Nanded News: सीएमएस में 14 घंटे से अधिक काम के मामलों की रिपोर्ट से बचने के लिए पायलटों के घंटों से की जा रही कटौती

सीएमएस में 14 घंटे से अधिक काम के मामलों की रिपोर्ट से बचने के लिए पायलटों के घंटों से की जा रही कटौती
  • आराम के लिए पर्याप्त समय नहीं देने पर ड्यूटी पर आने से किया था इनकार
  • पायलटों की पत्नियों तक ने प्रदर्शन कर अपना आक्रोश जाहिर किया

Nanded News रेलवे की जांच में ही यह खुलासा हुआ है कि, लोको पायलटों को सुरक्षा से समझौता कर 13 से 15 घंटे तक काम करने पर मजबूर किया जा रहा है, जबकि नियम के अनुसार एक लोको पायलट से लगातार 11 घंटे से अधिक काम करने को नहीं कहा जा सकता है, हालांकि यह फैक्ट सही है कि देश के लगभग सभी जोन और लॉबी में स्थानीय डिवीजन अधिकारियों की शह पर लोको पायलटों से निर्धारित ड्यूटी आवर से अधिक काम लिया जा रहा है। इसे लेकर विभिन्न जोन में लोको पायलटों की पत्नियों तक ने प्रदर्शन कर अपना आक्रोश जाहिर किया है।

रेलवे ने दक्षिण मध्य रेलवे द्वारा लोको पायलट के काम के घंटों की जांच कराई थी। इसमें खुलासा हुआ कि, चालक दल के अधिकारियों ने ट्रेन संचालन की सुरक्षा से समझौता करते हुए लोको पायलटों को 13 से 15 घंटे तक काम करने के लिए मजबूर किया गया. इसमें नियमों का पालन नहीं किया गया और एक लोको पायलट को लगातार 11 घंटे से अधिक काम करने को कहा गया। यह मामला तब प्रकाश में आया जब सिकंदराबाद (एससी) मंडल के मालगाड़ी के लोको पायलट आर रविशंकर ने यह आरोप लगाते हुए ड्यूटी पर आने से इनकार कर दिया कि उन्हें आराम के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया।

दक्षिण मध्य रेलवे मुख्यालय द्वारा 22 अप्रैल को जारी एक परिपत्र के मुताबिक, सीएमएस (चालक दल प्रबंधन प्रणाली) रिपोर्ट के अनुसार आर रविशंकर ने 13 घंटे 55 मिनट कार्य किया था और जब मंडलों के स्पष्टीकरण से तुलना की गई, तो यह पता चला कि लोको पायलट ने 15 घंटे काम किया है.परिपत्र के मुताबिक, आर रविशंकर (लोको पायलट) ने अपने वास्तविक कार्य घंटे 14:26 होने की पुष्टि की और आरोप लगाया कि सीएमएस में 14 घंटे से अधिक के मामलों की रिपोर्ट होने से बचने के लिए उनके कार्य घंटों में से 31 मिनट की कटौती की गयी।

सीएमएस में ड्यूटी आवर से की जा रही हेराफेरी, कई मामले आये सामने रेलवे ने जब सीएमएस रिपोर्ट की जांच शुरू की तो यह देखकर हैरानी हुई कि दक्षिण मध्य रेलवे में 13 घंटे 55 मिनट से लेकर 14 घंटे (एक अप्रैल से 14 अप्रैल 2025) तक लोको पायलटों के काम करने के 620 मामले थे। परिपत्र में बताया गया, इतनी अधिक संख्या में मामले (13:55 से 14:00 के बीच काम के घंटे) दर्शाते हैं कि काम खत्म करके घर जाते समय लोको पायलटों को गलत समय दर्ज करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। एससीआर की जांच में विजयवाड़ा मंडल में 42, गुंतकल में 26, गुंटूर व नांदेड़ में तीन-तीन और हैदराबाद मंडल में एक मामला सामने आया, जहां लोको पायलट 13 घंटे 55 मिनट से लेकर 14 घंटे तक काम करते थे.

रेलवे ने मानी गंभीर अनियमितता, तुरंत रोकने की दी गई चेतावनी : रेलवे के जांच रिपोर्ट के अनुसार यह एक गंभीर अनियमितता है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। परिपत्र में चेतावनी दी गई, ट्रेन परिचालन से संबंधित आंकड़ों में किसी भी तरह की हेराफेरी को सभी जोन और डिवीजनों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इसके लिए दोषी कर्मचारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।

प्रतिक्रिया - वरिष्ठ मैकेनिकल इंजीनियर परम मित्रा उन्होंने कहा की, एससीआर जांच रिपोर्ट अभी तक मुझे नहीं मिल है। उस रिपोर्ट के अनुसार कुछ हेरा फेरी अगर होती है तो कार्यवाही के दिशा निर्देश दिए जाएँगे। फ़िलहाल नए अधिकारी ने पदभार संभाल लिया है। वे इस पर कार्रवाई करेंगे।


Created On :   25 April 2025 2:47 PM IST

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