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सागर विश्वविद्यालय के 2 हजार बीएड छात्रों का प्रवेश निरस्त, रजिस्ट्रार ने हाईकोर्ट में पेश की जानकारी
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ में सागर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार आरएन जोशी ने शपथ-पत्र पेश कर बताया कि विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले 37 कॉलेजों में बीएड कोर्स में प्रवेश लेेने वाले लगभग दो हजार छात्रों का शैक्षणिक सत्र 2019-20 में प्रवेश निरस्त कर दिया गया है। जिन छात्रों के प्रवेश निरस्त किए गए है, उनकी फीस वापस की जा रही है। सभी कॉलेजों को सूचित किया गया है कि उच्च शिक्षा विभाग भोपाल की केन्द्रीयकृत काउंसलिंग में अपने आप को पंजीकृत कराए।
बीएड की प्रवेश प्रक्रिया एक समान होना चाहिए
नर्मदा शिक्षा महाविद्यालय जबलपुर की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि पूरे प्रदेश में बीएड की प्रवेश प्रक्रिया एक समान होना चाहिए। उच्च शिक्षा विभाग ने एमपी ऑनलाइन के जरिए केन्द्रीयकृत काउंसलिंग की प्रक्रिया निर्धारित की है। सागर विवि द्वारा स्वनिर्मित काउंसलिंग के जरिए बीएड में प्रवेश दिया जा रहा है। हाईकोर्ट ने 26 नवंबर 2018 को आदेशित किया कि एमपी ऑनलाइन की केन्द्रीयकृत काउंसलिंग के जरिए ही बीएड में प्रवेश दिए जाए। इस प्रक्रिया का पालन करने 2 जुलाई 2019 को सागर विवि के रजिस्ट्रार ने कोर्ट में अभिवचन दिया। इसके बाद भी सागर विवि ने स्वनिर्मित प्रक्रिया के जरिए बीएड में प्रवेश देना जारी रखा। अधिवक्ता मुकुंददास माहेश्वरी ने तर्क दिया कि सागर विवि ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है। इसके लिए उनके खिलाफ अवमानना का प्रकरण चलाया जाए। युगल पीठ ने इस मामले में सागर विवि के रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक से जवाब-तलब किया था। रजिस्ट्रार की ओर से शपथ-पत्र पेश कर जानकारी दी गई है कि 2 हजार बीएड छात्रों के प्रवेश निरस्त कर दिए गए है।
डाककर्मियों ने की नारेबाजी
केन्द्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में बुधवार को प्रधान डाकघर के सामने अखिल भारतीय डाक कर्मचारी संघ ग्रुप-सी द्वारा नारेबाजी कर प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए संघ के संभागीय सचिव संतोष नेमा ने कहा कि केन्द्र सरकार संविधान के परे मनमानी भरी नीतियों को लागू कर कर्मचारियों के शोषण पर उतारु है, जिसमें अपने अधिकारों की लड़ाई लडऩे वाले श्रमिक संगठनों पर विरोध प्रदर्शन करने पर भी रोक लगा दी गई है। जो न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि डाक विभाग के सभी संगठनों के संयुक्त धरने पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली से आदेश जारी कर कर्मचारियों के अवकाश पर रोक लगा दी गई, ताकि कर्मचारी अपने अधिकारों की आवाज बुलंद न कर सकें। केन्द्र सरकार की इस तरह की गतिविधियों से यह जाहिर हो गया है कि केन्द्र सरकार श्रमिकों का दमन करना चाहती है।
Created On :   22 Aug 2019 2:19 PM IST