संजय टाइगर रिजर्व में लाए जाएगे आधा सैकड़ा वन भैसा

Half a hundred forest buffalo will be brought to Sanjay Tiger Reserve
संजय टाइगर रिजर्व में लाए जाएगे आधा सैकड़ा वन भैसा
प्रदेश सरकार ने लिया निर्णय, बाघ भी लाए जाएंगे संजय टाइगर रिजर्व में लाए जाएगे आधा सैकड़ा वन भैसा



डिजिटल डेस्क सीधी। संजय टाइगर रिजर्व सीधी में आधा सैकड़ा वन भैसा गौर लाए जाएंगे। यह निर्णय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हाल ही में हुई राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक में लिया गया है। टाइगर रिजर्व वन भैसों की पुर्रस्थापना के लिए उपयुक्त पाया गया है। दशको पहले वन भैसों के मौजूदगी के साक्ष्य मिलने के बाद ही यह निर्णय लिया गया है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षण (वन्य प्राणी) आलोक कुमार ने बताया कि भारतीय वन्य जीव संरक्षण देहरादून द्वारा संजय टाइगर रिजर्व को गौर की पुनस्र्थापन के लिए उपयुक्त पाया गया है। उन्होंने बताया कि गौर पुनस्र्थापना के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा तकनीकी अनुमति भी दी जा चुकी है। उल्लेखनीय है कि संजय टाइगर के वन क्षेत्रों में गौर की मौजूदगी के ऐतिहासिक साक्ष्य मिले हैं। यहाँ के वन क्षेत्रों में पिछले कई दशक से गौर की उपलब्धता नहीं है। टाइगर रिजर्व सीधी में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व अथवा पेंच टाइगर रिजर्व से प्रस्तावित 50 गौर वन भैसा लाए जाएंगे। इसके पहले कान्हा टाइगर रिजर्व से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में गौर लाए जाकर पुनस्र्थापित किए जा चुके हैं। बता देें कि दशको पहले सीधी के जंगलों में बाघों के अलावा वन भैसों की मौजूदगी पाई जा रही थी किन्तु पता नहीं किन कारणों से धीरे-धीरे इनकी प्रजाति विलुप्त होने लगी तो वर्तमान में पिछले एक दशक से एक भी गौर यानी वन भैसा मौजूद नहीं हैं। गौर प्रजाति के जीवों की मौजूदगी से बाघों के भोजन की भी सुगमता बनी रहती है। वैसे भी दूसरे वन्य जीवों की तरह इनकी मौजूदगी वन क्षेत्र में वन्य जीवों की उपस्थिति सहज ही उपलब्ध हो जाती है। प्रदेश सरकार ने इन्ही सब कारणों से गौर प्रजाति के पुर्नस्थापना का निर्णय लिया है।
बाघ भी आए बाहर से
संजय टाइगर रिजर्व इन दिनों बाघों की मौजूदगी से गुलजार हो गया है। वर्ष 2005 तक जहां बाघों की संख्या शून्य के करीब पहुंच गई थी वहीं अब दर्जन के पार हो गई है। टाईगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढऩे के पीछे दूसरे अभ्यारण्यों, नेशनल पार्कों से बाघों को लाकर यहां पुर्नस्थापित करना प्रमुख कारण रहा है। नर और मादा बाघ से पैदा हुए बच्चों ने टाईगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ा दी है। जो भी हो टाइगर रिजर्व में आज जितने भी बाघ हैं वे दूसरे वन क्षेत्रों की सौगात के रूप में देखे जा रहे हैं।

Created On :   12 Sept 2021 9:12 PM IST

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