Beed News: भक्तों की मनोकामना पूरी करती है मनुर की रेणुका माता

भक्तों की मनोकामना पूरी करती है मनुर की रेणुका माता
  • घट स्थापना से शारदीय नवरात्रोत्सव शुरू
  • मंदिर समीप सजी विभिन्न दुकानें
  • दूर - दूर से आते हैं श्रद्धालु, लगी रहती है कतार

Beed News सुनील चौरे . जिले के माजलगांव तहसील के मनुर में स्थित श्री रेणुका माता मंदिर में 3 अक्टूबर को गुरुवार के दिन घटस्थापना के साथ शारदीय नवरात्रि पर्व की शुरुआत हुई । इस दौरान रोजाना दूर -दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मनुर का रेणुका माता का यह पवित्र क्षेत्र एक बड़ा आस्था का केंद्र है। पौराणिक मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु यहां सच्चे मन से अपनी मनोकामना रखता है, मनुर की रेणुका माता उसकी मुरादें जरूर पूरी करती है।

इसलिए माता सिर रूप में ही विराजमान है : भगवान परशुराम की माता है श्री रेणुका देवी पुराणों के अनुसार रेणुका माता जमदग्नि ऋषि की पत्नी थी। दोनों के पांच पुत्र थे, जिनमें से एक परशुराम भी थे। नियम था कि, प्रतिदिन रेणुका माता नदी से जल लाती थी और उस जल से जमदग्नि ऋषि स्नान करते थे और उसके बाद ही वे भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते थे। एक दिन माता रेणुका को जल लाने में किसी कारण से विलंब हो गया। इस बात से जमदग्नि ऋषि रुष्ठ हो गए और उन्होंने अपने पांचों पुत्रों को अपनी मां का सिर धड़ से अलग करने के आदेश दिया। मां की हत्या करना चार पुत्रों ने अस्वीकार कर दिया।

पुत्रों के मना करने पर ऋषि ने उन्हें अचेत होने का श्राप दे दिया। इसके बाद परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया और नदी से जल लेकर लौट रही अपनी माता का सिर काट कर हत्या कर दी। अ पनी पत्नी का कटा सिर देखने के बाद जमदग्नि ऋषि का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने परशुराम से वर मांगने के लिए कहा। तब परशुराम ने उनसे तीन वर मांगे। पहला उनकी माता को पुन: जीवित कर दिया जाए, दूसरा जीवित होने के बाद उन्हें इस घटना की स्मृति न रहे और तीसरा उनके भाइयों की चेतना को लौटा दिया जाए। परशुराम की बात सुन कर जमदग्नि ऋषि ने कहा कि, वे रेणुका माता को जीवित तो कर सकते हैं, लेकिन यह प्रकृति के विधान के विपरित होगा, लेकिन उन्होंने परशुराम को यह वर अवश्य दिया कि, आज से 21 दिन के पश्चात तुम्हारी माता तुम्हे दर्शन अवश्य देगी। तब परशुराम ने उनके सिर को विधिवत स्थापित कर उनके शेष शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया। इसलिए देश भर में श्री रेणुका माता के जितने भी मंदिर हैं, वहां माता सिर्फ सिर रूप में ही विराजमान हैं और अपने भक्तों को इसी रूप में दर्शन देकर उनकी मनोकामना पुत्र की भांति पूर्ण भी करती हैं।

नंगे पैर आने वाले श्रध्दालुओं की कतार : ऐसी मान्यता है कि, जो भी भक्त बिना चप्पल या जूते नहीं पहनते नंगे पैर पैदल चल कर मनुर की श्री रेणुका माता के दर्शन के लिए आता है, उसकी मनोकामना श्री रेणुका माता पूरी करती है। इस विश्वास के चलते नवरात्रि पर्व के दौरान श्रध्दालु सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पूजा की थाली लेकर नंगे पैर मंदिर पहुंचते हैं।दर्शन कर वापस नंगे पैर घर लौट जाते हैं।

प्रसाद, खिलौना,फूल की दुकानें सजी : इस नवरात्रि उत्सव पर मंदिर परिसर में प्रसाद, फूल विक्रेता भी खुश हैं। नवरात्रि उत्सव के निमित्त यहां मेला लगता है, जिसमें विभिन्न प्रकार की दुकानें लगती है। इससे अनेक लोगों को रोजगार मिलता है और अच्छा मुनाफा भी होता है। इनमें प्रसाद, फूल विक्रेताओं के साथ ही माता की तस्वीर, जप मालाएं, पूजा सामग्री, बच्चों के खिलौने, खान-पान व्यवस्था की दुकानें आदि भी सज गई हैं।

घटस्थापना का महत्व : माजलगांव,आष्टी , पाटोदा, वडवणी, शिरूर कासार,गेवराई ,धारूर ,सिरसाला ,परली वैद्यनाथ ,सहीत आदीयो तहसिल में 3 अक्टूबर को गुरुवार के दिन विभिन्न माता के मंदिर ,घरो में व सार्वजनिक मंडलों ने भक्तों की उपस्थित में घटस्थापना कर शारदीय नवरात्रमहोत्सव की शुरुआत होने से भक्तों में उत्साह दिखाई दे रहा है ।

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार धार्मिक अनुष्ठान और किसी भी विशेष अवसर पर घटस्थापना बेहद ही महत्वपूर्ण होती है। शास्त्रों और पुराणों में घटस्थापना को काफी महत्व दिया जाता है और इससे सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि शारदीय नवरात्र घटस्थापना के पूजन में सभी ग्रह, नक्षत्रों और तीर्थों का निवास होता।

Created On :   3 Oct 2024 1:47 PM GMT

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