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Jabalpur News: हर दिन काटे जा रहे दर्जनों पेड़, वन्य प्राणियों पर भी संकट, दो विभाग सीमा विवाद में उलझे

- रियलिटी: खमरिया के रिठौरी गांव में परियट नदी के किनारे की हरियाली हो रही गायब
- शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं
- राजस्व विभाग भी तरह-तरह की बहानेबाजी करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है।
Jabalpur News: आज विश्व अर्थ (पृथ्वी) दिवस है। पृथ्वी व इसके पर्यावरण को कैसे सुरक्षित रखा जाए इस मुद्दे को लेकर बड़े-बड़े वैज्ञानिक, विचारक अपने शोध और अनुभव सार्वजनिक करेंगे। सबका मकसद एक ही होगा, धरती को समृद्ध बनाने के लिए पौधों का अधिक से अधिक रोपण किया जाए, पेड़ों की सुरक्षा की जाए..., लेकिन हकीकत इसके ठीक विपरीत नजर आ रही है। जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते जंगलों में अंधाधुंध पेड़ों की कटाई हो रही है।
ऐसा ही कुछ शहर के समीप खमरिया से लगे ग्राम रिठौरी के आसपास हो रहा है। यहां पर परियट नदी के आसपास पेड़ों की अवैध कटाई के रूप में देखा जा सकता है। अनुमान के मुताबिक यहां हर दिन 50 से ज्यादा पेड़ों को काटा जाता है, और बेखौफ अंदाज में इनकी तस्करी की जाती है। ऐसा नहीं है कि इस अवैध काम का विरोध नहीं हुआ, कई शिकायतें की गईं, वीडियो-तस्वीरों के साथ। लेकिन जिम्मेदारों ने कोई कार्रवाई नहीं की।
पल्ला झाड़ते हैं, जिम्मेदार
खमरिया में परियट नदी से लगे कई गांव का जंगल पनागर वन परिक्षेत्र में आता है, करीब 100 हेक्टेयर से ज्यादा लंबे क्षेत्र में फैले इस जंगल में सागौन, इमारती, बबूल, नीम, पीपल, बरगद के साथ कई प्रजातियों के पेड़ मौजूद हैं। पेड़ों की अवैध कटाई के मामले को लेकर ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत से लेकर जिला प्रशासन और वन विभाग में कई शिकायतें दी हैं। वन विभाग का तर्क रहता है कि वन संपदा उनकी सम्पत्ति है, लेकिन परियट नदी के आसपास का एरिया राजस्व विभाग की सीमा में आता है। इसलिए वन विभाग तभी कार्रवाई कर सकता है, जब पेड़ों का परिवहन हो रहा हो। इधर राजस्व विभाग भी तरह-तरह की बहानेबाजी करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है।
कई अवैध खदान संचालित
परियट नदी के किनारों पर पेड़ों की कटाई के पीछे भसुआ मिट्टी और रेत की खुदाई करने का कारण सामने आया है। कुछ वर्ष पूर्व तक एक या दो ही जगह पर इस तरह की अवैध खदान थीं, लेकिन अब सात-आठ जगहों पर अवैध खुदाई हो रही है, जिसका उपयोग ईंट भट्टों के लिए किया जाता है। वहीं परियट नदी में काफी संख्या में मगरमच्छ आज भी मौजूद हैं। ये मगरमच्छों का प्राकृतिक रहवास है, इसलिए कई सालों से यहां क्रोकोडाइल सैंक्चुरी बनाने की मांग भी की जाती रही है।
लेकिन काफी कोशिशों के बावजदू मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब लगातार हो रही पेड़ों की अवैध कटाई और अवैध खुदाई की वजह से मगरमच्छों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। जल्द ही इस समस्या में सुधार नहीं हुआ तो गंभीर परिणाम देखने काे मिलेंगे।
Created On :   22 April 2025 6:08 PM IST