लोकसभा चुनाव: अब दो-दो सीट पर चुनाव लड़ने से हिचक रहे उम्मीदवार, जानिए-अबतक किन नेताओं ने ऐसे लड़ा
- दो सीट से चुनाव लड़ने का इतिहास
- 2023 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
- नेताओं ने लड़ा दो सीटों से चुनाव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, सुनील निमसरकर, अब तक हुए आम चुनावों में राजनेता एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ते आए हैं और दो-दो सीटों पर जीत भी हासिल करते रहे हैं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी एक उम्मीदवार ने दो सीट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन 2024 के आम चुनाव की परिस्थिति कुछ अलग है। इस चुनाव में कोई भी उम्मीदवार दो सीटों से चुनाव लड़ता नहीं दिख रहा है। दरअसल, 1952 के बाद कई बार ऐसे मामले सामने आए जब राजनीतिक दलों ने एक उम्मीदवार को कई सीटों से चुनाव मैदान में उतारा है। चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि 1996 तक दो से ज्यादा लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की छूट थी, लेकिन इसके बाद जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन किया गया और उम्मीदवारों को तीन की बजाय दो सीटों से चुनाव लड़ने तक सीमित कर दिया गया।
दो सीट से चुनाव लड़ने का इतिहास
देश में पहला आम चुनाव 1952 में कराया गया। इस चुनाव में लोकसभा सीटों की कुल संख्या 489 थीं। 314 निर्वाचन क्षेत्रों में फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट प्रणाली का उपयोग करके एक सदस्य का चुनाव किया जाता था। इस चुनाव में 86 लोकसभा सीटें ऐसी थीं, जिन पर दो-दो सांसद जीते थे। यानी एक संसदीय सीट पर दो सांसद। एक सामान्य श्रेणी से और एक एससी-एसटी से। बहु-सीट निर्वाचन क्षेत्रों को समाज के पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित सीटों के रूप में बनाया गया था और 1960 में यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई। वर्ष 1957 के आम चुनाव में 90 सीटों पर दो-दो उम्मीदवार देशभर से चुनाव जीते थे।
2023 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
एक उम्मीदवार जब दो सीटों से चुनाव लड़ता है तो जीतने के बाद भी उसे एक सीट छोड़नी पडती है। ऐसा करने के बाद वहां उपचुनाव की तैयारी शुरु हो जाती है, जिससे सरकारी खजाने पर बोझ पड़ता है। इसी मामले को लेकर 2023 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें उम्मीदवारों को एक से अधिक सीटों से चुनाव लड़ने से रोक लगाए जाने की मांग की गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।
इन नेताओं ने लड़ा दो सीटों से चुनाव
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 1957 में तीन लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा था। जनसंघ ने उन्हें बलरामपुर, मथुरा और लखनऊ से टिकट दिया था। लखनऊ से वो चुनाव हारे। मथुरा में उनकी जमानत जब्त हो गई, लेकिन बलरामपुर से जीत हासिल करके लोकसभा पहुंचे थे। 1991 में दो सीटों विदिशा और लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़े थे, दोनों सीटों से जीत भी हासिल की थी। वहीं 1980 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली और आंध्र प्रदेश के मेडक से लोकसभा चुनाव लड़ा था। दोनों सीटों पर उन्होंने जीत दर्ज की थी। मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहे मुलायम सिंह यादव ने भी 2014 में आजमगढ़ और मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ा और दोनों जगह जीत हासिल की थी और आजमगढ सीट को अपने पास रखा था। 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी वाराणसी और वडोदरा से चुनाव लड़ा। दोनों सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद उन्होंने वाराणसी सीट को अपने पास रखा। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेठी और केरल के वायनाड से चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें अमेठी से हार मिली और वायनाड से जीत हासिल की।
Created On :   17 April 2024 10:00 PM IST