बुधवार को बना है खास योग, जानें पूजा की विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दी पंचांग के अनुसार, प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इनमें संकष्टी चतुर्थी को सभी कष्टों का हरण करने वाला माना जाता है, जो कि आज 25 अगस्त को है। वैसे तो प्रथम पूज्य की पूजा के लिए बुधवार का दिन सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन भाद्रपद मास में बुधवार को संकष्टी चतुर्थी का योग बना है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, बुध ग्रह को वाणिज्य, बाजार, लेखन, दवा, कानून, वाणी और त्वचा आदि का कारक बताया गया है। ऐसे में बुध के कमजोर या अशुभ होने पर इन क्षेत्रों में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आप इस व्रत को रखकर विधि विधान से श्री गणेश की पूजा कर बुध को शुभ रख सकते हैं।
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मान्यता
इस दिन व्रत रखा जाता है और और चंद्र दर्शन के बाद उपवास तोड़ा जाता है। व्रत रखने वाले जातक फलों का सेवन कर सकते हैं। साबूदाना की खिचड़ी, मूंगफली और आलू भी खा सकते हैं। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी संकटों को खत्म करने वाली चतुर्थी है।
मुहूर्त
तिथि प्रारम्भ: 25 अगस्त दोपहर 4 बजकर 18 मिनट से
तिथि समाप्त: 26 अगस्त शाम 5 बजकर 16 मिनट तक
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पूजन विधि
- पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें।
- चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें।
- भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।
- अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।
- इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है।
- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें। इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
- पूजन के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
Created On :   25 Aug 2021 5:29 AM GMT