Delhi News: यूरोकिड्स ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से प्रेरित लॉन्च किया ह्यूरेका पाठ्यक्रम

यूरोकिड्स ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से प्रेरित लॉन्च किया ह्यूरेका पाठ्यक्रम
  • अगले 5 साल में दिल्ली में खोले जाएंगे 125 नए केंद्र

Delhi News प्री-स्कूल विशेषज्ञ संस्था यूरोकिड्स ने अपने पाठ्यक्रम के 8वें संस्करण, 'ह्यूरेका', विज़िबल थिंकिंग करिकुलम के लॉन्च की घोषणा की है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोजेक्ट ज़ीरो से प्रेरित और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के व्यापक विकास के दृष्टिकोण के अनुरूप, ह्यूरेका को बच्चों के आलोचनात्मक और रचनात्मक सोच (क्रिटिकल एवं क्रिएटिव थिंकिंग) से जुड़े कौशल को बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है।

यूरोकिड्स की प्रीस्कूल नेटवर्क ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में विस्तार करने की अपनी योजना की भी घोषणा की है। यूरोकिड्स ने अगले 5 साल में राज्य में 125 नए केंद्र खोलने की योजना बनाई है। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इनकी संख्या 175 तक करने का लक्ष्य रखा है, जिससे राज्य में प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी यूरोकिड्स, उच्च गुणवत्ता वाली प्रारंभिक शिक्षा की आवश्यकता को समझता है, इसलिए यह अपने पाठ्यक्रम को अपडेट करता रहता है।

बच्चों को स्कूल के साथ जीवन के लिए भी तैयार करते हैं’ लाइटहाउस लर्निंग के प्री-के डिवीज़न (यूरोकिड्स) के मुख्य कार्यकारी केवीएस शेषसाई ने इस पाठ्यक्रम के शुभारंभ की घोषणा करते हुए कहा, "यूरोकिड्स में हम दो साल की उम्र से ही जिज्ञासा और आलोचनात्मक सोच को पोषित कर आजीवन सीखते रहने की बुनियाद रखने में विश्वास करते हैं। पाठ्यक्रम विकास प्रमुख, डॉ. अनीता मदान ने कहा कि ह्यूरेका को बच्चों की शुरुआती दौर में देखभाल और शिक्षा के क्षेत्र में सबसेनवोन्मेषी पाठ्यक्रम के रूप में तैयार किया है। शिक्षा के प्रति हमारा समग्र दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि बच्चे न केवल स्कूल के लिए बल्कि जीवन के लिए तैयार हों, और उन्हें लगातार विकसित हो रही दुनिया में आगे बढ़ने के कौशल से लैस किया जाए।

ह्यूरेका बताएगा, बच्चों को "कैसे" सोचना है? पहले बच्चों को "क्या" सोचना है, यह सिखाया जाता था, जबकि ह्यूरेका के तहत उन्हें "कैसे" सोचना है, जैसे कौशल से लैस किया जाएगा । इस पाठ्यक्रम में 20 व्यवस्थित हार्वर्ड-प्रेरित थिंकिंग रूटीन है, जो जिज्ञासा जगाते हैं, कल्पना शक्ति को बढ़ावा देते हैं और नन्हे बच्चों में आलोचनात्मक सोच विकसित करते हैं।

Created On :   18 Oct 2024 7:10 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story