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कार्यशाला में परोसे खाने से 150 किसानों को फूड पाइज़निंग, एक की मौत
डिजिटल डेस्क, नाशिक। दिंडोरी के उमराले बुद्रूक गांव में बुधवार को आयोजित कृषि कार्यशाला में परोसे गए खाने से करीब 150 किसानों को फूड पाइज़निंग हो गई। उनमें एक किसान की बुधवार रात ही इलाज के दौरान मौत हो गई। जबकि अन्य की हालत गंभीर बनी हुई है। मृतक का नाम उमराले बुद्रूक निवासी अतुल केदार, उम्र 41 साल है। जब्कि अन्य बीमार किसानों को दिंडोर-नाशिक के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
थाने में शिकायत दर्ज
बीज उत्पादक कंपनी द्वारा टमाटर उत्पादक किसानों के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कंपनी बीज के साथ ही कीटनाशकों का भी निर्माण करती है। प्रकरण की शिकायत दिंडोरी तहसील के पुलिस थाने में दर्ज की गई। जिसके बाद पुलिस ने कंपनी के रीजनल मैनेजर सुनील मुले समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए अन्य दो आरोपियों के नाम सुनील वड़जे और सीताराम वाकले हैं। तीनों को कोर्ट ने 12 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया।
कंपनी की ओर से दिया था भोजन
मामले की जांच पुलिस निरीक्षक राजेश शिरसाठ कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि कार्यशाला की समाप्ति के बाद किसानों को कंपनी की ओर से भोजन दिया गया, जिसे खाने के बाद ही किसान बीमार हुए। वहीं उमराले बुद्रूक निवासी किसान अतुल केदार की मौत हुई। जो अपने परिवार का इकलौता बेटा था। अतुल के बाद परिवार में अब उसके वृध्द माता-पिता ही बचे हैं। बेटे की मौत से अतुल के मां-पिता का बुढ़ापे का सहारा ही चला गया।
नाशिक जिला अस्पताल में 40 भर्ती
नाशिक के जिला अस्पताल में 40 व दिंडोरी के ग्रामीण अस्पताल में 12 किसानों को इलाज के लिए दाखिल किया गया। इसके अलावा निजी अस्पताल में 50 से अधिक किसानो को भर्ती है। दोनों जगहों के अस्पताल मिलाकर करीब 150 किसानों का इलाज चल रहा है। पूरे मामले को लेकर अब स्थानीय किसान संगठनों में भी आक्रोश देखा जा रहा है। प्रहार जनशक्ती पार्टी के कार्यकर्ताओं ने संबंधित कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग को लेकर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा है कि कंपनी पर कार्रवाई नहीं होने पर व्यापक आंदोलन किया जाएगा। इस बीच अपने व्यक्तिगत काम से नाशिक पहुंचे पशु संवर्धन राज्य मंत्री अर्जुन खोतकर ने अस्पताल में पहुंचकर बीमार किसानों से चर्चा की।
मठा पीने के बाद शुरू हुई उल्टी
कुछ किसानों ने बताया कि भोजन में खिचड़ी, जलेबी और मठा दिया गया था। लेकिन मठा पीते से ही उन्हें उल्टी होनी शुरू हो गई। जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंचे खाद्य व औषधि प्रशासन के अधिकारियों ने किसानों को परोसे गए खाद्य पदार्थों के सैम्पल इकट्ठे कर उन्हें जांच पड़ताल के लिए प्रयोगशाला को भेज दिए। रिर्पोट आने के बाद सही कारण स्पष्ट हो सकेगा। तहसीलदार बाबासाहेब गाढवे ने बताया कि कुछ किसानों को सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए दाखिल किया गया, लेकिन अधिकांश किसान भयभीत होकर निजी अस्पताल पहुंचे। स्थिती को ध्यान में रखकर कंपनी के मध्याम से पीड़ित किसानों को अधिक से अधिक मुआवजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
Created On :   9 Nov 2017 11:11 PM IST