जबलपुर: धोखाधड़ी कर बैंक में किया 2.97 करोड़ का गबन

धोखाधड़ी कर बैंक में किया 2.97 करोड़ का गबन
  • केनरा बैंक की गोटेगाँव स्थित शाखा मामले में ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया प्रकरण
  • बैंक अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने कई ऋण मामलों में मंजूरी पूर्व उचित मूल्यांकन नहीं किया था।
  • दोषी कर्मचारियों के खाते और उनके निकट संबंधियों के बीच अवैध लेन-देन किया गया।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने गोटेगाँव नरसिंहपुर स्थित केनरा बैंक के आधा दर्जन ऐसे कर्मचारियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया है जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के सहारे धोखाधड़ी कर 2 करोड़ 97 लाख रुपए का गबन किया।

जानकारी के अनुसार आवेदक और केनरा बैंक क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर के असिस्टेंट जनरल मैनेजर गणेश चन्द्र सरकार ने शिकायत की थी। उन्होंने बताया था कि अनावेदकों केनरा बैंक शाखा गोटेगाँव में कार्यरत सुनील कुमार दुबे गोरबी प्रोजेक्ट, एनसीएलए सिंगरौली मप्र के अलावा मनिराज पटेल शाखा प्रबंधक केनरा बैंक शाखा गोटेगाँव निवासी जीआई पंचरत्न अपार्टमेंट, 7 शिवमंगल नगर लालाराम नगर इंदौर, गिरीश कुम्भारे प्रबंधक केनरा बैंक शाखा गोटेगाँव निवासी एस-574 सर्वधर्म सी सेक्टर, कोलार रोड भोपाल एवं राहुल लोखारे प्रोबेशनरी ऑफिसर केनरा बैंक शाखा गोटेगाँव निवासी जयराम गली उत्तम पुराण मुरैना द्वारा वर्ष 2020-2021 में 2 करोड़ 97 लाख रुपए की धोखाधड़ी कर गबन किया गया था।

जाँच में सामने आया फर्जी दस्तावेजों से लेनदेन

जाँच के लिए उक्त शिकायत ईओडब्ल्यू में पदस्थ उप-पुलिस अधीक्षक एवी सिंह को दी गई थी। जिसके बाद संलग्न दस्तावेज, केनरा बैंक शाखा गोटेगाँव से प्राप्त कागजात के अवलोकन एवं वर्तमान ब्रांच मैनेजर के कथनों से यह स्पष्ट है कि बैंक अधिकारी व कर्मचारियों ने कदाचार, ऋण स्वीकृति और वितरण में बहुत सी क्रेडिट अनियमितताएँ एवं गड़बड़ी, कर्मचारियों के खातों में बहुत सी अनियमितताएँ और कर्मचारियों के करीबी रिश्तेदारों व विशेष रिपोर्ट में रिपोर्ट हुए कर्मचारियों व ग्राहकों के करीबी रिश्तेदारों, ग्राहकों के खातों के बीच कई नकद जमा और कई फंड ट्रांसफर किए गए जो कि सही पाए गए हैं।

वित्तीय लाभ के लिए की थी जालसाजी

जाँच में यह भी पाया गया कि बैंक शाखा में काम करने वाले उपर्युक्त अपराधी कर्मचारी बैंक के निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार काम नहीं कर रहे थे। एक हद तक उन्होंने वित्तीय लाभ के लिए धोखाधड़ी और जालसाजी की है। चेक के बिना लेन-देन किए गए थे, ट्रांसफर डेबिट स्लिप पर ग्राहक के कोई हस्ताक्षर नहीं पाए गए। खाता खोलने के फॉर्म ग्राहक के हस्ताक्षर के बिना पाए गए। दोषी कर्मचारियों के खाते और उनके निकट संबंधियों के बीच अवैध लेन-देन किया गया।

अन्य कर्मियों के खातों में भी हुआ लेनदेन

जाँच में यह भी पाया गया कि एनईएफटी, डीडी के बजाय ऋण की राशि सीधे बचत खातों में संवितरित की गई थी। साथ ही ऋण संवितरण के बाद भी अन्य कर्मचारियों के खाते में लेन-देन भी किए गए। ऋण की स्वीकृति और वितरण बिना उचित मूल्यांकन के किया गया।

एक प्रकरण में मैसर्स पीके उद्यम (एंटरप्राइजेस) को ऋण की राशि वापस कर दी गई थी, जिसका जीएसटी अमान्य है और साइट पर जाने पर यह पता चला कि दिए गए पते पर ऐसी कोई इकाई नहीं है। अन्य बैंकों से भी पता चला कि उक्त कंपनी कई फर्जी गतिविधियों में लिप्त है।

इस तरह बैंक के अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा मिलीभगत कर अवैध वित्तीय लाभ के इरादे से बैंक के साथ धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक धोखाधड़ी और नैतिक अधमता से जुड़े अपराध में शामिल रहे हैं, जो दंडनीय अपराध है।

अतः यह स्पष्ट है कि बैंक के अधिकारियों ने बिचौलियों और एजेंटों की मिलीभगत से धोखाधड़ी के इरादे से ऋण स्वीकृति संवितरण, कर्मचारियों, कर्मचारियों के करीबी रिश्तेदार और ग्राहक के खातों में बहुत सी अनियमितताएँ की गईं और गैरकानूनी इरादे से 297 लाख रुपए (02 करोड़ 97 लाख रुपए) से अधिक की राशि का गबन कर बैंक के साथ धोखाधड़ी की गई है। जिसके बाद उक्त अनादेवकों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू की गई है।

बैंक अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने कई ऋण मामलों में मंजूरी पूर्व उचित मूल्यांकन नहीं किया था। साइट का दौरा और वैल्यूएशन पैनल वैल्यूअर्स द्वारा कई मामलों में नहीं किए गए तथा ऋण की राशि बैंक अधिकारियों द्वारा अपने रिश्तेदारों के एकाउंट में ट्रांसफर की गई है।

- आरडी भारद्वाज, एसपी ईओडब्ल्यू, जबलपुर

Created On :   18 May 2024 4:53 PM IST

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