सीएसआईआर-सीएमईआरआई निदेशक ने ‘वाटर-आरओ शुद्धीकरण तथा राजस्थान में विनिर्माण क्षेत्रों में हुई प्रगति’ के बारे में आयोजित वेबिनार में संबोधित किया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) हरीश हिरानी एमएसएमई-डीआई जयपुर द्वारा वर्ल्ड ट्रेड सेंटर जयपुर और वाटर ट्रेड एसोसिएशन, राजस्थान द्वारा आज आयोजित ‘वाटर-आरओ शुद्धीकरण तथा राजस्थान में विनिर्माण क्षेत्रों में हुई प्रगति’ के बारे में आयोजित वेबिनार में प्रमुख वक्ता थे। अपने संबोधन में प्रोफेसर (डॉ.) हिरानी ने कहा कि सीएसआईआर-सीएमईआरआई के जल नवाचार वास्तविक जीवन के पहलुओं और घटनाओं से प्रेरित हैं। इन प्रौद्योगिकियों का प्रमुख रूप से ध्यान सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए सामाजिक, आर्थिक समग्रता के साथ लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी नवाचारों की पहुंच का अधिकतम विस्तार करने पर केन्द्रित है। उन्होंने कहा कि अधिक उन्नत जल शुद्धीकरण समाधान अक्सर सर्वाधिक सीमांत भौगोलिक क्षेत्रों में प्रवेश नहीं कर पाते हैं। इस प्रकार सीएसआईआर-सीएमईआरआई विकसित प्रौद्योगिकी में विशेष रूप से इन प्राथमिकताओं पर भी ध्यान केन्द्रित किया गया। संसाधनों के सामर्थ्य, स्थिरता और चक्रीय उपयोग को सर्वत्र प्रमुखता मिलती है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई निदेशक ने सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित जल प्रौद्योगिकियों के बारे में एक विस्तृत प्रस्तुति दी कि किस प्रकार इसने पूरे देश में असंख्य लोगों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाला है। समुदाय, मध्यम और घरेलू लौह, आर्सेनिक, फ्लोराइड प्रौद्योगिकियों का उत्साहित स्टार्ट-अप और एमएसई के समक्ष प्रदर्शन किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि यह जादुई विज्ञान है कि जब इन तीनों शुद्धीकरण प्रौद्योगिकियों को एक एकल प्रणाली यानी एफएआईआर प्रौद्योगिकी में एकीकृत किया जाता है तो इनसे प्रति लीटर शुद्धीकरण लागत काफी कम हो जाती है। लौह, आर्सेनिक के लिए एक फिल्टर माध्यम का काम करता है। इस प्रकार सामूहिक शुद्धिकरण से कई लाभ प्राप्त होते हैं। श्री हिरानी ने कहा कि सीएसआईआर-सीएमईआरआई फ्लोराइड स्लज के जिम्मेदार प्रबंधन में भी संलग्न है। इस स्लज से ईंटों का निर्माण किया जाता है जिसका विनिर्माण कार्यों में उपयोग किया जाता है। यह फ्लोराइड सम्मिश्रण रोकने में मदद करता है, क्योंकि इससे स्लज सतह पर नहीं फैल पाता है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई के पास राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त जल परीक्षण सुविधा है। इस प्रकार संस्थान द्वारा विकसित सभी प्रौद्योगिकियां का शुरुआत में इन-हाउस परीक्षण किया जाता है। संस्था द्वारा विकसित मैकेनाइज्ड ड्रेनेज क्लीनिंग सिस्टम भी दूषित जल का प्रसार रोकने में मदद कर सकता है, क्योंकि यह जल निकासी को साफ रखता है और विकेन्द्रीकृत मोबाइल जल शुद्धीकरण प्रणाली के माध्यम से दूषित जल का उपचार भी करता है। यह देश के प्रमुख शहरों के बाढ़ संबंधित मुद्दों के समाधान में भी मदद करता है। पीएचईडी राजस्थान सरकार के अपर मुख्य अभियंता श्री डी. आर. सोलंकी ने कहा कि पानी में प्रौद्योगिकी नवाचार केन्द्र के जल जीवन मिशन के उद्देश्यों को अर्जित करने में मदद कर सकते हैं। स्थानीय और क्षेत्रीय उद्योगों को वास्तविक प्रभाव स्थापित करने के लिए अपनी भागीदारी और साझेदारी को तेज करना चाहिए। एमएसएमई-डीआई, जयपुर के निदेशक श्री वी. के. शर्मा ने सभी एमएसएमई से भविष्य का अनुमान लगाने और इस परिदृश्य से निपटने के लिए अपने आपको तैयार करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कौशल उन्नयन भविष्य की आवश्यकता है। उन्होंने क्षेत्र के एमएसएमई को इन उच्च प्रभाव वाली सामाजिक तकनीकों से परिचित कराने का अवसर प्रदान करने के लिए प्रोफेसर (डॉ.) हिरानी को धन्यवाद दिया। वाटर ट्रेड एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष श्री एन. डी. शर्मा ने अन्य उद्योग और उद्यमियों के साथ इस वेबिनार में भाग लिया और इस विषय पर वक्ताओं के साथ बातचीत की।
Created On :   30 Sept 2020 3:23 PM IST