शाम को स्कूल में रहता है मयकशों का डेरा, सुबह बच्चों को मिलती हैं फूटी बोतलें और गंदगी के ढ़ेर

Drink alcohol in school students get bottles of liquor and dirt
शाम को स्कूल में रहता है मयकशों का डेरा, सुबह बच्चों को मिलती हैं फूटी बोतलें और गंदगी के ढ़ेर
शाम को स्कूल में रहता है मयकशों का डेरा, सुबह बच्चों को मिलती हैं फूटी बोतलें और गंदगी के ढ़ेर

डिजिटल डेस्क,सिंगरौली (वैढन)। कलेक्ट्रेट से 250 और नगर निगम से 50 मीटर दूर बने प्राथमिक- माध्यमिक शाला की स्थिति अधिकारियों से भी छिपी नहीं है। यहां हाल ही में कलेक्टर ने भी दौरा किया, जहां मौजूदा हालातों ने स्कूल की दशा को भी बयां किया, लेकिन न तो कोई ठोस कदम उठाए गए और ना ही किसी तरह के आदेश जारी हुए हैं। हालात यह हैं कि शिक्षा के केन्द्र कहे जाने वाले शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला माझेपुर में सुबह स्कूल तो लगता हैं, लेकिन शाम को यहां दीवार फांदकर मयकश डेरा जमाए रहते हैं। प्रतिदिन यहां स्कूल स्टाफ को बड़ी मात्रा में शराब की बोतलें मिलती हैं, जिसे  स्कूल के शिक्षकों के द्वारा उठाया जाता है। वहीं दूसरी ओर यह पूरा स्कूल समस्याओं से घिरा हुआ हैं जहां जर्जर शाला भवन के कारण विद्यार्थियों की जान को खतरा बना रहता है वहीं गंदगी और जंग उगलते पानी बीमारियों का कारण बन रही है और यहीं वजह है कि स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने 50 फीसदी विद्यार्थी ही पहुंचते हैं।  

पहली बारिश में टपकने लगी छत

वैसे स्कूल काफी पुराना हो चुका है और इस स्कूल को जहां सिरे से रिनोवेशन की आवश्यकता है, वहीं कई स्थानों पर जर्जर स्थल को डिस्मेंटल कर वहां नए भवन के बनाए जाने की स्थिति स्कूल के मौजूदा स्टॉफ के द्वारा बताई गई। बताया गया कि कुछ दिन पहले स्कूल लगी हुई थी और छत के प्लास्टर का बड़ा हिस्सा विद्यार्थियों पर गिरा यहां किसी को चोट तो नहीं लगी, लेकिन दहशत का माहौल बना रहा। बताया जाता है कि यहां हर एक कमरे में छत से पानी रिसता है और बारिश के दौरान अध्यापन का कार्य नहीं हो पाता जिससे स्कूल स्टॉफ परेशान रहता है। 

सिर्फ 50 फीसदी उपस्थिति

शिक्षा के गिरते स्तर की एक वजह अभिभावकों की शिक्षा के प्रति अभिरूचि है जहां वे अपने स्कूल बच्चों को स्कूल भेजना नहीं चाह रहे हैं। बताया जाता है कि परिवार के असक्षम होने की वजह विद्यार्थियों के भविष्य को खराब कर रही है। यहां शिक्षकों का स्टाफ बच्चों को घर लेने जाता है लेकिन अक्सर उन्हें अपमानित होकर लौटना पड़ता है।  प्राथमिक शाला में बच्चों की दर्ज संख्या 93 है और यहां कुल 45 से 50 बच्चे स्कूल पहुंचते हैं। वहीं माध्यमिक शाला में कक्षा 6वीं से 8वीं तक 88 बच्चे दर्ज हैं, जिनमें से सिर्फ 50 बच्चे स्कूल पहुंच रहे हैं। 
 

Created On :   25 July 2019 1:21 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story