Mumbai News: हिरासत में कैदियों की मौत पर परियजनों को मिलेगा मुआवजा, मंत्रिमंडल की मंजूरी

हिरासत में कैदियों की मौत पर परियजनों को मिलेगा मुआवजा, मंत्रिमंडल की मंजूरी
  • नगराध्यक्षों को पद से हटाने सदस्यों को मिला अधिकार
  • नप-नपं क्षेत्रों में बकाया संपत्ति कर का दंड माफ करने अभय योजना
  • नप-नपं क्षेत्रों में संपत्तियों को किराए पर देने तय होगी नई दर
  • अंबरनाथ के चिखलोली में बनेगा दिवानी न्यायालय

Mumbai News. राज्य के जेलों में अप्राकृतिक कारणों से हिरासत (कस्टडी) में कैदियों की मौत होने पर उनके परिजनों को मुआवजा देने की नीति को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के निर्देश पर यह नीति बनाई गई है। इस नीति के मुताबिक जेलों में काम करते समय हुए हादसे, चिकित्सा अधिकारियों की लापरवाही, कारागार के कर्मियों के बीच मारपीट होने अथवा आपसी में झगड़े के कारण कैदियों की मौत होने की घटना होने पर जांच में प्रशासन की लापरवाही सिद्ध हुई तो संबंधित कैदी के परिजनों को पांच लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। जबकि जेल में आत्महत्या करने वाले कैदियों के परिजनों को एक लाख रुपए की भरपाई दी जाएगी। राज्य के सभी जेलों में यह नीति लागू होगी। कैदियों की बुढ़ापे, गंभीर बीमारी, जेल से भागते समय हादसे होने, जमानत पर होने अथवा इलाज कराने से इनकार करने पर मृत्यु होने से उनके परिजनों को मुआवजा नहीं दिया जाएगा। मुआवजे के लिए संबंधित कारागृह अधीक्षक को प्राथमिक जांच, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पंचनामा, मेडिकल रिपोर्ट, न्यायालयीन और जिलाधिकारी की जांच समेत अन्य कागजातों सहित रिपोर्ट को क्षेत्रीय विभाग प्रमुख के पास भेजना होगा। उसके बाद प्रकरण की गहराई से जांच करके अंतिम प्रस्ताव पुणे में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक व महानिरीक्षक, जेल व सुधारसेवा के पास भेजा जाएगा। उनके सिफारिशों के बाद सरकार के स्तर पर मुआवजा देने के बारे में अंतिम फैसला लिया जाएगा। इसके साथ ही कैदियों की मौत मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं प्राकृतिक आपदा के कारण कैदियों की मौत होने पर उनके परिजनों को सरकार के प्रचलित नीति के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा।

नगराध्यक्षों को पद से हटाने सदस्यों को मिला अधिकार

महायुति सरकार ने राज्य के नगर परिषदों और नगर पंचायतों के नगराध्यक्षों को पद से हटाने सदस्यों को अधिकार देने का फैसला किया है। नगर परिषदों और नगर पंचायतों के निर्वाचित सदस्यों में से दो-तिहाई सदस्यों के हस्ताक्षर का प्रस्ताव जिलाधिकारी के पास भेजा जाएगा। जिलाधिकारी को दस दिनों में विशेष सभा आयोजित करके नगराध्यक्षों को हटाने के लिए मतदान प्रक्रिया पूरी करनी होगी। जिसमें नगर परिषदों और नगर पंचायतों के सदस्य बहुमत के आधार पर नगराध्यक्षों को हटा सकेंगे। मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल ने इस बारे में प्रावधान करने के लिए महाराष्ट्र नगरपरिषद, नगरपंचायत व औद्योगिक नगरी अधिनियम- 1965 में संशोधन को मंजूरी दी है। सरकार की ओर से इस बारे में अध्यादेश जारी किया जाएगा। राज्य में अभी तक नगर परिषदों और नगर पंचायतों के नगराध्यक्षों को पद से हटाने के लिए निर्वाचित सदस्यों में से 50 प्रतिशत सदस्यों के हस्ताक्षर का प्रस्ताव संबंधित जिलाधिकारी के पास भेजा जाता था। इसके बाद सरकार के स्तर पर नगराध्यक्षों को पद से हटाने के लिए कार्यवाही की जाती थी। लेकिन अब नगराध्यक्षों को पद से हटाने के लिए निर्वाचित सदस्यों को अधिकार प्रदान करने का फैसला लिया गया है।

नप-नपं क्षेत्रों में बकाया संपत्ति कर का दंड माफ करने अभय योजना

राज्य के नगरपरिषद, नगरपंचायत और औद्योगिक शहरी क्षेत्रों की बकाया संपत्ति कर (टैक्स) वसूली के लिए दंड माफ कर दिया जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल ने दंड माफी करके बकाया वसूली के लिए अभय योजना लागू करने को मंजूरी प्रदान की है। नगरपरिषद, नगरपंचायत और औद्योगिक शहरी क्षेत्रों की संपत्ति के बकाया कर पर प्रति महीने दो प्रतिशत दंड लगाने का प्रावधान है। इससे संपत्ति धारकों की दंड की राशि बढ़ जाती है। कई बार दंड की राशि बढ़कर मूल कर से अधिक हो जाती है। मूल कर के मुकाबले दंड की राशि अधिक होने से उसको भरने के लिए संपत्ति धारक टालमटोल करते हैं। इसके मद्देनजर बकाया संपत्ति कर पर दंड माफ करने के लिए अभय योजना लागू करने का फैसला लिया है। इससे पहले अधिनियम में दंड माफी का प्रावधान नहीं था। इसलिए संबंधित अधिनियम में दंड माफी का प्रावधान करने को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है।

नप-नपं क्षेत्रों में संपत्तियों को किराए पर देने तय होगी नई दर

राज्य मंत्रिमंडल ने नगरपरिषद, नगरपंचायत और औद्योगिक शहरी क्षेत्रों की अचल संपत्ति के किराए पट्टे के नियमों में संशोधन करने और नई दर लागू करने के लिए अधिसूचना जारी करने को मंजूरी दी है। संशोधित नियमों के अनुसार आवासीय, शैक्षणिक, धर्मादाय व सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए संपत्ति के किराए की दर वर्तमान रेडी रेकनर 0.5 प्रतिशत से कम नहीं होगा। जबकि व्यावसायिक व औद्योगिक इस्तेमाल के लिए किराए की दर 0.7 प्रतिशत से कम नहीं होगी। इससे संबंधित प्रावधान को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। संपत्ति का अधिमूल्य, किराया पट्टा दर और डिपॉजिट राशि तय करने के लिए संबंधित जिलाधिकारी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति फैसला करेगी। इस नियम के बारे में आपत्ति और सुझाव मंगाए जाएंगे। इसके बाद ही अंतिम अधिसूचना जारी की जाएगी। राज्य में महानगर पालिकाओं की अचल संपत्ति किराए पर देने और उसका नवीनीकरण व हस्तांतरण करने के बारे में 6 नवंबर 2023 को नियम तय किए गए हैं। इसके अनुसार राज्य की सभी स्थानीय निकायों की संपत्ति के हस्तांतरण में एक समानता लाने के लिए संबंधित नियम में संशोधन किया जाएगा। इसके लिए महानगर पालिका की संपत्ति हस्तांतरण नियम के तर्ज पर महाराष्ट्र नगरपरिषद, नगरपंचायत और औद्योगिक शहरी (अचल संपत्ति का हस्तांतरण) (संशोधन) नियम 2025 बनाया जाएगा।

अंबरनाथ के चिखलोली में बनेगा दिवानी न्यायालय

ठाणे जिले के अंबरनाथ स्थित चिखलोली में दिवानी न्यायालय कनिष्ठ स्तर व न्यायदंडाधिकारी प्रथम वर्ग न्यायालय स्थापित करने को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। चिखलोली के दिवानी न्यायालय में उल्हासनगर से 14 हजार 134 फौजदारी व 1 हजार 35 दिवानी कुल मिलाकर 15 हजार 569 प्रकरणों को भेजा जाएगा। इससे प्रलंबित प्रकरणों का निपटारा जल्द गति से हो सकेगा। इस न्यायालय के लिए 12 नियमित पद और 4 पद आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरने के लिए मान्यता दी गई है। न्यायालय में दिवानी न्यायाधीश कनिष्ठ स्तर व न्यायदंडाधिकारी प्रथम वर्ग, सहायक अधीक्षक, दो वरिष्ठ लिपिक, चार कनिष्ठ लिपिक, तीन बेलिफ समेत अन्य पदों पर नियुक्ति की जाएगी। इस न्यायालय के लिए आवश्यक 84 लाख 40 हजार 332 रुपए खर्च करने को मंजूरी प्रदान की गई है।



Created On :   15 April 2025 9:09 PM IST

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