फर्जी नौकरी पाने वाले 11 कर्मचारी बर्खास्त, 7 साल चली जांच

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फर्जी नौकरी पाने वाले 11 कर्मचारी बर्खास्त, 7 साल चली जांच

डिजिटल डेस्क, छतरपुर। जिले में स्वास्थ्य विभाग में वर्ष 2012 में 11 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। इन नियुक्तियों में व्यापक स्तर पर गड़बड़ियां हुईं थीं। इस मामले को तत्कालीन महाराजपुर विधायक द्वारा विधानसभा में उठाया गया था। इस पर सदन में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने नियुक्तियों की जांच कराने का आश्वासन दिया था। इसके बाद मामले की जांच कराई गई। सात साल तक चली जांच के बाद पूरी भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी पाई गई। इस प्रक्रिया के तहत नियुक्त किए गए 11 कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई हैं। भर्ती प्रक्रिया में शामिल रहे अधिकारियों के खिलाफ भी अब कार्रवाई प्रस्तावित की गई है। जिन कर्मचारियों को हटाया गया है, ये सभी मलेरिया विभाग में कार्यरत थे।

क्या है मामला 

सीएमएचओ आफिस में पदस्थ अधिकारियों- कर्मचारियों द्वारा अपने परिजनों, सगे- संबंधियों और रिश्तेदारों को मलेरिया विभाग में अस्थाई रूप से पदस्थ कर लिया था। इसके बाद इनको स्थाई किए जाने के लिए भर्ती प्रक्रिया की औपचारिकता की गई। वर्ष 2012-13 में तत्कालीन सीएमएचओ द्वारा इन कर्मचारियों को नियमित करने के लिए स्क्वॉड वर्करों के रूप में नियुक्ति देने के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया। इसमें बड़ी संख्या में आवेदकों ने आवेदन किए, लेकिन सभी को दरकिनार करते हुए पूर्व से कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों को ही चयनित किया गया। नाला पार नौगांव निवासी कमलेश जाटव ने इस मामले की सीएमएचओ, कलेक्टर से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों तक से शिकायत की, लेकिन उन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया।

महाराजपुर के तत्कालीन विधायक ने विधानसभा में उठाया था मामला 

मलेरिया विभाग में स्क्वाड वर्करों की भर्ती में हुई गड़बड़ी की शिकायत पर जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो आवेदक कमलेश जाटव ने मामले से तत्कालीन महाराजपुर विधायक मानवेन्द्र सिंह को अवगत कराया। इस पर मानवेन्द्र सिंह ने विधानसभा में तारांकित प्रश्न क्रमांक 1185 लगते हुए इस भर्ती की जानकारी मांगी और भर्ती में हुई व्यापक स्तर पर गड़बड़ी से सदन को अवगत कराया। इस पर विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री द्वारा इन भर्ती में हुई गड़बड़ियों की जांच कराने का आश्वासन दिया।

सभी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त 

मलेरिया विभाग के 11 फील्ड वर्करों में भर्ती में हुई व्यापक स्तर की गड़बड़ी की जांच करीब पांच साल तक चली। वर्ष 2013 में हुई इस भर्ती के बाद आवेदक कमलेश कुमार जाटव द्वारा लगातार शिकायतें की गईं। वर्ष 2015 में तत्कालीन विधायक मानवेन्द्र सिंह द्वारा मामला विधानसभा में उठाया गया। इसके बाद जांच कराई गई। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर संचालक (प्रशासन) स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. जे विजय कुमार ने अवैध तरीके से भर्ती किए गए सभी 11 कर्मचारियों की सेवाएं तत्काल समाप्त कर दी हैं। इसके साथ ही भर्ती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई प्रस्तावित की है।
 

Created On :   28 Jun 2019 1:29 PM IST

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