्ग के दूसरे उम्मीदवार की संभावना प्रभावित हुई। दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने मामले को सोमवार को आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया और केंद्र से मामले में एक हलफनामा दाखिल करने को कहा।

पंकज कुमार मंडल और दो अन्य द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, यह कानून का एक स्थापित सिद्धांत है कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार जो अनारक्षित सीटों के लिए निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं, वे 50 प्रतिशत सामान्य श्रेणी की सीटों के खिलाफ प्रवेश पाने के हकदार हैं। इस प्रकार, यदि कोई उम्मीदवार अपनी योग्यता के आधार पर प्रवेश पाने का हकदार है, तो इस तरह के प्रवेश को अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति या किसी अन्य आरक्षित वर्ग के लिए आरक्षित कोटा के खिलाफ नहीं गिना जाना चाहिए, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 16(4) के खिलाफ होगा। इसमें आगे कहा गया है कि जो सदस्य आरक्षित वर्ग से हैं, लेकिन अपनी योग्यता के आधार पर खुली प्रतियोगिता में चयनित हो जाते हैं, उन्हें सामान्य/अनारक्षित श्रेणी में शामिल होने का अधिकार है। ऐसे एमआरसी को अनुसूचित जाति आदि के लिए आरक्षित कोटा में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

(आईएएनएस)

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Created On :   15 Nov 2022 6:30 PM IST

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