विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने 7वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया!
डिजिटल डेस्क | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने 7वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया| अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आयोजित एक वेबिनार में हृदय से संबंधित स्वास्थ्य को बेहतर करने में योग के महत्व पर प्रकाश डाला गया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने योग और ध्यान का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (सत्यम) के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित इस वेबिनार में कहा कि “स्वास्थ्य, मन और हृदय के बीच एक सीधा संबंध है और योग एवं ध्यान हमें स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने में बहुत मदद कर सकते हैं।” उन्होंने योग के अर्थ और मानव कल्याण में इसकी भूमिका की व्याख्या की और सत्यम के माध्यम से इस दिशा में किए गए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लंबे समय तक मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग के पीछे के विज्ञान को समझना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि योग और ध्यान के क्षेत्र में विज्ञान के साथ-साथ तकनीक को भी जोड़ा जाए। नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर के. के. दीपक ने अपने व्याख्यान में योग के माध्यम से विभिन्न हृदय रोगों और इससे संबंधित स्थितियों को समग्र रूप से ठीक करने के तरीकों के बारे में बताया। योग का अभ्यास लोगों को बेहतर लचीलापन, अनुकूलन क्षमता और हृदय की विभिन्न स्थितियों के हिसाब से अनुकूलन प्रदान करता है। योग का अभ्यास करने वाले लोग तंत्रिका तंत्र पर थोपी जाने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर तरीके से अनुकूलित होते हैं। उपलब्ध वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि धीमी गति से सांस लेने का अभ्यास हमें रक्त की गति या उसके प्रवाह से संबंधित चुनौतियों और संकट से निपटने के अनुकूल बनाता है। योग सूजन, तनाव और हाइपोक्सिया (कोशिकाओं और ऊतकों को ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति) की समस्या को कम करने में उपयोगी है। योग हृदय की धड़कन से जुड़ी समस्याओं की संवेदनशीलता को कम करता है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के वाइज – किरण डिवीजन की प्रमुख डॉ. निशा मेंदीरत्ता ने इस बात का भी उल्लेख किया कि योग के महत्व को देखते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने एक विशेष कार्यक्रम "योग और ध्यान का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (सत्यम)" शुरू किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सत्यम का उद्देश्य बुनियादी प्रक्रियाओं और तंत्रों के संदर्भ में शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के साथ-साथ शरीर, मस्तिष्क और मन पर योग और ध्यान के प्रभाव की जांच करना है। उन्होंने यह भी कहा कि सत्यम के तहत 100 से अधिक परियोजनाओं का समर्थन दिया गया है और लगभग 40 शोध - पत्र विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। सत्यम कार्यक्रम के साथ 70 से अधिक संस्थान जुड़े हुए हैं। इस कार्यक्रम के तहत समर्थित अनुसंधान के दायरे में जीवन शैली से जुड़े रोगों (स्ट्रोक, मोटापा, हृदय रोग और टाइप -2 मधुमेह), गठिया, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, गुर्दे से संबंधित रोग, कैंसर, सीओपीडी, महिलाओं के स्वास्थ्य (पीसीओएस, बांझपन, गर्भावस्था संबंधी समस्याएं, रजोनिवृत्ति) और अन्य रोग आते हैं।
इस कार्यक्रम के तहत वित्त पोषित अध्ययनों से पता चला है कि योग की वजह से सिज़ोफ्रेनिया, मिर्गी, मनोभ्रंश, हल्की संज्ञानात्मक क्षीणता, नींद, आटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, पार्किंसंस रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी बीमारियों में महत्वपूर्ण सुधार होता है और चिंता, अवसाद, आत्महत्या की प्रवृत्ति, शराब पर निर्भरता एवं ओपीऑइड, इंटरनेट का अत्यधिक उपयोग आदि जैसे सामाजिक समस्याओं से निपटने में भी मदद मिलती है। सकारात्मक परिणामों के आधार पर कई जांचकर्ताओं ने योग को चिकित्सीय चलन में अतिरिक्त चिकित्सा के रूप में सुझाया है। कोविड-19 का मुकाबला करने में योग की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिए सत्यम के तहत एक विशेष कॉल की भी घोषणा की गई है। इसके अलावा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के विज्ञान ज्योति कार्यक्रम के तहत नामांकित कक्षा IX-XII की लगभग 10000 छात्राओं ने योग विशेषज्ञ डॉ. अरुंधति रे, सहायक प्रोफेसर, एस-व्यासा, बैंगलोर के मार्गदर्शन में एक योग सत्र में भाग लिया।
Created On :   22 Jun 2021 3:51 PM IST