फायर सेफ्टी: दो साल में एक भी अस्पताल ने नहीं करवाई मॉकड्रिल, आगजनी हुई तो ट्रेनिंग के अभाव में कर्मचारी भी हो सकते हैं अफरा-तफरी का शिकार

दो साल में एक भी अस्पताल ने नहीं करवाई मॉकड्रिल, आगजनी हुई तो ट्रेनिंग के अभाव में कर्मचारी भी हो सकते हैं अफरा-तफरी का शिकार
  • दो साल में एक भी अस्पताल ने नहीं करवाई मॉकड्रिल
  • कर्मचारी भी हो सकते हैं अफरा-तफरी का शिकार
  • फायर सेफ्टी मानकों की खुलेआम अनदेखी

डिजिटल डेस्क, शहडोल। सरकारी व निजी अस्पताल में फायर सेफ्टी मानकों की खुलेआम अनदेखी का बड़ा मामला सामने आया है। जिले भर में शासकीय व निजी 17 अस्पतालों में दो साल के लंबे अंतराल में एक भी अस्पताल ने सरकारी कर्मचारी की मौजूदगी में मॉकड्रिल नहीं करवाई। इस बीच कुछ अस्पतालों ने अपने कार्यालयीन रजिस्टर में मॉकड्रिल की तारीख भी दर्ज कर लिया। सरकारी कर्मचारी की मौजूदगी में मॉकड्रिल नहीं होने से इन अस्पतालों द्वारा किए जा रहे मॉकड्रिल के दावों पर भी सवाल उठ रहे हैं।

क्या है मॉकड्रिल?

यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें संस्थान आग लगने के दौरान कैसे बचाव करना है इसकी एक तरह के रिहर्सल होती है। मॉकड्रिल के दौरान पूरी प्रक्रिया इसी तरह से अपनाई जाती है जैसे वास्तविक में आग लगी हो और लोग उससे बचाव कर रहे हैं। मॉकड्रिल से कर्मचारियों को बचाव करने का अभ्यास होता है और जरूरत पडऩे पर मदद मिलती है।

सीएमएचओ के निर्देश पर जांच

अस्पतालों में मानकों की अनदेखी संबंधी खबर दैनिक भास्कर में प्रकाशित होने के बाद सीएमएचओ डॉ. एके लाल के निर्देश पर डॉ. आरके शुक्ला व टीम के सदस्यों ने शुक्रवार को अस्पतालों की जांच की। मेवाड़ अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलने से जांच नहीं हो सकी। पार्वती अस्पताल में रूम में जगह कम और कचरा डिस्पोजल बाक्स के रखरखाव में लापरवाही मिली। टीम ने बताया कि आगे की कार्रवाई के लिए रिपोर्ट सीएमएचओ को सौंपेंगे।

जिला में संचालित सरकारी और निजी अस्पताल

मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, अमृता हॉस्पिटल, आदित्य हॉस्पिटल, देवांता हॉस्पिटल, डॉ. राजेंद्र सिंह मल्टी स्पेशालियटी हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर, हातमी हॉस्पिटल, मुंदड़ा मेटरनिटी होम, परमानंद हॉस्पिटल, श्रीराम हेल्थ सेंटर, स्वास्तिक हेल्थ केयर, मेवाड़ हॉस्पिटल प्रा. लि., सराफ हॉस्पिटल, पार्वती हास्पिटल, साईं अस्पताल अमलाई, प्रतीक अस्पताल ब्यौहारी।

पता ही नहीं चला और हो गई मॉकड्रिल

संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन विभाग शहडोल के इंजीनियर अरविंद शर्मा बताते हैं कि कार्यालय में किसी भी कर्मचारी को मॉकड्रिल की तारीख और मौजूद रहने संबंधी जानकारी किसी भी संस्थान ने नहीं दी है। ऐसे में संस्थानों द्वारा रजिस्टर में दर्ज मॉकड्रिल तारीख की पुष्टि संभव नहीं है।

मॉकड्रिल नहीं होने से यह नुकसान

भीड़-भाड़ वाले संस्थान द्वारा मॉकड्रिल की प्रक्रिया नहीं अपनाए जाने से कर्मचारियों को बचाव का अभ्यास नहीं है। कई स्थान ऐसे हैं जहां मानकों के अनुसार एक्जिट गेट नहीं हैं, तो कहीं आवागमन के रास्ते ही संकरी है। कुछ स्थानों पर एक्सपायरी फायर इंस्टिंयूशर सिलेंडर रखे हैं जो जरूरत पडऩे पर अनुपयोगी साबित हो सकते हैं। ऐसी कई दूसरी कमियां है जिले सरकारी कर्मचारी की मौजूदगी में मॉकड्रिल के दौरान पूरी की जा सकती है।

Created On :   11 Jun 2024 8:15 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story